प्रयागराज शहर बनने की ये कहानी है बेहद खास, इलाहाबाद नाम से लेकर अबतक ऐसा रहा सफर

पंकज श्रीवास्तव

• 09:53 AM • 16 Mar 2023

Prayagraj News: प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के बड़े जिलों में से एक जिला है. यह गंगा, यमुना तथा गुप्त सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित है.…

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Prayagraj News: प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के बड़े जिलों में से एक जिला है. यह गंगा, यमुना तथा गुप्त सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित है. संगम स्थल को त्रिवेणी कहा जाता है और यह हिन्दुओं के लिए विशेषकर पवित्र स्थल है. प्रयागराज, अपने गौरवशाली अतीत एवं वर्तमान के साथ भारत के ऐतिहासिक एवं पौराणिक नगरों में से एक है. यह हिंदू, मुस्लिम, सिख, जैन एवं ईसाई समुदायों की मिश्रित संस्कृति का शहर है. यह भारत का सबसे जीवंत राजनीतिक तथा आध्यात्मिक रूप से जागरूक शहर है. सभ्यता के प्राम्भ से ही प्रयागराज विद्या, ज्ञान और लेखन का गढ़ रहा है. आइए आज जानते हैं प्रयागराज के बनने की कहानी.

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प्रयागराज के बनने की कहानी

संगम नगरी प्रयागराज की बात करें तो 450 साल बाद इसको अपनी पहचान वापस मिली है. मुगल शासक अकबर ने करीब सन 1574 में इस शहर में किले की नींव रखी थी. अकबर जब यहां रुका तो उसने एक नया शहर बनाया और इसका नाम इलाहाबाद रख दिया. इतिहासकार योगेश्वर तिवारी के मुताबिक ‘पहले इसका नाम इलाहाबास अकबर ने रखा था. इसका मतलब अल्लाह का वास. धीरे धीरे इसका नाम लोग इलाहाबाद कहने लगे. वैसे वेद पुराणों में इसका नाम प्रयाग दर्ज है.’

कब-कब हुई इलाहाबाद का नाम बदलने की मांग?

वहीं, 1939 में महामना मदन मोहन मालवीय ने इलाहाबाद का नाम बदलने की मुहिम छेड़ी थी, लेकिन तब ऐसा नहीं हो पाया था. लोग इस शहर को इलाहाबाद के नाम से जानने लगे थे. सन 1982 में टीकरमाफी के पीठाधीश्वर हरि चैतन्य ब्रह्मचारी ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मुलाकात कर इलाहाबाद का नाम बदलने की मांग की थी.  इसके बाद सन 1996 में भी इलाहाबाद का नाम बदलने की मुहिम अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने चलाई थी. तमाम लोग इलाहाबाद का नाम बदलने की मांग करते रहे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के आने के बाद इलाहाबाद को अपने नाम की पहचान मिली. अधिकांश लोगों ने इसका स्वागत किया. अब इस शहर को लोग प्रयागराज के नाम से जानने लगे हैं.

आपको बता दें कि प्रयागराज मूल रूप से एक प्रशासनिक और शैक्षिक शहर है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय, उत्तर प्रदेश के महालेखा परीक्षक, रक्षा लेखा के प्रमुख नियंत्रक (पेंशन) पीसीडीए, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद, पुलिस मुख्यालय, मोती लाल नेहरू प्रौद्योगिकी संस्थान, मेडिकल और कृषि कॉलेज, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी), आईटीआई नैनी और इफ्को फुलपुर, त्रिवेणी ग्लास यहां के  कुछ प्रमुख संस्थान हैं.

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