मुस्लिमों को RSS की जानकारी देना और दलितों का धर्म बदलना! PFI को लेकर सामने आए ये दावे

आशीष श्रीवास्तव

• 07:57 AM • 03 Oct 2022

Lucknow News: PFI पर शिकंजा कसते ही उसके ‘नापाक मंसूबे’ सामने आ रहे हैं. जांच एजेंसियों के मुताबिक पकड़े गए पीएफआई के सदस्यों के पास से…

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Lucknow News: PFI पर शिकंजा कसते ही उसके ‘नापाक मंसूबे’ सामने आ रहे हैं. जांच एजेंसियों के मुताबिक पकड़े गए पीएफआई के सदस्यों के पास से कई अहम सबूत हाथ लगे हैं. आपको बता दें कि लखनऊ से भी पीएफआई के सदस्य पकड़े गए थे, जिनमें अचरा मऊ से पकड़े गए मोहम्मद फैजान, मोहम्मद सुफियान और रेहान नामक शख्स भी शामिल थे. बताया जा रहा है कि लखनऊ में पकड़े गए पीएफआई सदस्यों के मोबाइल और लैपटॉप में भी सबूत मिले हैं.

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सुरक्षा एजेंसियों की जांच के मुताबिक पीएफआई, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में भी घुसपैठ की तैयारी कर रहा था, जिसके लिए पीएफआई के सदस्यों ने एक सेल भी तैयार किया था. इस सेल में 50 युवकों को पीएफआई के नेता ट्रेनिंग दे रहे थे. जांच में खुलासा हुआ है कि इन सभी को सनातन धर्म और देवी-देवताओं के बारे में बताया जाता था. यहां तक की इन सभी को आरएसएस की शाखा के तौर तरीकों के बारे में भी जानकारी दी जाती थी. सुरक्षा एजेंसियों की जांच में सामने आया है कि पीएफआई का लक्ष्य आरएसएस के अंदर अपने लोगों की पैठ बनाने का था, जिससे वहां की हर सुचना को पीएफआई प्राप्त कर सकें.

सुरक्षा एजेंसियों की जांच के अनुसार पीएफआई चुनाव के जरिए मीडिया में अपनी जगह बनाना चाहता था. पंचायत चुनाव से लेकर नगर निकाय चुनाव और विधानसभा चुनाव तक में यह अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रहा था. गौरतलब है कि पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष अहमद बेग नगरी ने बहराइच के कैसरगंज से विधानसभा चुनाव भी लड़ा था.

आपको बता दें कि लखनऊ के अचरा मऊ का प्रधान अरशद खुद पीएफआई का एक सक्रिय सदस्य था, जिसने गांव के ज्यादातर लोगों को पीएफआई के साथ जोड़ा. उसी गांव से तकरीबन आधा दर्जन लोग  गिरफ्तार हुए हैं. 

गौरतलब है कि सुरक्षा एजेंसियों और एसटीएफ की टीमों ने जब लखनऊ के अचरा मऊ गांव में छापेमारी की थी तब पीएफआई के पंपलेट, पोस्टर सहित कई अन्य सामग्री भी मिली थी जिसको चुनाव प्रचार प्रसार में प्रयोग किया जाता था. यहां तक की गांव से प्रिंट मशीन और उसके साथ सदस्यता फॉर्म भी बरामद किए गए थे. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार उन्हें इस बात के पक्के सबूत मिल रहे हैं कि पीएफआई अपनी सियासी ताकत को बढ़ाना चाहता था.

सुरक्षा एजेंसी के अनुसार यह भी खुलासा हुआ है कि पीएफआई के सदस्य दलितों का धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम जनसंख्या बढ़ाने की कोशिश करते थे. पीएफआई से जुड़े लोग उस क्षेत्रों में दलितों और आदिवासियों के साथ खड़े होते थे जहां मुस्लिम जनसंख्या कम होती थी. यहां तक की लोगों को सरकार के खिलाफ आंदोलन के लिए भी भड़काते थे और उनके हितों में आंदोलन भी करते थे. जैसे-जैसे पीएफआई के खिलाफ कार्रवाई हो रही है यह भी सामने आ रहा है कि धर्म परिवर्तन को लेकर भी इनको बड़ी फंडिंग दी जाती थी.

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