Indo Pak War 1971:भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और एयर स्ट्राइक के बाद ताज महल की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. ताजमहल को संवेदनशील जोन घोषित करते हुए इसे हाई अलर्ट पर रखा गया है.लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह पहली बार नहीं है जब ताज महल को इस तरह के खतरे का सामना करना पड़ा है? इतिहास में एक बार पहले भी ताज महल की सुरक्षा बढ़ाई जा रही है. इससे पहले भी भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान ताज महल को सुरक्षा कारणों से हरे कपड़े से ढक दिया गया था.
ADVERTISEMENT
1965 में ढक दिया गया था ताजमहल
BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान नजदीक के हवाई ठिकाने पर पाकिस्तानी हवाई हमले की आशंका को देखते हुए भारत सरकार ने ताज महल को ढकने के लिए काले रंग का विशालकाय कपड़ा सिलवाया ताकि उसे चांदनी रात में ऊपर से नहीं देखा जा सके. ये कपड़ा वर्ष 1995 तक तो सुरक्षित रहा. लेकिन जब उसे चूहों ने जगह-जगह से कुतर दिया, तो उसे नष्ट कर दिया गया.
1971 का युद्ध और ताजमहल का ब्लैकआउट
साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध अपने चरम पर था. पाकिस्तानी वायुसेना की ओर से हवाई हमलों का खतरा मंडरा रहा था, और ताज महल जैसी विश्व प्रसिद्ध धरोहर को निशाना बनाए जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता था. उस समय देश के कई हिस्सों में ब्लैकआउट लागू किया गया था, जिसमें रात के समय सभी रोशनी बंद कर दी जाती थी ताकि दुश्मन के विमानों को निशाना ढूंढने में दिक्कत हो. ताज महल के मामले में तो सुरक्षा के लिए और भी कड़े कदम उठाए गए थे. पाकिस्तानी बमबारी से बचाने के लिए ताजमहल को 15 दिनों के लिए पूरी तरह बंद कर दिया गया था. इतना ही नहीं, इस स्मारक को हरे रंग के कपड़े और बांस की संरचनाओं से ढक दिया गया था ताकि हवाई हमले के दौरान इसे आसानी से निशाना न बनाया जा सके.
ताजमहल की सुरक्षा पर नजर
एसीपी अरीब अहमद ने सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी देते हुए कहा, 'ऑपरेशन सिंदूर के बाद ताज महल को येलो जोन में हाई अलर्ट पर रखा गया है. हमने सुरक्षा के लिए नौ चेकिंग बैरियर, छह वॉच टावर और आठ बुलेटप्रूफ मोर्चों पर 24 घंटे ड्यूटी तैनात की है. दो क्यूआरटी टीमें लगातार गश्त कर रही हैं. हमारी प्राथमिकता ताज महल और पर्यटकों की सुरक्षा हैसऔर इसके लिए कोई कोताही नहीं बरती जाएगी.'
ADVERTISEMENT
