यूपी में MBBS-BDS की 13000 से ज्यादा सीटों के लिए काउंसलिंग - एडमिशन का शेड्यूल जारी, यहां चेक करें

उत्तर प्रदेश में NEET UG 2025 के तहत MBBS और BDS पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राज्य स्तरीय काउंसलिंग का शेड्यूल जारी कर दिया गया है. 18 जुलाई से शुरू हो रही यह प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होगी और 85% राज्य कोटे की 13,244 सीटों पर एडमिशन होगा.

अंकित मिश्रा

• 04:09 PM • 18 Jul 2025

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उत्तर प्रदेश में MBBS और BDS पाठ्यक्रमों में दाखिले का इंतजार कर रहे योग्य उम्मीदवारों के लिए खुशी की खबर है. आपको बता दें कि NEET UG 2025 की राज्य स्तरीय काउंसलिंग का शेड्यूल जारी कर दिया गया है. मेडिकल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग निदेशालय (DGME), उत्तर प्रदेश के निर्देशानुसार, 85% राज्य कोटे की 13,244 सीटों के लिए काउंसलिंग ऑनलाइन माध्यम से आयोजित की जाएगी. 

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उत्तर प्रदेश में NEET UG 2025 के तहत MBBS और BDS कोर्सों में एडमिशन के लिए राज्य स्तरीय काउंसलिंग प्रक्रिया 18 जुलाई दोपहर 2 बजे से शुरू हो रही है. इच्छुक उम्मीदवार 28 जुलाई सुबह 11 बजे तक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे. वहीं, रजिस्ट्रेशन फीस और सिक्योरिटी डिपॉजिट जमा करने की अंतिम समय-सीमा 28 जुलाई दोपहर 2 बजे तय की गई है.

बता दें कि इस बार पूरी काउंसलिंग प्रक्रिया डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आधारित होगी. अभ्यर्थियों को खुद अपनी शैक्षणिक योग्यता और दस्तावेजों के आधार पर योग्यता का मूल्यांकन करते हुए आवेदन करना होगा. यह प्रक्रिया पारदर्शिता को ध्यान में रखकर तैयार की गई है, जिससे बिना किसी मध्यस्थ के उम्मीदवार अपने स्तर पर पंजीकरण कर सकें.

मेडिकल और डेंटल सीटों का विभाजन

उत्तर प्रदेश में MBBS और BDS पाठ्यक्रमों के लिए सीटों का वितरण स्पष्ट रूप से विभिन्न श्रेणियों में किया गया है. सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कुल 5,250 MBBS सीटें उपलब्ध हैं, जिनमें से 4,443 सीटें राज्य कोटे के अंतर्गत आती हैं. शेष 766 सीटें ऑल इंडिया कोटे की हैं, जिनकी काउंसलिंग 30 जुलाई से शुरू होगी, जबकि 21 सीटें सेंट्रल पूल कोटे में आरक्षित हैं जिनकी काउंसलिंग 30 जुलाई से NEET के माध्यम से की जाएगी. 

वहीं, प्रदेश के 36 प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में कुल 6,600 MBBS सीटें हैं, जिन पर 18 जुलाई से काउंसलिंग शुरू हो चुकी है. डेंटल कोर्स (BDS) की बात करें तो KGMU लखनऊ में कुल 70 सीटें उपलब्ध हैं, जिनमें 51 सीटें राज्य कोटे की हैं और बाकी 9 सीटें ऑल इंडिया कोटे की और 10 सीटें सेंट्रल पूल कोटे की हैं. इसके अलावा, प्राइवेट डेंटल कॉलेजों में कुल 2,150 BDS सीटें हैं, जिनके लिए भी काउंसलिंग 18 जुलाई से शुरू हो गई है. 

कहां-कहां बनें हैं डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन सेंटर?

उत्तर प्रदेश में MBBS और BDS कोर्सों की काउंसलिंग प्रक्रिया के तहत दस्तावेज सत्यापन के लिए पूरे राज्य में कुल 20 सरकारी वेरिफिकेशन केंद्र बनाए गए हैं. इन केंद्रों में प्रमुख संस्थानों में KGMU लखनऊ, डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान (लखनऊ), GSVM मेडिकल कॉलेज कानपुर, SN मेडिकल कॉलेज आगरा और BRD मेडिकल कॉलेज गोरखपुर शामिल हैं. इनके अलावा प्रयागराज, झांसी, मेरठ, इटावा, ग्रेटर नोएडा जैसे शहरों के सरकारी मेडिकल कॉलेजों को भी वेरिफिकेशन केंद्र के रूप में चयनित किया गया है.

अन्य जिलों जैसे आजमगढ़, कन्नौज, शाहजहांपुर, बांदा, बदायूं, जालौन, अंबेडकर नगर, फिरोजाबाद, अयोध्या और फतेहपुर में भी अभ्यर्थियों की सुविधा के लिए वेरिफिकेशन केंद्र बनाए गए हैं. वहीं, निजी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों की सीटों पर प्रवेश लेने वाले छात्रों के लिए कुल 10 वेरिफिकेशन सेंटर निर्धारित किए गए हैं, जिनमें बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी और तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज मुरादाबाद प्रमुख हैं. 

कौन कर सकता है आवेदन?

उत्तर प्रदेश में MBBS और BDS कोर्सों के लिए राज्य स्तरीय NEET UG 2025 काउंसलिंग में वही अभ्यर्थी भाग ले सकते हैं, जिन्होंने NEET UG 2025 परीक्षा सफलतापूर्वक पास की हो. बता दें कि राज्य कोटे की 85% सीटों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवार का उत्तर प्रदेश का मूल निवासी होना जरूरी है. अगर अभ्यर्थी ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट दोनों परीक्षाएं यूपी बोर्ड या राज्य के किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से पास की हैं, तो उसे निवास प्रमाण पत्र देने की जरूरत नहीं होगी. 

हालांकि, अगर किसी एक कक्षा की पढ़ाई उत्तर प्रदेश से बाहर से की गई है, तो यूपी निवासी प्रमाण पत्र अनिवार्य रूप से दीना होगा. वहीं, निजी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों की सीटों के लिए भारत के किसी भी राज्य के अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं. इन संस्थानों में निवास स्थान की कोई बाध्यता नहीं रखी गई है.

शासकीय सेवा का बंधन

इस पाठ्यक्रम में दाखिला लेने वाले छात्रों के लिए दो सालों की शासकीय सेवा जरूरी कर दी गई है. आपको बता दें कि इसके लिए विद्यार्थियों को Rs.10 लाख रुपये का एक बॉन्ड भरना होगा. 

इस बंधन के तहत छात्रों को कोर्स पूरा करने के बाद महानगरों के बजाय अन्य जिलों में स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेजों में नॉन-PG जूनियर रेजिडेंट या फिर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) में संविदा चिकित्सा अधिकारी के तौर पर सेवा देनी होगी. इस व्यवस्था का उद्देश्य ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में चिकित्सकीय सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना है.

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