संभल में 13वें दिन अचानक क्यों रोक दी गई बावड़ी की खुदाई? ASI ने जो वजह बताई उसे आप भी जानिए

उत्तर प्रदेश के संभल जिले के चंदौसी में स्थित ऐतिहासिक राजा आत्मा राम की बावड़ी की खुदाई 13वें दिन अचानक रोक दी गई. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ने बावड़ी की 25 फीट तक खुदाई के बाद इसे खतरनाक स्थिति का हवाला देते हुए बंद करवा दिया.

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यूपी तक

• 05:56 PM • 04 Jan 2025

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उत्तर प्रदेश के संभल जिले के चंदौसी में स्थित ऐतिहासिक राजा आत्मा राम की बावड़ी की खुदाई 13वें दिन अचानक रोक दी गई. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ने बावड़ी की 25 फीट तक खुदाई के बाद इसे खतरनाक स्थिति का हवाला देते हुए बंद करवा दिया. बावड़ी की दीवारों के टूटने, मंजिल के धंसने और ऑक्सीजन की कमी जैसी समस्याएं खुदाई को रोकने का कारण बनीं.

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इस बीच ऐतिहासिक बावड़ी को लेकर सहसपुर बिलारी रियासत के राजा चंद्र विजय ने सरकार और प्रशासन से इसे फिर से खुदवाने की मांग की है.

 

 

राजा चंद्र विजय की अपील

सहसपुर बिलारी रियासत के राजा चंद्र विजय ने सरकार और प्रशासन से इस बावड़ी को संरक्षित करने और इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक धरोहर उनके परिवार द्वारा तैयार कराई गई थी और चंदौसी के लोगों के लिए बेहद खास है.

राजा चंद्र विजय ने कहा, "बावड़ी हमारे परिवार की बनाई हुई धरोहर है, लेकिन यह जनता के लिए है. सरकार इसे अपने अधीन लेकर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करे." उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने इस संबंध में सरकार को चिट्ठी लिखी है.

 

 

बावड़ी की खुदाई में मिली चुनौतियां

13 दिनों की खुदाई के दौरान एएसआई की टीम दूसरी मंजिल तक पहुंची थी. मजदूरों ने बताया कि नीचे रेत दिखने लगी है, दीवारें कमजोर हो रही हैं और ऑक्सीजन की कमी महसूस हो रही है. जब टीम सर्वे के लिए अंदर गई, तो खतरे के संकेत पाकर तुरंत बाहर आ गई. इसके बाद मजदूरों को भी काम बंद करने का निर्देश दिया गया.

पर्यटन स्थल बनाने की जरूरत

राजा चंद्र विजय ने इस बावड़ी को चंदौसी के लिए एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि चंदौसी में पर्यटन स्थलों की कमी है, और इस बावड़ी का संरक्षण न केवल इसके ऐतिहासिक महत्व को उजागर करेगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगा.

राजा चंद्र विजय सहसपुर बिलारी रियासत के वारिस हैं और कुंदरकी से भाजपा के विधायक और मुरादाबाद से सांसद रह चुके हैं. उनका परिवार चंदौसी और आसपास के क्षेत्र में ऐतिहासिक और राजनीतिक योगदान के लिए जाना जाता है. उन्होंने कहा कि इस बावड़ी की खुदाई के पीछे छिपी कहानी को सामने लाना बेहद जरूरी है.

 

 

बता दें कि बावड़ी की 25 फीट तक खुदाई के बाद दूसरी मंजिल दिखने लगी थी. इस दौरान दूसरी मंजिल के गेट का मलबा हटने पर एएसआई की टीम मुंह पर रूमाल बांधकर सर्वे  के लिए अंदर गई तो कुछ खतरे के संकेत नजर आए. टीम तुरंत बाहर आ गई और मजदूरों को काम रोकने के निर्देश दिए. इस दौरान मलबा हटाने वाले मजदूरों ने कहा कि बावड़ी की दूसरी मंजिल में नीचे रेत दिखाई दी है. दीवारें टूट रही हैं. मंजिल के धंसने का खतरा है. नीचे ऑक्सीजन की भी कमी है. अंदर जाने से गर्मी लग रही है.

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