कड़ाके की ठंड और घने कोहरे के बीच अयोध्या की सियासत में अचानक गर्मी बढ़ गई है. इसकी वजह है भारतीय जनता पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी और राम जन्मभूमि आंदोलन के फायर ब्रांड नेता रहे विनय कटियार की हालिया मुलाकात. इस मुलाकात के बाद यह सवाल तेज हो गया है कि क्या लंबे समय से सक्रिय राजनीति से दूर दिख रहे विनय कटियार एक बार फिर अयोध्या की राजनीति में वापसी कर सकते हैं. प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी से मुलाकात के बाद अयोध्या में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. यूपी Tak की टीम ने अयोध्या में संत समाज, स्थानीय लोगों और युवाओं से बात कर यह जानने की कोशिश की अगर विनय कटियार दोबारा चुनावी मैदान में उतरते हैं तो माहौल कैसा रहेगा.
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क्या है संत समाज की राय
अयोध्या में मौसम भले ही बेहद ठंडा है.लेकिन राजनीति में गर्माहट साफ दिखाई दे रही है. लखनऊ में प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी और विनय कटियार की मुलाकात के बाद चर्चा तेज है कि क्या विनय कटियार दोबारा अयोध्या की राजनीति में लौटेंगे. इसी सवाल को लेकर रिपोर्टर ने अलग-अलग वर्गों से प्रतिक्रिया ली.
यूपी Tak की टीम ने एक संत से सवाल किया किया कि विनय कटियार को लेकर क्या चर्चा है? इस पर महाराज ने कहा कि “विनय कटियार राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े रहे हैं. वे राष्ट्रीय महामंत्री, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष, राज्यसभा सांसद और कई बार सांसद रह चुके हैं. लेकिन टिकट किसे मिलेगा यह भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व तय करेगा. जिसको भी पार्टी टिकट देगी अयोध्या की जनता, संत समाज और हिंदू जनमानस उसे भरपूर समर्थन देकर भारी मतों से जिताने का काम करेगा.”
इसके बाद रिपोर्टर ने महामंडलेश्वर विष्णुदास महाराज से पूछा कि क्या विनय कटियार आज भी अयोध्या में स्वीकार्य हैं? इस पर उन्होंने कहा कि “हम अयोध्या के साधु-संत हैं किसी पार्टी से नहीं जुड़े हैं. लेकिन अगर विनय कटियार अयोध्या से चुनाव लड़ते हैं तो उनका स्वागत है. भगवान रामलला और हनुमान जी की कृपा उन पर बनी रहे. साधु समाज उन्हें पसंद करता है लेकिन हम किसी राजनीतिक दल के नहीं हैं.”
रिपोर्टर ने जब जगतगुरु स्वामी कृपाते जी महाराज से पूछा कि वे विनय कटियार को कैसे देखते हैं तो उन्होंने संतुलित लेकिन साफ राय रखी. उन्होंने कहा कि “मैं विनय कटियार को अच्छे से जानता हूं. उनके साथ बजरंग दल में काम किया है. वे अच्छे और प्रभावशाली नेता रहे हैं. लेकिन अब देश को नौजवानों की जरूरत है. बुजुर्गों का आशीर्वाद जरूरी है लेकिन लड़ने के लिए नौजवानों की ताकत चाहिए. ”
उन्होंने आगे कहा कि “राम नौजवान थे, विवेकानंद नौजवान थे, चंद्रशेखर आजाद नौजवान थे. जब नौजवान लड़ेंगे, तभी रामराज्य आएगा. अयोध्या के लिए किसी सक्षम नौजवान को टिकट मिलना चाहिए. विनय कटियार सहित सभी बुजुर्ग नेताओं का आशीर्वाद जरूरी है लेकिन मैदान में उतरने का काम युवाओं को करना चाहिए.”
युवाओं ने कही ये बात
रिपोर्टर ने वहां मौजूद एक युवा अमन सिंह यादव से पूछा कि क्या वे भी नौजवान नेता चाहते हैं? इसपर अमन सिंह यादव ने कहा कि “अब चुनाव सिर्फ धर्म के नाम पर नहीं होना चाहिए बल्कि विकास के नाम पर होना चाहिए. नेता यह बताए कि वह अगले पांच साल में क्या काम करेगा. हम उसी आधार पर वोट करेंगे.” जब विनय कटियार पर उनकी राय पूछेगी गई तो उन्होंने कहा कि “उन्होंने धर्म के मुद्दे को आगे बढ़ाया, इसका सम्मान है. लेकिन अब चुनाव विकास पर होगा तो उम्मीदवार क्या लेकर आ रहा है इस पर हमारी राय निर्भर करेगी.”
स्थानीय लोगों ने भी दी अपनी राय
वहीं स्थानीय लोगों की राय इस मुद्दे पर बंटी हुई दिखी.एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि “विनय कटियार राम जन्मभूमि आंदोलन के बड़े नेता रहे हैं. उम्र मायने नहीं रखती, अनुभव मायने रखता है. अगर पार्टी उन्हें टिकट देती है तो वे चुनाव जीत सकते हैं.”
हालांकि इस पर फिर से जगतगुरु स्वामी कृपाते जी महाराज ने सवाल उठाते हुए कहा कि “अगर अनुभव ही सब कुछ है तो आडवाणी जी और मुरली मनोहर जोशी को पहले बड़ी जिम्मेदारी क्यों नहीं दी गई?” इसके जवाब में स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि “पार्टी ने उन्हें कभी अपमानित नहीं किया. सम्मान आज भी है. पद देना या न देना पार्टी का अंदर का मामला है.”
यहां देखें पूरी वीडियो रिपोर्ट
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