'लड़की के ब्रेस्ट पकड़ना, पाजामे का नाड़ा खींचना रेप नहीं' वाली टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ? एडवोकेट रचना त्यागी से जानिए

'Grabbing Breast Not Rape Attempt' Comment Latest Update: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की उस टिप्पणी को असंवेदनशील और अमानवीय करार देते हुए रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि महज स्तन पकड़ना और पायजामे का नाड़ा खींचना बलात्कार के अपराध के दायरे में नहीं आता. पढ़ें पूरी खबर.

याचिकाकर्ता की वकील रचना त्यागी

संजय शर्मा

• 04:43 PM • 26 Mar 2025

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'Grabbing Breast Not Rape Attempt' Comment Latest Update: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की उस टिप्पणी पर सख्त रुख अपनाया है, जिसमें कहा गया था कि "महज स्तन पकड़ना और पायजामे का नाड़ा खींचना बलात्कार के अपराध के दायरे में नहीं आता." इस टिप्पणी को पूरी तरह "असंवेदनशील और अमानवीय दृष्टिकोण" वाला बताते हुए शीर्ष अदालत ने इस पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट की इस कार्रवाई के बाद पूरे देश में इस मामले को लेकर चर्चा तेज हो गई है.

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क्या है पूरा मामला?

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 17 मार्च को एक आदेश में कहा था कि "महज स्तन पकड़ना और पायजामे का नाड़ा खींचना बलात्कार के अपराध की परिभाषा में नहीं आता, हालांकि इसे महिला के खिलाफ आपराधिक बल प्रयोग माना जा सकता है." यह आदेश न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा ने दिया था, जिसमें दो आरोपियों द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई की गई थी. याचिकाकर्ताओं ने कासगंज के विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (बलात्कार) और पोक्सो एक्ट की धारा 18 (बलात्कार के प्रयास) के तहत मामला दर्ज किया गया था. हाई कोर्ट ने इन धाराओं को बदलते हुए कहा कि यह अपराध बलात्कार नहीं बल्कि छेड़छाड़ की श्रेणी में आता है.

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए इस पर कड़ी आपत्ति जताई और उत्तर प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, "हमें यह कहते हुए तकलीफ हो रही है कि हाई कोर्ट के आदेश में की गई कुछ टिप्पणियां पूरी तरह असंवेदनशील हैं और पीड़िता के अधिकारों के खिलाफ जाती हैं."

याचिकाकर्ता की वकील रचना त्यागी से बातचीत

पीड़िता की ओर से वकील रचना त्यागी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है और मामले की अगली सुनवाई में इस पर विस्तृत चर्चा होगी. रचना त्यागी ने कहा कि, "हमारी स्पेशल पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में एडमिट हो गई है, और कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि हाई कोर्ट की ये टिप्पणियां न केवल असंवेदनशील हैं, बल्कि महिला सुरक्षा के लिए खतरा भी हैं." उन्होंने यह भी बताया कि, "इस मामले में सबसे गंभीर चिंता यह है कि घटना को हुए तीन साल से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन अब तक पीड़िता की शिकायत पर औपचारिक जांच शुरू नहीं हुई है. सुप्रीम कोर्ट से हमें उम्मीद है कि वह इस मामले में सख्त रुख अपनाएगा और जल्द से जल्द जांच के आदेश देगा."

वीडियो में देखें रचना त्यागी और क्या-क्या बताया?

अब आगे क्या?

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाई कोर्ट की विवादित टिप्पणियों पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार और अन्य संबंधित पक्षों से जवाब मांगा है. अब अगली सुनवाई में तय होगा कि इस केस में आगे क्या कार्रवाई होगी.

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