सपा से निकाले गए 3 विधायक राकेश सिंह, अभय सिंह और मनोज पांडे के सामने अब क्या है ऑप्शन?

यूपी में सपा के तीन बागी विधायक 'असंबद्ध' घोषित. राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह, मनोज पांडेय पर गिरी गाज. जानें बीजेपी में जाने या इस्तीफे का विकल्प.

राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह और मनोज पांडेय

यूपी तक

• 04:27 PM • 10 Jul 2025

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UP Political News: उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में इस वक्त हलचल है. समाजवादी पार्टी के तीन प्रमुख विधायक, राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह और मनोज पांडेय, को विधानसभा में 'असंबद्ध' (unattached/unaffiliated) घोषित कर दिया गया है. यह बड़ी कार्रवाई पिछले साल हुए राज्यसभा चुनाव में उनकी क्रॉस वोटिंग के बाद हुई है, जिसने भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ की जीत सुनिश्चित की थी. सपा ने हाल ही में इन विधायकों को पार्टी से निष्कासित भी कर दिया था और अब इस घोषणा के बाद वे सदन में किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े नहीं माने जाएंगे.

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तीनों के सामने क्या है अब ऑप्शन?

आपको बता दें कि तीनों विधायकों को सपा ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. अब उनके सामने भाजपा या कोई अन्य पार्टी को जॉइन करने का विकल्प है. मनोज पांडे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा जॉइन कर चुके हैं. 

इन विधायकों के पास दूसरा विकल्प यह है कि वे नैतिकता के आधार पर अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दें. अगर वे ऐसा करते हैं, तो उनकी सीटों पर उपचुनाव होंगे, जिसमें वे भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरकर अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं. 

क्या है 'असंबद्ध' होने का मतलब और कैसे जाती है विधायकी?

इन विधायकों की विधानसभा सदस्यता अभी समाप्त नहीं हुई है. 'असंबद्ध' घोषित होने का अर्थ है कि वे अब समाजवादी पार्टी के सदस्य के तौर पर विधानसभा में नहीं बैठेंगे. उन्हें विधानसभा में 'असंबद्ध विधायक' के तौर पर सीट आवंटित होगी, लेकिन वे सपा के प्रतिनिधि नहीं माने जाएंगे.

क्या है मामला?

यह पूरा मामला पिछले साल हुए राज्यसभा चुनाव से जुड़ा है. समाजवादी पार्टी ने अपने विधायकों को पार्टी लाइन के अनुसार मतदान करने का निर्देश दिया था. मगर, राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह और मनोज पांडेय ने पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए भाजपा उम्मीदवार संजय सेठ के पक्ष में वोट डाला. इसके चलते भाजपा उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित हुई थी. इस क्रॉस वोटिंग के बाद से ही इन विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की अटकलें लगाई जा रही थीं. 

समाजवादी पार्टी ने इन विधायकों के इस कृत्य को पार्टी विरोधी गतिविधि माना और विधानसभा अध्यक्ष से इनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. वहीं अब विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय द्वारा जारी इस घोषणा के बाद, ये विधायक अब सदन के भीतर किसी भी राजनीतिक दल के सदस्य के रूप में नहीं पहचाने जाएंगे.

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