उत्तर प्रदेश में 10 जून को राज्यसभा की 11 सीटों के लिए चुनाव होने हैं. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) गठबंधन और समाजवादी पार्टी (सपा) गठबंधन की मौजूदा स्ट्रेंथ के हिसाब से देखें तो दोनों को क्रमशः 7 और 3 सीट पर जीत मिलनी तय है. मौजूदा हाल में आठवीं सीट पर भी मामला बीजेपी के पक्ष में ही जा रहा है. आपके मन में यह ख्याल जरूर आ रहा होगा कि आखिर ऐसी कौन सी गणित है, जो यह तय कर रही है कि किस गठबंधन के खाते में कितनी राज्यसभा सीटें जाएंगी. आइए इस गणित को स्टेप-बाइ-स्टेप समझते हैं.
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पहले जानिए सदस्य चुनने का यूपी में क्या होगा फॉर्म्युला
राज्यसभा के लिए विशेष चुनाव प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम (STV) कहते हैं, राज्यसभा सदस्यों के चुनाव में विधानसभा के विधायक हिस्सा लेते हैं. राज्यसभा सांसदों के चुनाव का एक फॉर्म्युला होता है. इसे फॉर्म्युले को समझने के लिए हमने समाजवादी पार्टी के राज्यसभा कैंडिडेट जावेद अली से संपर्क किया. उन्होंने हमें बताया कि यह फॉर्म्युला होता है, (कुल वैलिड वोट/ खाली सीटें+ 1) + 1.
अब यूपी के संबंध में इसे समझते हैं. यूपी के लिए कुल वैलिड वोट फिलहाल के लिए कुल विधानसभा सीट मान लेते हैं. यानी (403/11+1)+1, यानी 403 में हमें पहले 12 से भाग देना है. इसका परिणाम आता है 33.58, अब इसमें हमें एक जोड़ना है. यानी अंतिम परिणाम आया 34.58. जावेद अली बताते हैं कि इस हिसाब से एक कैंडिडेट को प्रथम वरीयता के 34.58 वोट चाहिए.
अब इस गणित से समझते हैं कि किस गठबंधन के कितने उम्मीदवार जीतेंगे. समाजवादी पार्टी गठबंधन के पास 125 सीटें हैं. उन्होंने तीन उम्मीदवार खड़े किए हैं. तीनों उम्मीदवारों को प्रथम वरीयता के 34.58 वोट मिले तो कुल वोट 103.7 हुए. यानी इसके बाद सपा गठबंधन के पास सिर्फ 21.3 वोट बचे.
वहीं बीजेपी गठबंधन के पास 273 वोट हैं. इस हिसाब से 7 कैंडिडेट को 34.58 प्रथम वरीयता के वोट मिले तो कुल वोट 242.06 हुए. यानी इसके बाद बीजेपी गठबंधन के पास 30.04 वोट बचे. यानी आठवें कैंडिडेट के लिए बीजेपी के पास सपा गठबंधन से ज्यादा वोट बचे. इस हिसाब से बीजेपी 11 में से 8 सीटों पर सीधे जीत दर्ज कर लेगी.
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