UP News: देश की सेवा में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले जवानों की सुरक्षा और सम्मान की जिम्मेदारी हर सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए. लेकिन अक्सर ऐसे जवान जो सेवा के दौरान घायल होते हैं उन्हें उचित मान्यता और मुआवजा नहीं मिलता. ऐसी ही एक पीड़ा लेकर सामने आया है अग्निवीर अमरनाथ जायसवाल का मामला, जिन्होंने सेना में अपनी सेवाएं दी लेकिन चोट लगने के बाद उन्हें बैटल कैजुअल्टी के सर्टिफिकेट के बावजूद कोई उचित मुआवजा या सहारा नहीं मिला. राहुल गांधी की भागलपुर रैली में उन्होंने भावुक होकर कहा, "सेना के शेरों को नहीं छेड़ना चाहिए क्योंकि वे पलट कर वार करते हैं." बता दें कि अमरनाथ जायसवाल उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के रहने वाले हैं और एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनका घर अवध क्षेत्र में स्थित है. वे परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे और सेना में अग्निवीर के रूप में भर्ती होकर देश की सेवा कर रहे थे.
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क्या है अग्निवीर अमरनाथ की कहानी
अमरनाथ जायसवाल ने मार्च 2023 में नासिक रोड में आर्टिलरी की ट्रेनिंग पूरी कर सेना में प्रवेश किया. वे 28 टू मीडियम रेजीमेंट में तैनात थे. 18 जनवरी 2024 को पोखरण फील्ड रेंज में टारगेट मार्किंग करते समय एक विस्फोट हुआ जिसमें उनकी हाथ की उंगली गंभीर रूप से घायल हो गई. विस्फोट के कारण उनकी पूरी उंगली चली गई और हाथ की पकड़ (ग्रिप) कमजोर हो गई.
उसके बाद भी अमरनाथ ने सेना में अपनी सेवाएं देने की पूरी कोशिश की लेकिन अंत में उन्हें 'बैटल कैजुअल्टी' घोषित कर सेना से बाहर कर दिया गया. लेकिन आपको बता दें कि उनके साथ सबसे बड़ी त्रासदी यह रही कि उन्हें इस गंभीर चोट के बावजूद कोई कंपनसेशन या मुआवजा नहीं मिला.
मुआवजा न मिलने पर लगाई न्याय की गुहार
अमरनाथ ने कई सरकारी अधिकारियों को पत्र लिखे जैसे रक्षा मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय, सेना प्रमुख, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला. उनके दस्तावेजों और स्थिति की जांच के बाद भी प्रशासन की ओर से कोई राहत नहीं दी गई. इसके अलावा उनकी तनख्वाह भी कई महीने से लंबित है और जो प्रोविडेंट फंड जमा हुआ है वह भी उन्हें नहीं मिला. जबकि अग्निवीरों की नीति के तहत अगर कोई घायल होता है तो उसे मुआवजा मिलना चाहिए लेकिन अमरनाथ को केवल 15% बैटल कैजुअल्टी दी गई, जो मुआवजे के दायरे से कम है.
कर्नल रोहित चौधरी ने कहा अग्निवीरों के साथ हो रहा अन्याय
कर्नल रोहित चौधरी ने बताया कि अग्निवीरों के मामले में सरकारी नीति में गंभीर खामियां हैं. बैटल कैजुअल्टी के लिए 20% से कम नुकसान को मुआवजे के दायरे में नहीं लिया जाता जिससे अमरनाथ जैसे घायल सैनिकों को भी न्याय नहीं मिलता.
उन्होंने कहा कि जहां नियमित सैनिकों को रीमस्टरिंग और पुनर्वास का मौका मिलता है, वहीं अग्निवीरों को यह सुविधा नहीं दी जाती. इसके कारण वे घायल होते ही नौकरी से बाहर हो जाते हैं और उनका भविष्य अनिश्चित हो जाता है. कर्नल ने यह भी बताया कि सरकार और सेना दोनों की तरफ से इस मामले में कोई तर्क या उचित जवाब नहीं दिया गया. यह स्थिति न केवल अमरनाथ के लिए बल्कि कई अन्य अग्निवीरों के लिए चिंताजनक है.
राहुल गांधी की भूमिका
आपको बता दें कि राहुल गांधी ने लगातार अग्निवीरों के अधिकारों और न्याय की मांग को उठाया है. भागलपुर रैली में अमरनाथ को मंच पर बुलाकर उनकी कहानी सुनना और उनकी समस्याओं को सार्वजनिक रूप से उठाना इस बात का प्रमाण है कि देश के कुछ नेता इन वीर जवानों की आवाज बन रहे हैं. राहुल गांधी ने अग्निपथ नीति की आलोचना करते हुए इसे देश और युवाओं के लिए हानिकारक बताया है और अग्निवीरों को नियमित सेना में शामिल करने की मांग की है. उन्होंने इस मुद्दे को संसद में भी उठाया है और कांग्रेस की न्याय यात्रा में इसका समर्थन किया है.
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