UP News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में पर्यावरण संरक्षण के लिए समूहिक जिम्मेदारी और जनभागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया है. इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित इस संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने इस साल की थीम "प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास" के महत्व को रेखांकित किया.
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संस्कृति और धर्म से जुड़ी प्रकृति प्रेम की परंपरा
मुख्यमंत्री ने भारत की प्राचीन परंपराओं का उल्लेख करते हुए कहा कि "हमारे वैदिक दर्शन और सनातन धर्म में प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने की बात सदैव कही गई है. हर शुभ कार्य की शुरुआत धरती, जल, वायु और सभी जीवों के कल्याण की प्रार्थना से होती है. अथर्ववेद में धरती को मां कहा गया है. ऐसे में उसका संरक्षण हमारा कर्तव्य है."
जन भागीदारी से ही होगा नेट जीरो लक्ष्य हासिल
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का जो लक्ष्य तय किया गया है, उसे जनसहयोग के बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा, "जब तक हम सभी मिलकर प्रकृति के साथ संतुलन नहीं बनाएंगे, तब तक सतत विकास का सपना अधूरा रहेगा."
गांवों की पारंपरिक व्यवस्थाएं पर्यावरण संरक्षण की मिसाल
मुख्यमंत्री ने ग्रामीण भारत की परंपरागत व्यवस्थाओं जैसे गांवों के तालाब, चारागाह, जैविक खाद के गड्ढे और खलिहान को पर्यावरण संरक्षण की कुंजी बताया. उन्होंने आधुनिकता के चलते इन व्यवस्थाओं के लुप्त होने पर चिंता जताई और कहा कि "तालाबों का नाला बन जाना और चारागाहों पर अतिक्रमण आत्मघाती है."
प्रकृति के साथ समरसता की भारतीय परंपरा
सीएम योगी आदित्यनाथ ने भारतीय संस्कृति में पेड़ों और जानवरों की पूजा की परंपरा को दोहराया. उन्होंने कहा कि "पीपल, बरगद, जामुन जैसे पेड़ों को पूजनीय माना गया. यहां तक कि चींटियों को भी आटा और चीनी से हटाया जाता था. यह प्रकृति के साथ जीने का असली उदाहरण है."
विकास मॉडल पर सवाल
मुख्यमंत्री ने कहा कि आधुनिक विकास मॉडल, खासकर मशीनों पर अत्यधिक निर्भरता ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक और देशज उपायों से जल शुद्धिकरण की आवश्यकता पर बल दिया.
गिद्धों का संकट और जैव विविधता की चिंता
उन्होंने गिद्धों के लुप्त होते जाने पर चिंता जताई और कहा कि "एक समय यह प्रकृति का सफाईकर्मी था, पर अब कीटनाशकों और रसायनों के कारण विलुप्ति की कगार पर है."
बायोडायवर्सिटी संरक्षण के लिए जन आंदोलन का आह्वान
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह धरती केवल मानवों के लिए नहीं है, बल्कि सभी जीवों के लिए है. उन्होंने जैव विविधता संरक्षण के लिए ‘जन आंदोलन’ शुरू करने का आह्वान किया.
कार्यक्रम में उन्होंने बायोडायवर्सिटी से जुड़े उत्पादों और पहलों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया, ग्रीन बजट दस्तावेज और जैव विविधता पर पुस्तिका का विमोचन किया. साथ ही, निबंध, चित्रकला और वाद-विवाद प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार दिए और कार्बन क्रेडिट पर काम कर रहे संगठनों और व्यक्तियों को 10,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया.
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