महोबा पहुंची बाबा की दीवानी शिव रंजनी, पंडित धीरेंद्र शास्त्री से करना चाहती हैं विवाह

Uttar Pradesh News: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से विवाह करने की इच्छा रखने वाली एमबीबीएस की छात्रा और कथावाचक शिवरंजनी तिवारी…

नाहिद अंसारी

13 Jun 2023 (अपडेटेड: 13 Jun 2023, 11:40 AM)

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Uttar Pradesh News: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से विवाह करने की इच्छा रखने वाली एमबीबीएस की छात्रा और कथावाचक शिवरंजनी तिवारी गंगोत्री से सर पर गंगाजल का कलश लेकर पैदल ही मध्य प्रदेश के चर्चित बागेश्वर धाम जा रही हैं. तकरीबन 1150 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए इस भीषण गर्मी में शिवरंजनी अपने पिता और भाई के साथ बुंदेलखंड के महोबा पहुंची हैं. जहां पर जगह-जगह भक्तों द्वारा उनका स्वागत किया गया. एक दिन अपने भक्त के घर में रुककर शिवरंजनी फिर से 44 डिग्री तापमान में पैदल ही अपने प्राणनाथ के दर्शन के लिए चल पड़ी.

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गंगोत्री से पैदल बागेश्वर धाम जा रही शिव रंजनी

गंगा कलश की पूजा विधि विधान से करने के बाद शिवरंजनी तिवारी ने पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Shasti) की जय बोलते हुए अपनी यात्रा के लिए निकल पड़ी है. शिवरजनी की मंशा पंडित धीरेन्द्र शास्त्री से विवाह करने की है और वह खुद उन्हें अपना प्राणनाथ बताती हैं. महोबा पहुंचते ही शिवरंजनी तिवारी का जगह-जगह भक्तों द्वारा स्वागत किया गया. 16 जून को शिवरंजनी कलश यात्रा को लेकर बागेश्वर धाम पहुंचेंगी. मूल रूप से सिवनी मध्य प्रदेश की रहने वाली शिवरंजनी तिवारी अपने पिता और भाई के साथ इस पदयात्रा में निकली है, जिसका मकसद सिर्फ और सिर्फ पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दर्शन और उनसे विवाह करने की मंशा है.

पंडित धीरेंद्र शास्त्री से करना चाहती हैं विवाह

उत्तराखंड के गंगोत्री से आरंभ हुई है, यह यात्रा कई किलोमीटर का परेशानियों भरा सफर तय कर शिवरंजनी बुंदेलखंड के महोबा में हैं. जहां से वह अब बागेश्वर धाम के लिए पैदल प्रस्थान कर रही है.पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का नाम आते ही उनके चेहरे पर मासूम सी लालसा और मुस्कान दिखाई पड़ती है. एमबीबीएस की छात्रा पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से इस कदर लगाव रखती है कि पैदल ही अपने प्राणनाथ से मिलने के लिए चल पड़ी है. यूपी तक से बात करते हुए शिवरंजनी ने बताया कि, ‘पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की वह इसलिए जय बोलती हैं. क्योंकि उन्हीं की कृपा है कि वह पैदल उनसे मिलने जा रही हैं. वह उनके प्राणनाथ हैं और उनसे मिलने की लालसा उन्हें गंगोत्री से बागेश्वर धाम खींच कर ला रही है.’

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