महाकुंभ में आए 67 साल के संत के शरीर पर 4 किलो सोना, गोल्डन बाबा की कहानी जानिए

Golden Baba in Mahakumbh: प्रयागराज के महाकुंभ में हर दिन नए-नए साधु-संतों के अनोखे रूप श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय बनते जा रहे हैं. इसी कड़ी में नया नाम जुड़ा है 67 वर्षीय गोल्डन बाबा का. इनका असली नाम एसके नारायण गिरी महाराज है.

महाकुंभ में गोल्डन बाबा चर्चा का विषय बने हुए हैं.

आनंद राज

18 Jan 2025 (अपडेटेड: 22 Jan 2025, 04:16 PM)

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Mahakumbh Gold Baba: प्रयागराज के महाकुंभ में हर दिन नए-नए साधु-संतों के अनोखे रूप श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय बनते जा रहे हैं. इसी कड़ी में नया नाम जुड़ा है 67 वर्षीय गोल्डन बाबा का. इनका असली नाम एसके नारायण गिरी महाराज (SK Narayana Giri Maharaj) है. ये महाराज अपने शरीर पर धारण किए गए गोल्ड को लेकर आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. बाबा का कहना है कि उनका सोना केवल बाहरी चमक नहीं, बल्कि उनके आध्यात्मिक जीवन और साधना का प्रतीक है.

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शरीर पर 4 किलो सोना, कीमत 6 करोड़

गोल्डन बाबा( Golden Baba) का पूरा शरीर लगभग 4 किलो सोने से सजा हुआ है. इसकी कीमत लगभग 6 करोड़ रुपये है. उनके आभूषणों में सोने की अंगूठियां, कंगन, घड़ी और एक सोने की छड़ी शामिल है. इस छड़ी पर देवी-देवताओं के कई लॉकेट लगे हैं, जिनसे लगभग 20 सोने की मालाएं बनाई जा सकती हैं. बाबा के मोबाइल का कवर भी सोने से बना हुआ है.

गोल्डन बाबा कौन हैं?

Golden Baba मूल रूप से केरल के रहने वाले हैं, लेकिन वर्तमान में दिल्ली में निवास करते हैं. वे निरंजनी अखाड़ा( Niranjani Akhada) से जुड़े हुए हैं और अखाड़े के अध्यक्ष रवींद्र पुरी महाराज से दीक्षा लेकर संन्यासी बने हैं. बाबा ने महाकुंभ में अपनी उपस्थिति से श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर लिया है. उनका कहना है कि लोग उन्हें प्यार से "गोल्डन बाबा" कहते हैं, और उन्हें इस नाम से कोई परहेज नहीं है.

सोना: साधना और गुरु के प्रति श्रद्धा का प्रतीक

बाबा के अनुसार, उनके हर आभूषण का संबंध उनकी साधना और गुरु भक्ति से है. उनके अनुसार, "यह सोना केवल बाहरी दिखावा नहीं है, बल्कि मेरे आध्यात्मिक जीवन और गुरु के प्रति समर्पण का प्रतीक है." वे अपने सोने के आभूषणों को साधना की ऊर्जा से भरा हुआ मानते हैं. बाबा ने अपने गुरु और निरंजनी अखाड़े के प्रति अटूट श्रद्धा व्यक्त करते हुए कहा कि उनके जीवन का हर पहलू गुरु भक्ति से प्रेरित है. महाकुंभ में जहां भी बाबा जाते हैं, उनकी झलक पाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है. 

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