उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के कथित पेशाब कांड पर समाजवादी पार्टी से लेकर बहुजन समाज पार्टी तक, सब सक्रिय हो गए हैं. इस मामले के पीड़ित दलित बुजुर्ग रामलाल लखनऊ के काकोरी थाना के गांव में रहते हैं. वहां पर एक मंदिर में बैठने और प्रांगण में कथित तौर पर पेशाब हो जाने के मामले ने ऐसा तूल पकड़ा कि अब इसपर सियासत हो रही है. रामलाल दलित समुदाय से आते हैं. उनका आरोप यह है कि वो दमा के मरीज हैं और वह उस बरामदे में बैठे थे जो उनके घर के सामने और वो मंदिर का बरामदा है. गलती से उनसे पेशाब हो गया क्योंकि वो बीमार थे. वो उठकर जा नहीं पाए. जब इसकी जानकारी वहां के मंदिर के संचालक को हुई तो उसने उनसे बहुत ही अमानवीकृत करवाया.
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बकौल रामलाल उनसे पेशाब चटवाया गया और उसके बाद उन्हें जातिसूचक गाली दी गई. रामलाल के इस घटनाक्रम के बाद राजनीति तेज हो गई. एक-एक करके सभी पार्टी के लोग पहुंचने लगे. समाजवादी पार्टी के कुछ स्थानीय नेता पहुंचे. उनसे मुलाकात करने के लिए एआईएमआईएम के भी लोग पहुंचे. यहां तक कि बसपा का भी एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलने पहुंच गया. इस मुद्दे पर सभी पार्टियां खुलकर भारतीय जनता पार्टी को घेर रही हैं. अखिलेश यादव से लेकर मायावती तक सब इस पर बयानबाजी कर रहे हैं.
इस पूरे मामले को समझने के लिए यहां नीचे दी गई हमारी वीडियो रिपोर्ट को देखिए
अखिलेश और मायावती ने क्या कहा?
अखिलेश यादव ने सबसे पहले ट्वीट किया और वह लिखते हैं कि किसी की भूल का अर्थ यह नहीं कि उसे अपमानजनक अमानवीय सजा दी जाए. परिवर्तन ही परिवर्तन लाएगा. बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी अपनी बात रखी. मायावती लिखती हैं कि, 'यूपी के जिला प्रयागराज के थाना धूमनगंज अंतर्गत मामूली बात को लेकर कहासनी में एक दलित व्यक्ति की निशंस हत्या की घटना तथा राजधानी लखनऊ में पेशाब आदि जैसी घटनाएं मीडिया में चर्चा में है. उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश सहित देश के अन्य राज्यों में भी होने वाली ऐसी अमानवीय घटनाएं अति निंदनीय व चिंतनीय हैं. ऐसे बेलगाम हो रहे अपराधिक, सामाजिक व सामंती तत्वों के खिलाफ उत्तर प्रदेश तथा अन्य राज्यों की सरकारें सख्त कार्यवाही करके अपने-अपने राज्यों में कानून के राज को जरूर स्थापित करें ताकि इस प्रकार की शर्मनाक व हिंसक घटनाओं की बढ़ती प्रवृत्ति को रोक रख सके. अर्थात जनहित में कानून का सख्ती से अनुपालन जरूरी.'
एक तरह से देखें तो दलित रामपाल के मुद्दे पर अखिलेश और मायावती के अलावा चंद्रशेखर आजाद और कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दल भी एक साथ खड़े नजर आ रहे हैं. बीजेपी सरकार को घेरने की कोशिश हो रही है. अब देखना होगा कि यूपी में पिछड़े और दलित को लेकर हो रही सियासत किस करवट बैठती है.
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