यूपी Tak के खास शो 'आज का यूपी' में प्रमुख तौर पर 17 अक्टूबर को दो बड़ी राजनीतिक और सामाजिक खबरें छाई रहीं. पहली रामपुर के सांसद मोहिबुला नदवी के पांच निकाह की कहानी, जिसका खुलासा उनकी चौथी पत्नी ने किया है. दूसरी खबर में हमने कैराना की सांसद इकरा हसन को 'मुल्ली' और 'आतंकवादी' कहे जाने पर उनके गुस्से और इसके बाद अखिलेश यादव की चुप्पी की पड़ताल की. ये दोनों ही मामले उत्तर प्रदेश की सियासत और सामाजिक ताने-बाने में गरमाहट ला रहे हैं. अब आप खबर में विस्तार से दोनों मामले जानिए. साथ ही आप दोनों खबरों की वीडियो रिपोर्ट भी देखिए.
ADVERTISEMENT
पहली खबर: रामपुर के सांसद मोहिबुल नदवी के पांच निकाह का खुलासा
उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों रामपुर के सांसद मोहिबुल नदवी अपने एक निजी मामले को लेकर चर्चा में हैं. इस्लाम में चार निकाह की इजाजत होने की बात कही जाती है, लेकिन नदवी के पांच निकाह करने की बात सामने आई है. यह चौंकाने वाला खुलासा उनकी चौथी पत्नी रुमाना परवीन ने किया है.
चौथी पत्नी ने बताई मौलाना की पूरी कहानी
मोहिबुल नदवी के कई निकाह की चर्चा रामपुर में दबे स्वर में चलती रही थी. लेकिन अब उनकी चौथी पत्नी रुमाना परवीन ने खुद सामने आकर पूरी कहानी बताई है. रुमाना परवीन ने बताया कि नदवी ने अब तक पांच शादियां की हैं. उन्होंने अपनी बातचीत में सभी निकाह के स्थानों का भी जिक्र किया.
कहां और कब हुए थे नदवी के निकाह?
रुमाना परवीन के अनुसार, मोहिबुल नदवी का विवाह इतिहास कुछ इस प्रकार है:
- पहला निकाह संभल में हुआ था. (उनकी पत्नी के अनुसार, इस निकाह में पत्नी का इंतकाल हो चुका है)
- दूसरा निकाह रायबरेली में हुआ.
- तीसरा निकाह रामपुर में हुआ.
- चौथा निकाह आगरा में हुआ. रुमाना परवीन खुद आगरा से हैं.
- पांचवां निकाह संभल में हुआ.
सांसद नदवी ने अपने चुनावी हलफनामे में पांच बच्चों का जिक्र किया है.
सियासत पर पड़ सकता है असर?
भले ही इस निजी मामले का कानूनी तौर पर सांसद की सदस्यता पर तत्काल कोई असर न पड़े, लेकिन सामाजिक और राजनीतिक गलियारों में इसका असर जरूर दिखाई देगा. इतने ज्यादा विवाह करना न तो शरियत में आसान है और न ही सार्वजनिक जीवन में राजनीतिक रूप से इसे सही ठहराना आसान होगा. यह मामला न केवल उनके वोटर्स के बीच चर्चा का विषय बनेगा, बल्कि उन्हें जल्द या बाद में इन सभी शादियों को लेकर जवाब देना पड़ सकता है. माना जा रहा है कि पूर्व सांसद आजम खान के समर्थकों द्वारा भी नदवी के खिलाफ इस तरह की बातों को हवा दी गई है. क्योंकि नदवी को अखिलेश यादव ने आजम खान की सीट से टिकट दिया था, जिससे दोनों के बीच अनबन की खबरें सामने आई थीं.
दूसरी खबर: इक्रा हसन पर अभद्र टिप्पणी से उपजा गुस्सा, अखिलेश की चुप्पी पर सवाल
समाजवादी पार्टी (सपा) की सांसद इकरा हसन इन दिनों चर्चा में हैं. कैराना से सांसद इकरा हसन सोशल मीडिया पर भी काफी लोकप्रिय हैं, लेकिन हाल की एक घटना ने उन्हें इतना आहत किया कि उनका गुस्सा खुलकर सामने आ गया. पूरा मामला चूरे गांव के एक शिव मंदिर से जुड़ा है, जहां शिवलिंग को तोड़ने या नुकसान पहुंचाने की बात सामने आई थी. विवाद को सुलझाने के लिए इकरा हसन मौके पर पहुंचीं. लेकिन उनका हस्तक्षेप महंगा पड़ गया. वहां मौजूद कुछ स्थानीय लोगों और कथित गौ-रक्षा संगठनों से जुड़े लोगों ने उनके साथ गाली-गलौज की.
इस पूरी घटना का वीडियो वायरल होने के बाद इकरा हसन ने अपना दुख और गुस्सा जाहिर किया. उन्होंने बताया कि उन्हें वहां 'मुल्ली' और 'आतंकवादी' कहकर गालियां दी गईं. उनके पिता और भाई को भी अपशब्द कहे गए. इकरा हसन ने बताया कि वह वहां दोनों समुदायों के बीच के फासले को पाटने और सद्भाव बनाने गई थीं, लेकिन उन्हें मिले अपशब्दों से वह बहुत दुखी हैं.
सियासी रंग और हिंदू संगठनों का आरोप
इकरा हसन के बयान के बाद यह मामला तुरंत ही सियासी रंग ले चुका है. एक ओर जहां इकरा हसन खुद के साथ हुए दुर्व्यवहार से आहत हैं, वहीं कुछ हिंदू संगठन और भाजपा से जुड़े लोग उन पर हिंदू-मुस्लिम के बीच दरार पैदा करने की कोशिश करने का आरोप लगा रहे हैं. इकरा हसन ने साफ किया कि यह उनका पहला वाकया नहीं है, जिस पर उन्हें चुप रहना चाहिए. हालांकि, इस विवाद में हिंदू-मुस्लिम संघर्ष होते-होते बचा. स्थानीय विवाद बच्चों के झगड़े से शुरू हुआ था, लेकिन धार्मिक रंग लेने के कारण यह दो समुदायों के आमने-सामने आने की स्थिति तक पहुंच गया था.
अखिलेश यादव की चुप्पी पर उठे सवाल
इकरा हसन पर हुए हमले और उन्हें 'मुल्ली' व 'आतंकवादी' जैसे भद्दे शब्द कहे जाने के बावजूद समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इस पूरे मामले पर अब तक चुप्पी साध रखी है. उम्मीद की जा रही थी कि एक मुस्लिम सांसद के साथ हुए इस दुर्व्यवहार पर अखिलेश यादव कोई प्रतिक्रिया देंगे या कम से कम X पर पोस्ट जरूर करेंगे.
सपा के कुछ अन्य नेताओं ने इकरा हसन का समर्थन किया है, लेकिन अखिलेश यादव का मौन कई सवाल खड़े करता है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश यादव पिछले कुछ सालों से जानबूझकर ऐसे किसी भी धार्मिक विवाद या हिंदू-मुस्लिम मुद्दों से दूरी बनाकर चल रहे हैं. वह नहीं चाहते कि उनकी पार्टी को फिर से 'मुस्लिम समर्थक' पार्टी के तौर पर देखा जाए, इसलिए उन्होंने इस संवेदनशील मुद्दे पर कोई भी प्रतिक्रिया न देने को ही प्राथमिकता दी है.
यहां देखें वीडियो रिपोर्ट:
ADVERTISEMENT
