UP के किसानों का केला पहली बार होगा विदेशी बाजार में, ईरान भेजी जा रही लखीमपुर की खेप

लखीमपुर खीरी भले ही इन दिनों तिकुनिया हिंसा की वजह से सुर्खियों में हो पर लखीमपुर के किसानों को अपनी कृषि की वजह से बड़ी…

शिल्पी सेन

• 01:29 PM • 14 Oct 2021

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लखीमपुर खीरी भले ही इन दिनों तिकुनिया हिंसा की वजह से सुर्खियों में हो पर लखीमपुर के किसानों को अपनी कृषि की वजह से बड़ी उपलब्धि मिलने वाली है. दरअसल, उत्तर प्रदेश से पहली बार विदेश में केला निर्यात किया जा रहा है. इसकी पैदावार लखीमपुर के पलिया कलां क्षेत्र के किसानों ने की है.

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40 मीट्रिक टन केले की पहली खेप ईरान जाने के लिए 14 अक्टूबर को लखनऊ से रवाना हो चुकी है. इसके साथ ही लखीमपुर खीरी का नाम भी देश के महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के किसानों के साथ दर्ज हो रहा है, जो उन्नत तकनीक से केले की पैदावार करते हैं.

खेप को ईरान पहुंचने में लगेंगे 15 दिन

लखीमपुर खीरी के पलिया कलां क्षेत्र के किसानों का 40 मीट्रिक टन केला ईरान निर्यात किया जा रहा है. इसे ईरान पहुंचने में 15 दिन लगेंगे. जाहिर है कि इसके लिए उच्चस्तरीय तकनीक और ‘मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट’ को माध्यम बनाया गया है. किसानों के लिए यह बड़ी उपलब्धि इसलिए होगी क्योंकि अब तक महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों से केला निर्यात किया जाता था और यूपी के किसान अब तक केले के निर्यात और अंतरराष्ट्रीय बाजार से दूर थे.

उत्पादन में विशेष तकनीक का इस्तेमाल

केले के इस निर्यात के पीछे किसानों की मेहनत के अलावा उन्नत तकनीक भी है. केले की शेल्फ लाइफ (shelf life) बहुत कम होती है. इसको ज्यादा दिन तक रखने के लिए न सिर्फ इसके उत्पादन के बाद पैकेजिंग पर ध्यान देना होता है, बल्कि इसको ज्यादा समय तक रखने के लिए केले का पेड़ लगाते समय ही विशेष तकनीक अपनाई जाती है. फिलहाल लखीमपुर खीरी के हजार एकड़ में इस तकनीक से केला लगाया गया था.

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले APIDA के यूपी, बिहार, झारखंड के प्रमुख सीबी सिंह कहते हैं, “यूपी के किसानों का केला सीधे अंतरराष्ट्रीय बाजार में जाएगा और किसानों को सीधा लाभ मिलेगा. किसानों की आमदनी बढ़ेगी. यही नहीं इस प्रयास के बाद लखीमपुर के किसान एक मॉडल के रूप में होंगे.”

गोरखपुर और वाराणसी में भी इसी तकनीक से निर्यात का प्रयास किया जा रहा है. केले को ईरान तक पहुंचाने के लिए 40 फीट के दो कंटेनर का प्रयोग किया जा रहा है, जो मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट से ईरान जाएंगे.

अभी दुनिया में केले के उत्पादन का 30 फीसदी भारत में होता है, पर विश्व के बाजार में टॉप की कंपनियों में 3 अमेरिकी और 1 आयरलैंड की कंपनी है. इसलिए देश में केले का उत्पादन करने वाले किसानों को उन्नत तकनीक से उसकी क्वालिटी बढ़ाने की जरूरत है.

मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट

उत्तर प्रदेश से पहली बार विदेश में केला का निर्यात किया जा रहा है. यह केला लखीमपुर में विशेष तकनीक से उगाया गया है. लखनऊ में मलीहाबाद के पैक हाउस में इसे पैक किया गया. यहां से खेप को सड़क के रास्ते कानपुर ले जाया गया. कानपुर से ट्रेन के जरिए मुंबई के जवाहर लाल नेहरू पोर्ट पहुंकर वहां से यह खेप ईरान के लिए रवाना होनी है.

इसके निर्यात के लिए काम करने वाले देसाई एग्रो (Desai Agro) के प्रमुख अजीत देसाई लखीमपुर के किसानों का विशेष प्रशिक्षण भी करवा चुके हैं. उनका कहना है, “वर्तमान में बहुत उन्नत तकनीक से केले के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है. ये प्रयोग महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, छत्तीसगढ़ में हो चुका था पर यूपी के किसानों के लिए ये पहला मौका है. इससे उनका उत्पादन ज्यादा होगा और केले की शेल्फ लाइफ भी ज्यादा होगी. किसानों की आमदनी बढ़ेगी. प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए भी योगदान होगा.”

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