UP News: गोंडा जिले के विकासखंड बभनजोत निवासी डॉ. अनिल श्रीवास्तव ने जैविक खेती में न सिर्फ अपनी पहचान बनाई है, बल्कि काले नमक चावल की खेती कर लाखों की कमाई कर रहे हैं. बॉटनी में पीएचडी करने के बाद असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत अनिल श्रीवास्तव ने अपनी रुचि को खेती के साथ जोड़ा और अब यह उनका सफलता का मुख्य जरिया बन गया है.
ADVERTISEMENT
3 एकड़ में 45 क्विंटल काला नमक चावल की पैदावार
हमारी सहयोगी वेबसाइट किसान तक की एक रिपोर्ट के मुताबिक डॉ. अनिल ने 2022 में काले नमक चावल की खेती शुरू की. गोरखपुर के कृषि वैज्ञानिक डॉ. रामचेत चौधरी के मार्गदर्शन में उन्होंने इस चावल की बौनी वैरायटी की खेती का निर्णय लिया. पहले ही साल उन्होंने 3 एकड़ में 45 क्विंटल काला नमक चावल की पैदावार की. इस चावल की बाजार में मांग इतनी अधिक थी कि उन्हें 150 रुपये प्रति किलो की दर से यह चावल बेचने का अवसर मिला.
हरी और जैविक खाद से प्राकृतिक खेती
डॉ. अनिल की खेती का मुख्य आधार जैविक और हरी खाद का उपयोग है. यह खेती न केवल उत्पादन को स्वास्थ्यवर्धक बनाती है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बनाए रखती है. उनका कहना है कि काला नमक चावल शुगर फ्री होता है, जो मधुमेह रोगियों के लिए बेहद उपयुक्त है.
150-160 दिनों में तैयार होती है फसल
काले नमक चावल की खेती के लिए बलुई दोमट या चिकनी मिट्टी, जिसमें जल धारण की क्षमता हो, उपयुक्त मानी जाती है. इस चावल की फसल को तैयार होने में 150-160 दिन लगते हैं, जो अन्य धान की प्रजातियों से अधिक समय है. लेकिन बेहतर बाजार मूल्य और इसकी बढ़ती मांग इसे लाभदायक बनाती है.
वैश्विक पहचान और जीआई टैग
खाने में स्वादिष्ट और सुगंधित काले नमक चावल को जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग मिल चुका है. इसे गोरखपुर और आसपास के क्षेत्र में महात्मा बुद्ध का "महाप्रसाद" भी कहा जाता है. अब यह चावल वैश्विक पहचान की ओर बढ़ रहा है.
5 एकड़ में खेती का विस्तार
डॉ. अनिल ने अपनी सफलता से प्रेरित होकर अब काले नमक चावल की खेती को 5 एकड़ में विस्तारित करने का निर्णय लिया है. उनकी प्रेरणा से गोंडा के अन्य किसान भी इस चावल की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. डॉ. अनिल श्रीवास्तव की कहानी यह दिखाती है कि अगर तकनीक, मेहनत और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ खेती की जाए, तो यह सोना उगलने का काम कर सकती है. उनकी सफलता सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि हर उस किसान की उम्मीद जगाती है, जो परंपरागत खेती से हटकर कुछ नया करना चाहता है.
ADVERTISEMENT
