COVID मरीज की इलाज के दौरान मौत होने पर वजह कोरोना ही मानी जाएगी: इलाहाबाद HC का बड़ा फैसला

पंकज श्रीवास्तव

• 04:51 AM • 31 Jul 2022

कोरोना संक्रमित मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने और उनकी मौत के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने आदेश में…

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कोरोना संक्रमित मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने और उनकी मौत के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने आदेश में कहा है कि कोविड-19 के तौर पर अस्पताल में भर्ती हो जाने पर उस मरीज की मौत हो जाती है, तो उसका कारण कोई भी लेकिन उसकी मौत की वजह कोरोना ही मानी जाएगी. यह आदेश कुसुमलता और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस विक्रम डी. चौहान की खंडपीठ ने सुनाया है.

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इसके साथ ये भी कहा है कि कोविड पीड़ित की मौत के बाद उनके आश्रितों को 30 दिन के अंदर अनुग्रह राशि का भुकतान किया जाए और अगर एक महीने में इसका भुकतान नहीं हो सका, तो 9 प्रतिशत ब्याज के साथ इसका भुकतान किया जाए.

वहीं, कोर्ट ने यह भी कहा है कि कोविड-19 के कारण अस्पताल में होने वाली मौतें पूरी तरह से प्रमाण की कसौटी पर खरी उतरती हैं. हार्ट अटैक होने या अन्य किसी कारणों का उल्लेख करने वाली मेडिकल रिपोर्ट को कोविड-19 संक्रमण से अलग करके नहीं देखा जा सकता है. कोविड-19 एक संक्रमण है. यह संक्रमण किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है. इससे लोगों की मौत हो सकती है. कोविड-19 से फेफड़े, दिल को क्षति पहुंचती है और हार्ट अटैक मौत का कारण बन सकता है. कोर्ट ने संक्रमण के बाद मौत को लेकर 30 दिनों की समय सीमा के निर्धारण को भी गलत माना है. कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि यह याचिका दायर करने वाले हर एक याचिकाकर्ता को 25-25 हजार रुपये का भुगतान किया जाए.

याचिकाकर्ताओं ने 1 जून 2021 के सरकारी आदेश के खंड 12 को मुख्य रूप से चुनौती दी थी. यह दावों की अधिकतम सीमा को निर्धारित करने वाले बिंदु हैं. इस आदेश के तहत कोविड-19 होने के 30 दिनों के भीतर मौत के मामले में मुआवजे के भुगतान का आवेदन करने की बात कही गई थी. कोर्ट में इस बिंदु को चुनौती दी गई और अब इस पर फैसला आ गया है.

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि इस शासनादेश का उद्देश्य उस परिवार को मुआवजा देना है, जिन्होंने पंचायत चुनाव के दौरान अपनी रोजी-रोटी कमाने वालों को खो दिया था. कोर्ट में याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकारी अधिकारियों ने यह तो माना कि उनके पति की मौत कोविड-19 से हुई. लेकिन शासनादेश के खंड 12 में निश्चित समय सीमा के भीतर मौत नहीं होने के कारण मुआवजे से वंचित किया जा रहा है.

बता दें कि इस आदेश के बाद अब उन परिवारों को थोड़ी राहत मिलेगी, जिनके परिजन की मौत के कारण को कोविड-19 नहीं माना गया था जबकि अस्पताल में वो कोविड संक्रमण की वजह से भर्ती हुए थे.

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