UP Board 12th Topper: यूपी बोर्ड की 12वीं टॉपर महक जायसवाल के लिए अखिलेश यादव ने किया यह खास गिफ्ट देने का ऐलान

UP Board 12th Topper: उत्तर प्रदेश बोर्ड 2025 के इंटरमीडिएट टॉपर महक जायसवाल ने 97.20% अंक हासिल किए. प्रयागराज की रहने वाली महक को अखिलेश यादव ने लैपटॉप गिफ्ट किया. जानें उनकी प्रेरणादायक कहानी.

UP Board Topper Mahak Jayaswal

यूपी तक

26 Apr 2025 (अपडेटेड: 26 Apr 2025, 05:24 PM)

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UP Board 12th Topper: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं- 2025 के परिणाम शुक्रवार को घोषित किए गए. इसमें इंटरमीडिएट (12वीं कक्षा) में प्रयागराज की महक जायसवाल ने बाजी मारी. महक जायसवाल ने बताया कि उन्होंने  किसी भी शैक्षिक संस्थान से कोचिंग लिए बिना ये कामयाबी हासिल की है. अब सपा चीफ अखिलेश यादव ने महक जायसवाल के लिए एक खास गिफ्ट देने का ऐलान किया है. 

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अखिलेश ने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, "उप्र की 12वीं की बोर्ड परीक्षा में टॉप करनेवाली महक जायसवाल का झोपड़ी से सर्वोच्च स्थान तक पहुंचने का संघर्ष अति सराहनीय है. बधाई, शुभकामनाएं और हमारी तरफ से उनकी प्रतिभा के सम्मान के लिए लैपटॉप की भेंट."

बता दें कि 97.20% अंक लाकर स्टेट टॉप करने वालीं महक जायसवाल आज प्रदेश की नई पहचान बन चुकी हैं. बता दें कि महक जायसवाल प्रयागराज के गंगापार इलाके के करेंहटी गांव की रहने वाली हैं. महक के घर से स्कूल की दूरी 5 किलोमीटर की थी. हर दिन वह साइकिल चलाकर स्कूल जाया करती थीं. यूपी बोर्ड के एग्जाम में टॉप करने वालीं महक का सपना डॉक्टर बनने का है. 

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मिट्टी और खपरैल से बना हुआ है महक का घर

महक का घर मिट्टी और खपरैल का बना हुआ मिला. कोविड के चलते लगे लॉकडाउन के समय घर टूट गया था और लंबे समय तक सड़क किनारे उन्हें रहना पड़ा. महक जिस घर में रहकर पढ़ाई करती थीं, आज भी उस दीवारों पर प्लास्टर नहीं है. एक कोने में किचन का सामान रखा है, एक तरफ पुराना फ्रिज और एक फोल्डिंग बेड रखा हुआ है. 

महक के पिता शिव प्रसाद ने अपने बच्चों के लिए बहुत मेहनत की है. उन्होंने प्रयागराज से करीब 90 किलोमीटर दूर कौशांबी जिले के एक छोटे से गांव पोखराज में एक ढाबे के पास एक परचून की दुकान खोली है. शिव प्रसाद बताते हैं, “मैं सुबह 8 बजे से रात 2 बजे तक दुकान पर रहता हूं. जब दुकान नहीं खोल पाता तो दूसरा काम करता हूं. इतनी महंगाई में बच्चों को पढ़ाना आसान नहीं, मगर आज लगता है मेहनत हमारी काम आ गई."

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