वाराणसी: सीएम योगी ने गंगा घाट पर 15 जेट्टियों का किया लोकार्पण और शिलान्यास

रोशन जायसवाल

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने एक दिवसीय वाराणसी दौरे के दौरान शुक्रवार को अस्सी के पास रविदास घाट पर भारत सरकार में बंदरगाह,…

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने एक दिवसीय वाराणसी दौरे के दौरान शुक्रवार को अस्सी के पास रविदास घाट पर भारत सरकार में बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के साथ संयुक्त रूप से भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण द्वारा आयोजित कार्यक्रम में गंगा में तैयार किए गए जेट्टियों का बटन दबाकर लोकार्पण किया.

उन्होंने 7 सामुदायिक जेट्टियों का लोकार्पण और 8 सामुदायिक जेट्टियों का शिलान्यास किया. कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीप प्रज्वलित कर किया. इस अवसर पर हाइड्रोजन व इलेक्ट्रिक कैटामेरन (वाराणसी, अयोध्या, मथुरा) हेतु अनुबंध और वाराणसी एवं डिब्रूगढ़ के मध्य क्रूज के समय सारणी का विमोचन किया.

गौरतलब है कि भारत की आध्यात्मिक नगरी को सबसे उन्नत हाइड्रोजन फ्यूल सैल कैटमारन जलयान मिलने जा रहे हैं. वाराणसी को एक हाइड्रोजन फ्यूल सैल जलयान और चार इलेक्ट्रिक हाइब्रिड जलयान मिलेंगे. इस आयोजन के दौरान भा.अ.ज.प्रा. और कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड के मध्य एक करार पर दस्तखत किए गए.

जलमार्ग विकास प्रोजेक्ट-2 (जिसे अर्थ गंगा) भी कहा जाता है. भा.अ.ज.प्रा. गंगा नदी पर 62 लघु सामुदायिक घाटों का विकास/अपग्रेड कर रहा है. इनमें से 15 यूपी में 21 बिहार में, 3 झारखंड में और 23 पश्चिम बंगाल में हैं.

उत्तर प्रदेश में वाराणसी और बलिया जिले के बीच 250 किलोमीटर में घाट विकसित किए जा रहे हैं. ये घाट यात्री और प्रशासनिक सुविधाओं से युक्त होंगे जिनसे नदी पर सामान और मुसाफिरों की आवाजाही संभव होगी और समय व लागत की बचत होगी. घाटों का परिचालन आरंभ हो जाने से छोटे उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा, क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत में वृद्धि होगी, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और इस सब से समुदायों को लाभ होगा.

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अंतर्देशीय जलमार्गों के विकास पर ध्यान केन्द्रित करने से विकास व परिचालन के मानकीकरण में मदद मिलेगी, फलस्वरूप स्थानीय समुदायों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो पाएंगी और उनकी आजीविका में भी सुधार होगा. यह पहल भारत सरकार की नीतियों और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए गए सक्रिय उपायों के अनुसार है. भारत के माननीय प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में स्वच्छता अभियान जीवन एवं कारोबार के सभी क्षेत्रों में चलाया जा रहा है.

अन्तर्देशीय जलमार्ग परिवहन किफायती और पर्यावरण के अनुकूल है और अब काशी में शून्य उत्सर्जन हाइड्रोजन फ्यूल सैल पैसेंजर कैटमारन जलयान के आ जाने से जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल में कमी लाने का मार्ग प्रशस्त होगा.

भा.अ.ज.प्रा. के माध्यम से भारत सरकार ने यह प्रोजेक्ट कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड, कोची को दिया है, जिसने हाल ही में भारत का पहला स्वदेश निर्मित एयर क्राफ्ट कैरियर तैयार किया है. भा.अ.ज.प्रा. और कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड के बीच हुए करार के मुताबिक शून्य उत्सर्जन 100 पैक्स हाइड्रोजन फ्यूल सैल पैसेंजर कैटामारन जलयान का डिजाइन और विकास कोचिन शिपयार्ड मैसर्स केपीआईटी, पुणे के सहयोग से करेगी.

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कोची में परीक्षण के पश्चात् कैटामारन जलयान को वाराणसी में तैनात किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट की कामयाबी के आधार पर इस टेक्नोलॉजी को कार्गो वैसल, स्मॉल कंट्री क्राफ्ट आदि के लिए अपनाया जा सकेगा, जिससे राष्ट्रीय जलमार्गों में प्रदूषण का स्तर घटाने में बहुत मदद मिलेगी.

समझौते के तहत कोचिन शिपयार्ड 8 हाइब्रिड इलेक्ट्रिक कैटामारन जलयानों का निर्माण भी करेगा. इस प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार ने 130 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. 50 पैक्स क्षमता वाले जलयान वाराणसी, अयोध्या, मथुरा- वृंदावन और गुवाहाटी में तैनात किए जाएंगे.

बताते चलें कि वाराणसी से लेकर कोलकाता के बीच कुल 60 जेटी बनाए जाने हैं. इनमें उत्तर प्रदेश में सात जेटी तैयार हुए हैं. वाराणसी के तीन, बलिया में दो और चंदौली, गाजीपुर में एक-एक जेटी शामिल हैं. जिनमें वाराणसी के रविदास घाट, रामनगर, कैथी, चंदौली में बलुआ, गाजीपुर में कलेक्टर घाट, बलिया में उजियार घाट बरौली और शिवपुर शामिल हैं.

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