जब वाराणसी में चाय की दुकान पर पहुंचे PM मोदी, दुकान मालिक के बेटे ने बताया दिलचस्प किस्सा

रोशन जायसवाल

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी की एक मशहूर चाय की दुकान ‘पप्पू की अड़ी’ पर पहुंचकर किसी आम इंसान की तरह बैठकर एक नहीं बल्कि तीन-तीन बार चाय पी.

इस दुकान की दूसरी पीढ़ी बुजुर्ग विश्वनाथ सिंह ‘पप्पू’ अस्वस्थता की वजह से दुकान पर तो नहीं आ सके, लेकिन यूपी तक से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि 2019 से किया जा रहा है इंतजार, अब जाकर खत्म हुआ है और उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है.

दुकान पर मौजूद पप्पू के बेटे के मुताबिक, चाय के बदले पीएम मोदी से ‘आशीर्वाद मिला’. वहीं पैसे केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने चुकाए.

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपने दो दिवसीय वाराणसी संसदीय क्षेत्र में चुनावी दौरे की शुरुआत शहर के मलदहिया इलाके में स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति पर माल्यार्पण से किया. जिसके बाद लगभग 3 किलोमीटर का रोडशो विश्वनाथ धाम पर आकर खत्म हुआ और पीएम मोदी ने विधिवत बाबा विश्वनाथ का दर्शन-पूजन किया.

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अगले तय कार्यक्रम के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बगैर रोडशो के ही सिर्फ कार में सवार होकर लंका इलाके में स्थित बीएचयू गेट के बाहर पंडित मदन मोहन मालवीय की मूर्ति पर पहुंचकर पुष्प अर्चन करना था. लेकिन इस कार्यक्रम के पहले कुछ ऐसा हुआ कि सभी चौंक गए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोनारपुरा और भदैनी का इलाका क्रॉस करते हुए जैसे ही अपने काफिले के साथ आगे बढ़े तो काफिले की गाड़ियों के पहिए अस्सी इलाके में स्थित मशहूर चाय की दुकान ‘पप्पू चाय की अड़ी’ पर आकर थम गए.

फिर क्या था वहां पहले से मौजूद केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया और फिर पीएम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चाय की दुकान पर पहुंचकर किसी आम इंसान की तरह वहां मौजूद अन्य चाय के अड़ीबाजों के साथ लकड़ी की मेज पर बैठकर चाय पी.

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मशहूर चाय की दुकान जिस शख्स के नाम पर है वह विश्वनाथ सिंह ‘पप्पू’ है, लेकिन अस्वस्थता के चलते पप्पू सिंह दुकान पर नहीं थे. लेकिन उनके चारों बेटे दुकान पर मौजूद थे. जिनमें से एक अशोक सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगभग 15 मिनट उनकी दुकान पर रहे और एक दो बार नहीं बल्कि 3 बार चाय पी. पहली चाय खत्म होने के बाद उन्होंने दोबारा मांगकर चाय पी और जब वह जाने लगे तो तीसरी बार चाय मांगकर पी.

अशोक सिंह ने बताया कि 15 मिनट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी दुकान के बारे में उनसे जानकारी ली और विश्वनाथ कॉरिडोर की भी चर्चा सभी से करते रहे. इस दौरान केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद थे. अशोक सिंह ने चाय के भुगतान के बारे में बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनको बदले में ‘आशीर्वाद मिला’ और जहां तक चाय के भुगतान की बात है तो केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कर दिया.

पप्पू ने बताया कि उनकी मुलाकात 2019 में प्रधानमंत्री के वाराणसी आगमन पर कैंसर अस्पताल के उद्घाटन के समय हुई थी.

उन्होंने बताया कि एक चाय वाले प्रधानमंत्री ने दूसरे चाय वाले की दुकान पर आकर चाय पी है यह उनके लिए गर्व और खुशी की बात है. उन्होंने बताया कि वे अस्वस्थ होने के चलते दुकान नहीं जा पाते इसलिए उनका दूसरे नंबर वाला बेटा मनोज ही चाय की दुकान संभालता है.

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दरअसल चाय वाले पप्पू का असली नाम विश्वनाथ सिंह है, लेकिन प्यार से लोग उन्हें पप्पू कहते हैं. इसलिए उनकी चाय की दुकान अड़ी में तब्दील हो गई और विश्वनाथ पप्पू हो गए. वे बताते हैं कि उनके पिता मिलिट्री से छुट्टी लेकर 1948 में आए थे और फिर वापस नहीं गए और उन्होंने ही शहर के अस्सी इलाके में चाय की दुकान खोल ली.

पप्पू सिंह ने बताया कि 1948-1975 तक उनके पिता ने दुकान संभाली फिर 1975-2011 तक उन्होंने दुकान संभाली, अब तीसरी पीढ़ी दुकान चला रही है. उनके रहते उनकी चाय की दुकान पर जॉर्ज फर्नांडिस तक ने बनारस की मीडिया से पत्रकार वार्ता की है. इसके अलावा कलराज मिश्रा खुद तीन बार दुकान पर बैठकर चाय पी चुके हैं.

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा BHU में छात्र जीवन के समय अड़ी पर चाय पीने के लिए आते रहते थे. भदैनी पर ही केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय रहते थे. वे भी अक्सर यहां आते-जाते चाय पीते थे.

पप्पू सिंह ने बताया कि उनकी चाय की अड़ी पर सभी लोग अपनी बात रखते हैं, तू-तू, मैं-मैं भी होती है, लेकिन कभी हाथापाई की नौबत नहीं आई.

राजनीति में समाजवादी विचारधारा के लोग भी अक्सर उनकी चाय की दुकान पर आते थे. लेखक काशीनाथ सिंह की किताब ‘देख तमाशा लकड़ी की’ में उनकी दुकान का खास तौर पर जिक्र है. उनकी चाय की दुकान पर ही मोहल्ला अस्सी को भी काशीनाथ सिंह ने लिखा, जिस पर पूरी फिल्म बनी है.

पप्पू सिंह ने आगे बताया कि उनकी चाय की दुकान के मशहूर होने के पीछे वजह उनके यहां की ताजी चाय है, एक प्याली चाय भी उनके यहां तुरंत तैयार करके मिलती है, जबकि अन्य चाय की दुकानों पर केतली में रखकर चाय बेचते हैं.

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