स्वाति सिंह का टिकट कटा, जिसे मिला उनका घर अफसरों का घराना, जानें राजेश्वर सिंह की कहानी

संतोष शर्मा

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यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कुछेक कैंडिडेट्स हैं, जिनकी जोरशोर से चर्चा चल रही है. ऐसे ही एक उम्मीदवार हैं ईडी के पूर्व अधिकारी राजेश्वर सिंह. बीजेपी ने कभी यूपी में पार्टी की तरफ से महिला सशक्तिकरण का सबसे बड़ा चेहरा व सरकार में मंत्री रहीं स्वाति सिंह का टिकट काटकर लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से राजेश्वर सिंह को उम्मीदवार बनाया है.

राजेश्वर सिंह की कहानी काफी रोचक है. उन्हें खुद तो सुपर कॉप कहा जाता ही रहा है, उनका परिवार भी अफसरों का घराना है.

सुल्तानपुर के मूल निवासी हैं राजेश्वर सिंह

लखनऊ से सटे सुल्तानपुर जिले की पखरौली के मूल निवासी राजेश्वर सिंह का जन्म और शिक्षा लखनऊ से हुई है. यहां के प्रतिष्ठित कॉल्विन तालुकदार से इंटरमीडिएट करने के बाद उनका चयन आईआईटी में हुआ और इंडियन स्कूल ऑफ माइंस धनबाद से इंजीनियरिंग की.

बाद में राजेश्वर सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस में 1997 बैच के डीएसपी बन गए. साल 2000 में लखनऊ में सीओ हजरतगंज सीओ गोमती नगर के पद पर तैनाती के दौरान राजेश्वर सिंह ने यहां क्राइम ब्रांच की स्थापना की.

लखनऊ में तैनाती के दौरान राजेश्वर सिंह ने दर्जन भर से अधिक अपराधियों को एनकाउंटर में ढेर किया. सुपारी किलर और किडनैपर पर ऐक्शन लिया. 2007 में राजेश्वर सिंह डेप्युटेशन पर ईडी भेजे गए.

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7 साल लगातार ईडी में प्रतिनियुक्ति के दौरान तमाम घोटालों को उजागर करने के चलते 2014 में राजेश्वर सिंह को ईडी के मूल कैडर में ही समायोजित कर लिया गया. साथ ही उन्हें ज्वाइंट डायरेक्टर बनाया गया.

राजेश्वर सिंह प्रवर्तन निदेशालय में तैनाती के दौरान एयरसेल मैक्सिम डील में जांच कर रही टीम का हिस्सा रहे और 2009 में यूपीए सरकार में हुए 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, कोयला खदान आवंटन घोटाले की जांच भी इन्होंने ही की.

इस जांच में कई बड़े नेता फंसे, जिनमें देश के तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम तक इसकी आंच पहुंची. उत्तर प्रदेश प्रवर्तन निदेशालय में ज्वाइन डायरेक्टर रहने के दौरान राजेश्वर सिंह ने खनन घोटाला, खाद्यान्न घोटाला, स्मारक घोटाला, चीनी मिल घोटाला, गायत्री प्रजापति की अवैध संपत्ति मामला, गोमती रिवरफ्रंट घोटाले की जांच भी की.

लखनऊ से अपने रिश्ते पर राजेश्वर सिंह लिखते हैं कि ‘यह आबोहवा वो सुकून कहीं और नहीं मिलता, मिलते हैं बहुत शहर, मगर लखनऊ सा नहीं मिलता.’

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राजेश्वर सिंह के आईपीएस पिता रण बहादुर सिंह ने लखनऊ में अपना स्थाई निवास बनाया था। इसीलिए राजेश्वर सिंह कहते हैं कि लखनऊ ही उनकी कर्मभूमि और लखनऊ ही उनका शहर है.

परिवार में कई अफसर

राजेश्वर सिंह का परिवार नौकरशाहों का घराना कहा जाता है. राजेश्वर सिंह के पिता स्वर्गीय रण बहादुर सिंह आईपीएस अफसर थे. वीरता के लिए उन्हें राष्ट्रपति का पदक दिया गया था. राजेश्वर सिंह खुद पीपीएस अफसर थे, लेकिन उनकी पत्नी लक्ष्मी सिंह आईपीएस अफसर हैं.

मौजूदा समय में लखनऊ रेंज की आईजी हैं. राजेश्वर सिंह के बड़े भाई रामेश्वर सिंह आईआरएस अफसर हैं. बड़ी बहन आभा सिंह पोस्टल सर्विसेज मे रही हैं और मौजूदा वक्त में मुंबई हाई कोर्ट की अधिवक्ता हैं. एक अन्य बहन रेवेन्यू अफसर हैं और बहनोई राजीव कृष्ण आगरा ज़ोन के एडीजी हैं.

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