यूपी निकाय चुनाव: BSP ने बदली रणनीति, ब्राह्मणों की जगह मुस्लिम प्रत्याशियों पर लगाया दांव

अभिषेक मिश्रा

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उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव को लेकर सरगर्मियां काफी तेज हो गई हैं. सभी पार्टियां चुनावी दंगल जीतने के लिए जनता को लुभाने के लिए तमाम कोशिशें कर रही हैं. बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने भी चुनाव जीतने के लिए अपना समीकरण बदल दिया है. पार्टी ने अपने कुल 17 मेयर उम्मीदवारों में से 11 मुस्लिम चेहरों को कैंडिडेट घोषित किया है.

वहीं, बीएसपी ने बाकी तीन अन्य पिछड़ा वर्ग और दो अनुसूचित जाति (एससी) के उम्मीदवार उतारे हैं. बीएसपी चीफ मायावती का ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों पर भी मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का संदेश साफ है. पिछले एक दशक में बीएसपी के बार-बार चुनावी उलटफेर के मद्देनजर वह अब अपने नए सामाजिक अंकगणित में ब्राह्मणों के स्थान पर मुसलमानों के साथ एक नई सोशल इंजीनियरिंग शुरू कर रही हैं.

मायावती ने 2007-2012 के दौरान ब्राह्मणों के समर्थन से यूपी में सरकार बनाई थी. उन्होंने तब बीएसपी को केवल बहुजनों के बजाय सर्वजनों की पार्टी के रूप में पेश करने की कोशिश की थीं. मायावती की सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले में अनुसूचित जाति के मतदाताओं के समर्थन आधार के साथ ब्राह्मण समुदाय का भी समर्थन मिला था.

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इस बार बीएसपी ने मुसलमानों पर दांव लगाकर मुस्लिम-दलित गठजोड़ को मजबूत करने की कोशिश की है, जो मायावती का 2024 के लिए नए फार्मूले की तरफ इशारा करता है. बीएसपी ने अपने टिकट के जरिए सामाजिक पुनर्गठित करने की कोशिश की है, जो समीकरण 2024 लोकसभा चुनाव में भी अपना असर दिखा सकता है.

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बड़ी बात ये है कि बीएसपी ने एक भी ब्राह्मण प्रत्याशी नहीं उतारा है. केवल इस चुनाव के लिए पार्टी ने उच्च जाति का टिकट गोरखपुर में नवल किशोर नथानी को दिया है, जो अग्रवाल (बनिया) समुदाय से संबंध रखते हैं.

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मायावती ने केवल दो एससी-आरक्षित सीटों – आगरा नगर निगम में लता (एससी महिला आरक्षित) और झांसी में भगवान दास फुले पर दलित उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. महापौर चुनाव के लिए बीएसपी के तीन ओबीसी उम्मीदवारों में कानपुर नगर निकाय में अर्चना निषाद, महिलाओं के लिए आरक्षित सीट, अयोध्या में राममूर्ति यादव (अनारक्षित सीट) और वाराणसी (अनारक्षित सीट) में सुभाष चंद्र मांझी हैं.

ओबीसी के लिए आरक्षित चार महापौर सीटों पर बीएसपी ने मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जिनमें सहारनपुर से खदीजा मसूद, मेरठ से हसमत अली, शाहजहांपुर से शगुफ्ता अंजुम (पिछड़ी वर्ग) और फिरोजाबाद में रुखसाना बेगम हैं.

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महिलाओं के लिए आरक्षित तीन निकाय मेयर पदों में से दो में बीएसपी ने मुस्लिम उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा है. गाजियाबाद में निसारा खान और लखनऊ में शाहीन बानो हैं.

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वहीं सामान्य श्रेणी की सीटों पर मैदान में उतरे अन्य मुस्लिम उम्मीदवारों में अलीगढ़ में सलमान शाहिद शामिल हैं. बरेली में यूसुफ खान, मथुरा में रजा मोहतासिम अहमद, प्रयागराज में सईद अहमद और मुरादाबाद में मोहम्मद यामीन को पार्टी ने चुनावी मैदान में उतारा है.

बीएसपी नेताओं का दावा है कि पार्टी का दलित-मुस्लिम गठजोड़ सपा के मुस्लिम-यादव फॉर्मूले से कहीं ज्यादा ताकतवर होगा और पार्टी को फायदा पहुंचाएगा.

यूपी में त्रिस्तरीय शहरी स्थानीय निकाय चुनावों के हिस्से के रूप में 17 नगर निगमों में 4 और 11 मई को दो चरणों में मतदान होगा और नतीजे 13 मई को आएंगे.

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