यूपी बोर्ड के 12वीं के स्टूडेंट्स को मुगल दरबार का इतिहास नहीं पढ़ाया जाएगा, शिक्षा मंत्री ने बताई ये वजह

आशीष श्रीवास्तव

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (UPMSP) में 12वीं के छात्रों को मुगल दरबार का इतिहास नहीं पढ़ाया जाएगा. एनसीईआरटी की किताबों में सिलेबस में हुए…

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उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (UPMSP) में 12वीं के छात्रों को मुगल दरबार का इतिहास नहीं पढ़ाया जाएगा. एनसीईआरटी की किताबों में सिलेबस में हुए बदलाव के अनुसार ही यूपी बोर्ड के छात्रों को अब पढ़ाया जाएगा, जिसमें मुगल काल नहीं है. बता दें कि एनसीईआरटी द्वारा जून 2022 में मुगल इतिहास, शीत युद्ध आदि पर अध्याय हटा दिए गए थे.

जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में 12वीं के बोर्ड में एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जाती हैं, जिसमें अब मुगल शासक और उससे संबंधित अन्य चैप्टर नहीं पढ़ाए जाएंगे.

शिक्षा मंत्री ने क्या कहा?

यूपी की माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री गुलाब देवी ने साफ कहा है कि ‘जो भी एनसीईआरटी में बदलाव होंगे उसको उत्तर प्रदेश लागू करेगा. कौन सा चैप्टर पढ़ाया जाएगा या नहीं, ये एनसीईआरटी ही तय करेगा.’

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मंत्री गुलाब देवी ने कहा कि ‘एनसीईआरटी की किताबों में जो भी सिलेबस होगा उसको यूपी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड लागू करेगा. यूपी बोर्ड अपने यहां से कोई बदलाव नहीं करेगा. चाहे वह कम हो या ज्यादा उसी हिसाब से पढ़ाया जाएगा.’

डिप्टी सीएम बोले- नई संस्कृति को पढ़ाया जाएगा

इस मामले पर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बताया कि नई संस्कृति को पढ़ाया जाएगा, क्योंकि हमारी संस्कृति विरासत है और सभी को जानना चाहिए. अभी तक विरासत की जानकारी नहीं थी.

अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि ‘बीजेपी सरकार भलाई के लिए काम करती है और अगर किसी तरीके का सिलेबस चेंज होता है या इस तरीके की कवायद शुरू होती है तो कहीं ना कहीं और तरक्की के लिए और लोगों को भविष्य सुधारने के लिए किया जा रहा होगा.’

सपा ने साधा निशाना

समाजवादी पार्टी के नेता अमीक जमीई ने इस फैसले पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘मुगल काल को इतिहास मिटाना अलग चीज है. मुगल और राजपूत ठीक प्रकार के थे. क्या राजपूत का इतिहास हटा दिया जाएगा. इतिहास को बनाया जाता है, इतिहास बदला नहीं जाता है. बीजेपी इतिहास में भी आरएसएस और भगवा डालना चाहती है.’

‘इतिहास में बदलाव जरूरी है’

प्रख्यात इतिहासकार रवि भट्ट ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. उनके मुताबिक, इतिहास में बदलाव जरूरी है पर वह सत्यता के साथ होने चाहिए. पहले के लोग जब इतिहास लिखा करते थे तो अपने आकाओं को खुश करने के लिए लिखते थे, जिसमें कई फैक्ट रह जाते थे. हालांकि समय-समय पर अपग्रेडेशन की जरूरत है. इतिहास किसी को खुश करने के लिए नहीं होने चाहिए. ऐसे में पहले के इतिहास में बदलाव है, क्योंकि वह एक ही दिशा में लिखे गए हैं. यही वजह है कि देश में इतिहास में बदलाव नहीं किए.

वहीं, लखनऊ विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के अध्यक्ष रवि कांत ने कहा कि ‘इतिहास बदला जाना ठीक नहीं है क्योंकि जो राजा थे उसमें राजाओं का कोई इतिहास नहीं था. लोगों को मुगल इतिहास ने बढ़ाया है. अगर वही हट जाएगा तो यह भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा. ऐसे में यह देखना होगा कि आप दिखाना क्या चाहते हैं और बदलना क्या चाहते हैं.’

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