प्रभात गुप्ता मर्डर: सुनवाई फिर टली, अजय मिश्रा ने केस को ट्रांसफर करने के लिए डाली अर्जी

संतोष शर्मा

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लखीमपुर के प्रभात गुप्ता हत्याकांड (Prabhat Gupta murder case) में अब फिर सुनवाई टल गई. प्रभात गुप्ता हत्याकांड में अब अगली सुनवाई 6 सितंबर को होगी. सोमवार को हुई सुनवाई में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी (Ajay Mishra Teni) की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में केस ट्रांसफर की अर्जी दी गई है. वहीं बीते 4 सालों से हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में प्रभात गुप्ता मर्डर केस में रिजर्व आर्डर को लेकर होने वाली अंतिम सुनवाई 5 बार टल चुकी है. अब राजीव गुप्ता का परिवार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रहा है.

हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में सोमवार को जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रेनू अग्रवाल की डबल बेंच में प्रभात गुप्ता मर्डर केस की सुनवाई के दौरान के अजय मिश्रा के वकील सलील श्रीवास्तव ने कोर्ट में एप्लीकेशन डाली कि इस मामले में अंतिम बहस प्रयागराज के वकील गोपाल चतुर्वेदी को करनी है, इसलिए उनकी तरफ से हाईकोर्ट चीफ जस्टिस को इलाहाबाद में केस ट्रांसफर की अर्जी डाली गई है.

इस मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हाई कोर्ट चीफ जस्टिस के यहां केस ट्रांसफर की अर्जी डाली गई है, इसलिए एप्लीकेशन पर निर्णय होने तक सुनवाई टाली जाती है और अब अगली सुनवाई 6 सितंबर को होगी.

बता दें कि 22 साल पहले हुए प्रभात गुप्ता हत्याकांड में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा नामजद रहे हैं. हाई कोर्ट में बहस पूरी होने के बाद 12 मार्च 2018 से आर्डर रिजर्व अंतिम सुनवाई भर होना बाकी है.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से जल्द अंतिम सुनवाई कर निर्णय सुनाने के निर्देश के बाद से अब तक तारीख पर तारीख लगती आ रही है. मई 2022 से अब तक पांच बार अंतिम सुनवाई की तारीख टल चुकी है.

मामले की टाइमलाइन

  • 5 अप्रैल 2022 को हाई कोर्ट ने अंतिम सुनवाई करने का निर्णय दिया.

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  • 7 अप्रैल को अंतिम सुनवाई के लिए 16 मई की तारीख तय हुई.

  • 16 मई को कोर्ट नहीं बैठी तो सुनवाई 24 मई तक के लिए टल गई.

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  • 24 मई को अजय मिश्रा के बच्चे कितने हैं, तो 11 जुलाई को तारीख लगाई गई.

  • 11 जुलाई को कहा गया कि अजय मिश्रा की तरफ से अंतिम सुनवाई में गोपाल चतुर्वेदी को खड़े होना है, इसलिए 20 जुलाई को तारीख तय हुई.

  • 20 जुलाई को हुई सुनवाई में फिर वकील नहीं आ सके, तो अंतिम सुनवाई टाल दी गई.

  • सोमवार को हुई सुनवाई में अजय मिश्रा के वकील सलिल श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि चीफ जस्टिस के पास केस ट्रांसफर की अर्जी डाली गई है. अब हाई कोर्ट की डबल बेंच ने अगली सुनवाई 6 सितंबर तय की है.

    क्या था प्रभात गुप्ता मर्डर केस

    8 जुलाई, 2000 को लखीमपुर के तिकुनिया थाना क्षेत्र के बनवीरपुर गांव में दिन में लगभग 3.30 बजे प्रभात गुप्ता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. मर्डर केस में पिता संतोष गुप्ता ने अजय मिश्रा टेनी के साथ शशि भूषण, राकेश डालू और सुभाष मामा को हत्या में नामजद आरोपी बनाया. आरोप लगाया गया कि प्रभात गुप्ता को दिन दहाड़े बीच रास्ते में पहली गोली अजय मिश्रा ने उसकी कनपटी पर मारी और दूसरी गोली सुभाष मामा ने प्रभात के सीने में मारी थी, जिसके बाद प्रभात गुप्ता की मौके पर ही मौत हो गई.

    लखीमपुर के तिकुनिया थाने में क्राइम नंबर 41/ 2000 धारा 302 और 34 आईपीसी में केस दर्ज हुआ, लेकिन एफआईआर दर्ज होने के कुछ ही दिनों बाद केस बिना वादी की जानकारी के सीबीसीआईडी को ट्रांसफर कर दिया गया. प्रभात गुप्ता के परिवार ने तत्कालीन मुख्यमंत्री राम प्रकाश गुप्ता से गुहार लगाई और 24 अक्टूबर 2000 को तत्कालीन सचिव मुख्यमंत्री आलोक रंजन ने केस की जांच सीबीसीआईडी से लेकर फिर लखीमपुर पुलिस को दे दी.

    केस लखीमपुर पुलिस को दिया गया तो लखीमपुर मे जांच अधिकारी ने एसपी लखीमपुर को जांच किसी अन्य से कराने के लिए लिखित में प्रार्थना पत्र दे दिया. तब आईजी जोन लखनऊ ने विशेष टीम गठित कर विवेचना करवाई और 13 दिसंबर 2000 को केस में चार्जशीट लगा दी गई. इसी बीच अजय मिश्रा समेत सभी आरोपियों ने हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच से अरेस्ट स्टे ले लिया.

    कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हुई तो 5 जनवरी 2001 को हाई कोर्ट में जस्टिस डीके त्रिवेदी की बेंच ने अजय मिश्रा को मिले अरेस्ट स्टे को खारिज कर दिया. इस बीच बेटे की हत्या में न्याय की लड़ाई लड़ रहे प्रभात गुप्ता के पिता संतोष गुप्ता की मौत हो गई तो केस की पैरवी प्रभात गुप्ता के छोटे भाई राजीव गुप्ता ने शुरू की.

    हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच से अरेस्ट स्टे खारिज होने के बाद भी लखीमपुर पुलिस ने अजय मिश्रा को गिरफ्तार नहीं किया। प्रभात गुप्ता के भाई राजीव गुप्ता ने एक बार फिर हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में गुहार लगाई। तब 10 मई 2001 को हाई कोर्ट में जस्टिस नसीमुद्दीन की बेंच ने अजय मिश्र को अरेस्ट करने का आर्डर देना पड़ा.

    हाई कोर्ट से गिरफ्तारी के आदेश हुए तो डेढ़ महीने बाद 25 जून 2001 को अजय मिश्रा ने एडीजे की कोर्ट में सरेंडर कर दिया. लेकिन 25 जून को सरेंडर करते ही एक डॉक्टर की रिपोर्ट के आधार पर अजय मिश्रा को बीमार बताकर अस्पताल भेज दिया गया और अगले ही दिन 26 जून को सेशन कोर्ट से जमानत मिल गई.

    24 घंटे के अंदर निचली अदालत में सरेंडर और फिर अगले ही दिन ऊपरी अदालत के द्वारा जमानत मंजूरी के इस पूरे अनोखे मामले की शिकायत तत्कालीन डीजीसी ने डीएम लखीमपुर को पत्र लिखकर की.

    डीजीसी क्रिमिनल की उस चिट्ठी में साफ लिखा है कि अजय मिश्रा गिरफ्तारी से बचते रहे और फिर अपनी मर्जी के हिसाब के समय 25 जून 2001 को तब सरेंडर किया जब जिला जज छुट्टी पर थे. उसी दिन अजय मिश्रा ने सरेंडर किया और साथ ही जमानत की अर्जी भी डाल दी.

    अमूमन एडीजे कोर्ट में जमानत पर सुनवाई 1:00 बजे के बाद होती है और ऊपरी अदालत सेशन में बेल एप्लीकेशन 12:00 बजे तक ही ली जाती है, लेकिन अजय मिश्रा के सरेंडर करते ही सेशन कोर्ट में जमानत अर्जी डाल दी गई और इस मामले में शासकीय अधिवक्ता को बहुत जोर देने के बाद बहस करने के लिए एक रात की मोहलत दी गई और अगले दिन 26 जून 2001 की सुबह 11:00 बजे अजय मिश्रा को जमानत भी मिल गई.

    पुलिस की तरफ से चार्जशीट दाखिल होने के बाद लखीमपुर कोर्ट में प्रभात गुप्ता मर्डर केस का ट्रायल शुरू हुआ और 29 अप्रैल 2004 को अजय मिश्रा समेत सभी आरोपी निचली अदालत से बरी हो गए.

    अमूमन निचली अदालत से हत्या जैसे केस में सभी आरोपियों के बरी होने पर हाई कोर्ट में अपील करने वाली सरकार इस मामले में ढीली पड़ गई. निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करने के लिए राज्यपाल को आदेश देना पड़ा. राज्यपाल ने 9 जून 2004 को आदेश देकर हाई कोर्ट में इस मामले की अपील करने का आदेश दिया.

    हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में इस पूरे मामले में दो अपील दाखिल हुई. एक राज्यपाल के आदेश पर सरकार की तरफ से दाखिल हुई और दूसरी अपील पिता संतोष गुप्ता की तरफ से राजीव गुप्ता ने रिवीजन की अपील दाखिल की.

    2004 से 12 मार्च 2018,पूरे 14 साल तक इस केस की सुनवाई हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में हुई. 14 साल की लंबी सुनवाई के बाद जस्टिस डीके उपाध्याय और डीके सिंह की बेंच ने सुनवाई पूरी की तो आदेश सुरक्षित रख लिया.

    सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है किसी भी सुरक्षित रखे गए आर्डर को 6 महीने में फैसला दे दिया जाए. अगर वह बेंच फैसला नहीं देती है तो आर्डर सुरक्षित रखने वाली बैंच वो फैसला नहीं देगी.

    मार्च 2018 से हाईकोर्ट के सुरक्षित निर्णय के नही आने पर 9 महीने बाद प्रभात गुप्ता के भाई राजीव गुप्ता ने फिर हाई कोर्ट चीफ जस्टिस के यहां अपील की. अपील पर सुनवाई करते हुए 5 अप्रैल 2022 को जस्टिस रमेश सिन्हा और सरोज यादव की बेंच ने मई 2022 को इस मामले में तारीख तय की है, लेकिन 16 मई महीने से 22 अगस्त के बीच इस मामले की हुई 5 बार सुनवाई हो चुकी है.

    फिलहाल प्रभात गुप्ता मर्डर केस में लगातार सुनवाई टलने के चलते अब प्रभात गुप्ता के भाई राजीव गुप्ता ने यूपी तक से बातचीत में साफ कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे और सुप्रीम कोर्ट में दिन-प्रतिदिन सुनवाई की अर्जी डालेंगे ताकि इस मामले का जल्द निर्णय आ सके.

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