ग्राउंड रिपोर्ट: यूपी में गहराता जा रहा बिजली संकट! पावर प्लांट्स के ताजा हालात की पड़ताल

कुमार अभिषेक

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कोयले की कमी के चलते उत्तर प्रदेश में बिजली संकट गहराता जा रहा है. एक तरफ जहां सूबे के अलग-अलग इलाकों में स्थित बिजली घरों में महज चंद दिनों के लिए कोयले का स्टॉक बचा हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ हालात को नियंत्रण में रखने के लिए उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में कई-कई घंटों की बिजली कटौती भी शुरू हो गई है.

अगर जल्द ही हालात नहीं सुधरे तो उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर बिजली का संकट पैदा हो सकता है. उत्तर प्रदेश में स्थित बिजली घरों में कोयले की कमी की वजह से विद्युत उत्पादन ठप होने के आसार दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में यूपी तक ने उत्तर प्रदेश के अलग-अलग बिजली घरों के ताजा हालात का जायजा लिया है.

कोयले की कमी से अलीगढ़ के हरदुआगंज में पावर प्लांट की दो यूनिट हुईं बंद

अलीगढ़ के कासिमपुर में स्थित हरदुआगंज विद्युत तापीय परियोजना के अंतर्गत थर्मल पावर प्लांट की 3 यूनिट बिजली बनाती है, लेकिन कोयले की कमी की वजह से मात्र एक यूनिट ही संचालित हो पा रही है. हरदुआगंज पावर प्लांट में 105 मेगावॉट की 7 नंबर यूनिट, 250 मेगावॉट की 8 नंबर यूनिट और 250 मेगावॉट की 9 नंबर यूनिट लगी हुई हैं. वहीं, ताजा हालात की बात करें तो 250 मेगावॉट की 8 नंबर यूनिट ही चालू हैं. कोयले की कमी की वजह से बाकी दोनों यूनिट को बंद करना पड़ गया है.

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प्लांट के जीएम सुनील कुमार सिंह ने बताया कि झारखंड के धनबाद जिले में भारी बारिश की वजह से कोयला नहीं निकल पा रहा है, जिसकी वजह से यहां भी मालगाड़ी के माध्यम से कोयला नहीं आ पा रहा है. उन्होंने बताया कि जानकारी मिली है कि अब वहां से कोयला निकलना शुरू हो गया है, उम्मीद यही है कि दो से तीन दिन के अंदर कोयला आ जाएगा.

झांसी के पारीछा में दो इकाइयां हुईं बंद

कोयले की कमी के चलते झांसी में भी बिजली उत्पादन में गिरावट होने से संकट गहराने लगा है. इसके चलते बिजली कटौती शुरू हो गई है. जिले के ग्रामीण इलाकों में करीब 6 से 8 घंटे बिजली आपूर्ति ठप रहती है. बिजली विभाग के अधिकारी प्लांट से बिजली न मिलने से परेशान होने की बात कह रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से थर्मल पावर संयंत्र को पर्याप्त कोयला ना मिलने से बिजली उत्पादन में भारी गिरावट आई है.

झांसी में पारीछा स्थित थर्मल पावर प्लांट की 4 में से 2 इकाईयां पिछले 6 दिनों से बंद चल रही हैं. यहां 920 मेगावॉट की जगह सिर्फ 460 मेगावॉट बिजली का ही उत्पादन हो रहा है. इसका खासा असर बिजली आपूर्ति पर पड़ने लगा है. जिले के बबीना, गुरसराय, मऊरानीपुर, रानीपुर, बंगरा गरौठा समेत कई तहसीलों और ग्रामीण क्षेत्रों में रात को बिजली गुल होने से लोगों को काफी दिक्कत हो रही है. यहां से जिले में प्रतिदिन 150 से 170 मेगावॉट बिजली की खपत होती है.

त्योहारी सीजन में यह मांग और भी अधिक बढ़ जाती है. मांग के अनुसार, उपलब्धता ना होने की वजह से अक्सर त्योहारों में बिजली विभाग को कटौती करनी पड़ जाती है, जबकि इस बार तो हाल और भी बेहाल है. हालांकि, जिले के पारीछा थर्मल पावर प्लांट को 9 अक्टूबर को कोयले की दो और रैक मिलीं, मगर अभी दो इकाइयां ही संचालित की जा सकती हैं.

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ललितपुर में बजाज पावर प्लांट की एक इकाई ठप

बुंदेलखंड के ललितपुर जिले में स्थित बजाज पावर प्लांट की तीन इकाइयों से 1980 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जाता है. पिछले दिनों से पर्याप्त कोयला नहीं मिल पाने की वजह से दो इकाइयां ठप पड़ी हुई थीं. सिर्फ एक ही इकाई से 660 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है. लेकिन 3 रैक कोयला पहुंचने पर 9 अक्टूबर देर रात करीब एक बजे के बाद प्लांट में बंद पड़ी 2 इकाइयों में से एक और इकाई को शुरू कर दिया गया. अब 2 इकाइयों से 1320 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होने लगा है.

बता दें कि पूरी क्षमता से बजाज पावर प्लांट में बिजली का उत्पादन किए जाने के लिए प्रतिदिन 6 से 7 रैक कोयले की आवश्यकता होती है, लेकिन तीन रैक ही कोयला मिल पाने के चलते बिजली उत्पादन करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. प्लांट के अधिकारियों की ओर से संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही इस हफ्ते में पर्याप्त कोयला मिलना शुरू हो जाएगा, जिसके बाद प्लांट की तीनों इकाइयों से 1980 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जाने लगेगा.

अंबेडकरनगर का टांडा पावर प्लांट भी प्रभावित, दो दिन का कोयला शेष

कोयले की आपूर्ति में आ रही बाधा का असर अंबेडकरनगर के टांडा पावर प्लांट में भी देखा जा रहा है. पावर प्लांट के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि 1760 मेगावॉट के टांडा एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट के लिए महज दो दिन का कोयला ही बचा है, जिसके चलते सप्लाई में बाधा आ रही है.

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कोयले के संकट के चलते इस समय 75-80 % ही बिजली की सप्लाई हो पा रही है. एनटीपीसी टांडा में 440, 660 और 660 मेगावॉट की तीन यूनिट हैं, जहां बिजली का उत्पादन और सप्लाई किया जाता है. 660 मेगावॉट की दोनों यूनिट की अधिकांश सप्लाई कमर्शियल है.

सोनभद्र के ओबरा पावर प्लांट में चार दिन का कोयला शेष

सोनभद्र के ओबरा स्थित 1000 मेगावॉट तापीय परियोजना की पांच इकाइयों में से 3 में बिजली का उत्पादन हो रहा है. बाकी इकाइयों में तकनीकी कारणों से काम रुका हुआ है. पीआरओ अनुराग मिश्रा के मुताबिक, 200 मेगावॉट की तीन इकाइयों से 515 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है, बिजली उत्पादन के लिए कोयले का जरूरी स्टॉक सिर्फ 4 दिन का बचा है.

डिमांड और सप्लाई में बढ़ती खाई

उत्तर प्रदेश को प्रतिदिन 20000 मेगावॉट बिजली की जरूरत होती है लेकिन 8000 मेगावॉट की कमी दिखाई दे रही है, जिसकी वजह से डिमांड और सप्लाई के बीच खाई लगभग 4000 मेगावॉट बढ़ गई है.

उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड इस क्राइसिस से निपटने की कोशिश कर रहा है, लेकिन फिलहाल कटौती ही एक रास्ता है ताकि बिजली की डिमांड और सप्लाई को कुछ हद तक मेन्टेन किया जा सके. यही वजह है कि राज्य के कुछ इलाकों में गांव और छोटे कस्बों में इस वक्त 8 घंटे से लेकर 12 घंटे तक की भी बिजली कटौती देखी जा रही है.

ग्राउंड रिपोर्ट: यूपी में कोयले की कमी से बिजली उत्पादन घटा? ग्रामीण इलाकों में कटौती बढ़ी

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