बरेली: जीभ का ऑपरेशन की बजाय कर दिया खतना? CMO ने हॉस्पिटल का लाइसेंस किया निरस्त

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उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में एक प्राइवेट अस्पताल में एक बच्चे का कथित तौर पर खतना कर दिया. प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक (Brajesh Pathak) के संज्ञान में यह घटना आई है. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने इस पूरे मामले की जांच के आदेश दिए.

प्रथम दृष्टया जांच में पाया गया कि कहीं ना कहीं अस्पताल प्रशासन और बच्चे के माता-पिता के बीच ठीक से बातचीत नहीं हुई. फिलहाल अभी फाइनल  जांच रिपोर्ट आनी बाकी है, तब तक के लिए अस्पताल के लाइसेंस को बरेली के सीएमओ ने निरस्त कर दिया है.

पिता का आरोप अस्पताल में बच्चे का धर्म परिवर्तन

संजयनगर निवासी हरिमोहन यादव के ढाई साल के बेटे सम्राट को परिजनों ने स्टेडियम रोड स्थित डॉ. एम खान अस्पताल में भर्ती कराया था. पिता हरिमोहन का आरोप है कि बच्चे के जीभ का ऑपरेशन कराना था, तो अस्पताल में उनके बेटे का खतना कर दिया.

वहीं, इस मामले में डॉक्टर और स्टाफ का कहना था कि बच्चे के मूत्रमार्ग में संक्रमण होने की वजह से ऑपरेशन किया गया. इसके अलावा परिवार की ओर से बच्चे के जीभ के ऑपरेशन की कोई बात ही नहीं हुई थी.

डिप्टी सीएम के आदेश पर हो रही जांच

मामले की शिकायत सीधे प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से की गई. जिसके बाद मामले में जांच के आदेश दिए गए. मामला संवेदनशील होने की वजह से तूल पकड़ने लगा और इसे मुख्यमंत्री कार्यालय ने संज्ञान लिया.

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डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के निर्देश पर जांच शुरू हुई. चार सदस्यीय कमेटी ने दो दिन तक जांच की और दोनों पक्षों का बयान दर्ज कर लिया है. कमेटी ने जांच रिपोर्ट मुख्य चिकित्साधिकारी को दे दी है.

सीएमओ डॉ. बलवीर सिंह ने बताया कि फिलहाल अग्रिम कार्रवाई तक अस्पताल के लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है. फाइनल रिपोर्ट आने और शासन की ओर से निर्देश मिलने पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.

सीएमओ ने दी जानकारी

सीएमओ बलबीर सिंह ने बताया कि कुछ पॉइंट के आधार पर जांच की जा रही है. फिलहाल अभी फाइनल रिपोर्ट नहीं दी गई है. कुछ समय के लिए जांच पूरी होने तक अस्पताल का लाइसेंस को निरस्त कर दिया गया है. इसके अलावा कुछ अहम बिंदु पर भी जांच की गई है.

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उन्होंने बताया कि जांच रिपोर्ट में अस्पताल में बच्चे के भर्ती होने के दस्तावेज में जीभ के ऑपरेशन की बात नहीं मिली है. लेकिन मरीज की फाइल में मूत्रमार्ग संक्रमण के इलाज की बात लिखी गई है. इसके अलावा ऑपरेशन से पहले कंसर्न पेपर सहमति पत्र पर घरवालों के हस्ताक्षर हैं. ऐसे में कमेटी यह अनुमान लगा रही है कि अस्पताल प्रबंधन ने ऑपरेशन से पहले सभी औपचारिकता पूरी की, लेकिन परिजनों का कहना है कि अंग्रेजी में लिखे कागज उनकी समझ में ही नहीं आ रहा.

सीएमओ ने बताया कि जांच रिपोर्ट में डॉक्टर और स्टाफ की तरफ से कोई चिकित्सकीय अनियमितता नहीं मिली है, जिस कारण उनको सीधे तौर पर दोषी माना जाए.

उन्होंने बताया कि जांच कमेटी ने अनुमान लगाया है कि कहीं न कहीं अस्पताल प्रबंधन और बच्चे के परिजनों के बीच संवादहीनता की स्थिति सामने आ रही है. दोनों के बीच बातचीत ठीक प्रकार से नहीं हुई. यह भी अनुमान लगाया जा रहा है.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जो हमने अस्पताल के अभिलेख चेक किए उसमें खतने के बारे में लिखा था. ओपीडी, ओटी और जो चार्जेस थे वह उसी के थे. कुछ समझने में गलतफहमी हुई है. कहने की बात अलग होती है, लिखा-पढ़ी में बात कुछ और होती है. एविडेंस अपनी जगह मान्य होता है, चाहे रिपोर्ट हो लिखा पढ़ी हो. अभी फिलहाल अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है.

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