2024 के चुनाव से पहले सपा का फोकस जातीय जनगणना पर, ब्रजेश पाठक बोले- ‘नैरेटिव बदल गया है’

संतोष शर्मा

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UP Political News: उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) ने रामचरितमानस विवाद के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अपना फोकस जातीय जनगणना पर कर लिया है. इस मुद्दे के जरिए सपा पिछड़ी जातियों की गोलबंदी में जुट गई है. विधानसभा में गुरुवार को जातीय जनगणना कराने की मांग को लेकर सपा ने जमकर हंगामा किया. इससे सपा की मंशा काफी हद तक साफ हो गई है. वहीं, जातीय जनगणना के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के लगातार जारी विरोध प्रदर्शन को लेकर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का बयान सामने आया है. पाठक ने कहा, “उत्तर प्रदेश का नैरेटिव बदल चुका है. आज उत्तर प्रदेश की पहचान एक मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर वाली स्टेट के रूप में हो रही है.”

ब्रजेश पाठक ने सपा पर किए सियासी वार

ब्रजेश पाठक ने कहा, “विपक्षी दलों पास कहने को कुछ नहीं है. उनके शासनकाल को लोग याद कर सिहर उठते हैं. गुंडई, अराजकता, दंगे चरम पर, पूरी तरह से सरकारी संसाधनों की लूट होती थी.”

उन्होंने आगे कहा, “समाजवादी पार्टी का जो डीएनए है वह हमेशा भ्रष्टाचार, गुंडागर्दी, अराजकता का रहा है. आप जिले-जिले लिस्ट निकाल लीजिए सपा के शासनकाल में दलाल बैठे थे. उनके सांसद, विधायक सरकारी संसाधनों की लूट का बयाना लेते थे. आज हमारी सरकारों में एक व्यक्ति ऐसा मिल जाए जो गारंटी देता हो कि हम काम करवा देंगे तो मैं राजनीति छोड़ने को तैयार हूं. हमारी सरकार भ्रष्टाचार मुक्त शासन दे रही है.”

पाठक ने आगे हमला बोलते हुए कहा, “4 चुनाव में गठबंधन का इनका जो प्रयोग था, वह सब फ्लॉप हो चुका है. और जो लोग उनकी गलत बयानी के आधार पर ठगे गए, वह आज हमारे साथ हैं. जनता भाजपा के साथ है.”

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सपा शुरू कर रही जातीय जनगणना की मांग को लेकर संगोष्ठी

आपको बता दें कि सपा शुक्रवार से जातीय जनगणना कराने की मांग को लेकर जिले वार संगोष्ठी करने जा रही है. दरअसल, जातीय जनगणना के समर्थन और विरोध के पीछे सारा खेल राजनीति से जुड़ा है. जातीय जनगणना के समर्थन के पीछे पिछड़ी जातियों का वोट बैंक का है, जिनकी आबादी करीब 50 प्रतिशत से ज्यादा बताई जाती है.

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