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Exclusive: UP चुनाव में OBC वोटरों के लिए BJP की खास रणनीति, ’10 करोड़ की आबादी’ पर निगाहें

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एक ऐसे वक्त में जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक दल सोशल इंजीनियरिंग के अलग-अलग फॉर्मूले अपनाकर राज्य की सत्ता में आने की कोशिश में जुटे हैं, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने ओबीसी वोटरों के लिए खास रणनीति बनाई है. इसी क्रम में पार्टी 18 सितंबर को अयोध्या में एक बड़ी बैठक भी करने जा रही है.

ओबीसी वोटरों को लेकर बीजेपी की रणनीति क्या है, इस बारे में खुद उत्तर प्रदेश बीजेपी के ओबीसी मोर्चा चीफ नरेंद्र कश्यप ने यूपी तक को जानकारी दी है.

कश्यप ने बताया, ”18 सितंबर को पूरे प्रदेश की कार्यसमिति (की बैठक) अयोध्या में होनी है. इसमें सीएम, डिप्टी सीएम, प्रदेश अध्यक्ष और केंद्र सरकार के कई मंत्री भी मार्गदर्शन के लिए मौजूद रहेंगे.”

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उन्होंने बताया, ”इस दौरान चुनाव कैंपेन, चुनाव सिस्टम, ऑर्गनाइजेशन सिस्टम, सम्मेलन, रैली, जलसे, महारैली आदि को लेकर विस्तृत चर्चा होगी और कार्ययोजना बनेगी ताकि हम उत्तर प्रदेश के 10 करोड़ पिछड़े समाज के लोगों के बीच में जाकर (अपनी) सरकार की उपलब्धियों और नीतियों के बारे में बता सकें और उन्हें पहले से ज्यादा मजबूती से पार्टी के साथ जोड़ सकें.”

31 अगस्त से जारी हैं क्षेत्रीय स्तर की बैठकें

ओबीसी वोटरों को लेकर बीजेपी के मिशन पर कश्यप ने बताया कि पार्टी अभी क्षेत्रीय स्तर पर बैठकें कर रही है, जिनमें 15-20 जिलों के नेता आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि इन बैठकों में ‘पार्टी की रीढ़’ के साथ आगामी कार्ययोजना पर चर्चा होती है.

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इन बैठकों का सिलसिला 31अगस्त को मेरठ से शुरू हुआ था. इसी क्रम में 2 सितंबर को अयोध्या में भी बैठक हुई है. इसके अलावा 3 सितंबर को कानपुर, 4 सितंबर को मथुरा, 8 सितंबर को काशी, 9 सितंबर को गोरखपुर, 13 सितंबर को बुलंदशहर में बैठकें होंगी. इसके बाद 17 सितंबर को पार्टी की प्रदेश कमेटी की एक बैठक भी होगी.

क्या विपक्ष की सेंधमारी रोक पाएगी बीजेपी?

जब विपक्ष आरक्षण की सीमा को बढ़ाने और जातिगत जनगणना के आंकड़ों को जारी करने की मांग कर रहा है, क्या बीजेपी ‘ओबीसी वोटबैंक’ में सेंधमारी रोक पाएगी? इस सवाल के जवाब में कश्यप ने कहा, ”विपक्ष सेंध नहीं लगा पाएगा क्योंकि मोदी सरकार के 7 सालों में पिछड़ों के लिए वो किया गया, जो आजादी के बाद कभी नहीं हुआ. मोदी जी की सरकार में ओबीसी कमीशन को संवैधानिक अधिकार देने का बड़ा फैसला पिछड़ों के हक में हुआ. 35 फीसदी पिछड़े वर्ग के सांसदों को कैबिनेट में हिस्सेदारी दी गई.”

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इसके आगे उन्होंने कहा, ”प्रदेश की सरकारों को यह अधिकार देने का फैसला कि अगर कुछ और वर्ग के लोग संवैधानिक अधिकारों से वंचित हैं तो उनको भी (पिछड़े वर्ग) की सूची में शामिल किया जा सके, क्रीमी लेयर आय का दायरा 6 लाख से 8 लाख बढ़ाना, ऐसी अनेकों योजनाएं हैं जो मोदी सरकार में लागू की गई हैं.”

उत्तर प्रदेश बीजेपी के ओबीसी मोर्चा चीफ ने दावा किया कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (एसपी), बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और तमाम छोटे-बड़े दलों ने पिछड़ों के वोटों का इस्तेमाल किया, लेकिन कभी उनके संवैधानिक अधिकारों की चिंता नहीं की. उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए वो लोगों को गुमराह करने की कोशिश में हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के पिछड़े अब गुमराह नहीं होने वाले हैं.

ओबीसी के मुद्दे पर बीजेपी को इस तरह घेरने की कोशिश में विपक्ष

पिछले दिनों एसपी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी पर ओबीसी वर्गों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा को बढ़ाया जाए और जातिगत जनगणना के आंकड़ों को जारी किया जाए.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री यादव ने पिछले विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए बीजेपी पर निशाना साधा और कहा, ‘‘इन्होंने कुछ चेहरे आगे किए और कहा कि मुख्यमंत्री ओबीसी समुदाय से होगा, लेकिन जब मुख्यमंत्री बना तो कौन बना?’’

अखिलेश यादव ने कहा, ‘‘सब जातियों को गिन लिया जाए. सबको लगता है कि वो संख्या में ज्यादा हैं, लेकिन उनकी उपेक्षा हो रही है. ऐसे में जनगणना क्यों नहीं होती?’’

इस मुद्दे पर बीएसपी भी दांव चल चुकी है. बीएसपी चीफ मायावती ट्वीट कर कह चुकी हैं, ”देश में ओबीसी समाज की अलग से जनगणना कराने की मांग बीएसपी शुरू से ही करती रही है और अभी भी बीएसपी की यही मांग है.” मायावती ने यह तक कहा था कि अगर बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार इस मामले में कोई सकारात्मक कदम उठाती है तो फिर बीएसपी इसका संसद के अंदर और बाहर समर्थन जरूर करेगी.

ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव में विपक्ष इस मुद्दे को कितना उछालता है और ओबीसी वोटरों को अपने पाले में लाने की कोशिश में किस पार्टी को सफलता मिलती है.

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