उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का खास फोकस मुस्लिम वोटरों पर भी है. इसी क्रम में पार्टी हर वो दांव चलने की कोशिश में दिख रही है, जिससे समाजवादी पार्टी (एसपी) के मुस्लिम ‘वोट बैंक’ में सेंध लग सके. कांग्रेस के एक 16 सूत्रीय संकल्प पत्र में इसकी झलक देखी जा सकती है. इस संकल्प पत्र को पार्टी के अल्पसंख्यक सेल ने तैयार किया है.
संकल्प पत्र में एसपी पर किस तरह और क्यों निशाना साधा गया है, आपको यह भी बताएंगे, लेकिन पहले आप कांग्रेस के इस 16 सूत्रीय संकल्प पत्र पर गौर फरमाइए:
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कांग्रेस सरकार बनी तो सीएए और एनआरसी विरोधी आंदोलन में दर्ज मुकदमे वापस होंगे और मुआवजा दिया जाएगा.
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राजस्थान की कांग्रेस सरकार की तरह मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाने के लिए विधानसभा से राष्ट्रपति को प्रस्ताव भेजा जाएगा.
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बुनकरों को फ्लैट रेट पर बिजली दी जाएगी और कांग्रेस के जमाने में स्थापित की गईं कताई मिलों को फिर से खोला जाएगा.
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डॉ. मनमोहन सिंह सरकार में बुनकरों के लिए जारी किए गए 2350 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
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एसपी सरकार में बंद टेनरी को खोला जाएगा.
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अंबेडकर छात्रावासों की तर्ज पर हर जिले में अल्पसंख्यक छात्रों के लिए मौलाना आजाद छात्रावास खोले जाएंगे.
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अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाएगी.
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मदरसा आधुनिकीकरण, शिक्षकों के बकाया वेतन को देने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जाएगा.
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पिछले 30 सालों में वक्फ की संपत्तियों में हुई धांधली की जांच कराई जाएगी और दोषियों को सजा दी जाएगी.
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पसमांदा तबकों के विकास के लिए अलग से पसमांदा आयोग का गठन किया जाएगा.
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दस्तकार वर्ग की आवाज को सदन में स्थाई तौर पर उठाने के लिए उस वर्ग से विधान परिषद में एक सदस्य नामित किया जाएगा.
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एसपी सरकार में हुए सभी छोटे-बड़े दंगों की न्यायिक जांच कराकर दोषियों को सजा दी जाएगी.
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1992 में कानपुर में हुए दंगे की जांच के लिए गठित माथुर कमीशन की रिपोर्ट पर कार्रवाई कर दोषियों को सजा दी जाएगी.
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हर मंडल में एक यूनानी मेडिकल कॉलेज खोला जाएगा.
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अल्पसंख्यक वर्ग में आत्मविश्वास विकसित करने के लिए अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में राज्य पुलिस बल में भर्ती के लिए विशेष कैंप लगाए जाएंगे.
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उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम के तहत बेगुनाह लोगों पर लादे गए मुकदमे, जिन्हें हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है उनको मुआवजा दिया जाएगा.
इसमें कुछ ऐसे एजेंडे हैं जो सीधे-सीधे समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव को चुभ सकते हैं, जैसे- इसमें यह कहा गया है एसपी राज में हुए सभी छोटे बड़े दंगों की न्यायिक जांच कराई जाएगी.
इसके बाद 1992 के जिन कानपुर दंगों का मुद्दा कांग्रेस ने उठाया है, उनमें 200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. 1994 में मुलायम सिंह सरकार ने इन दंगों से जुड़े केस वापस ले लिए थे. ऐसे में इस मुद्दे पर अब कांग्रेस मुलायम सिंह से लेकर उनके बेटे और एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव तक को घेर सकती है. इसके अलावा कांग्रेस ने एसपी सरकार में बंद टेनरी को खोलने का भी वादा किया है.
दरअसल पिछले 3 दशकों से ज्यादा वक्त से कांग्रेस उत्तर प्रदेश में सत्ता से बाहर है. इस बीच एसपी को मुसलमानों का बड़ा समर्थन मिलता रहा है. शायद इसलिए अब कांग्रेस एसपी को अलग-अलग मुद्दों पर घेरकर मुस्लिम वोटरों के बीच सेंध लगाने की कोशिश में दिख रही है.
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