UP MLC चुनाव: कीर्ति कोल का पर्चा खारिज होने पर डिप्टी सीएम पाठक ने सपा पर लगाए ये आरोप

अभिषेक मिश्रा

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उत्तर प्रदेश विधान परिषद में दो सीटों पर हो रहे चुनाव में समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार कीर्ति कोल का पर्चा खारिज होने के बाद प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने सपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं. ब्रजेश पाठक ने कहा- समाजवादी पार्टी ने जानबूझकर एक आदिवासी महिला को अपमानित करने के लिए पर्चा खारिज करवाया है.

ब्रजेश पाठक ने कहा कि जब एक आदिवासी बहन को पीएम मोदी ने राष्ट्रपति बनाया तो सपा नेता अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव का अपमान करने वाले व्यक्ति का समर्थन किया. सपा को यह नहीं पता कि विधान परिषद के सदस्य की उम्र 30 वर्ष होनी चाहिए. सब जान करके भी मानसिक पीड़ा देने के लिए पर्चा भरवाया. ब्रजेश पाठक ने आगे कहा- अखिलेश समाज के दबे कुचले लोगों के नेता नहीं. सपा सत्ता में रही तो भ्रष्टाचारियों को लेकर साथ चली, कब्जा करने वाले गुंडा माफियाओं का राज रहा. रवि किशन के बयान पर कहा बीजेपी सरकार ने कानून का राज स्थापित किया है. जहां कहीं भी आतंकवादी, गुंडे बदमाश छुपे हैं उन्हें ढूंढ कर निकालकर कानून के तहत कार्रवाई होगी.

आपको बता दें कि कोल का पर्चा निरस्त होने की वजह उनकी कम उम्र बताई जा रही है. मिली जानकारी के अनुसार, कीर्ति कोल ने नामांकन पत्र में अपनी उम्र 28 वर्ष बताई थी, जबकि विधान परिषद के लिए न्यूनतम आयु 30 वर्ष होनी चाहिए. इसी कारण उनका नामांकन पत्र खारिज कर दिया गया है.

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छानबे विधानसभा से प्रत्याशी रहीं कीर्ति कोल अनुसुचित जनजाति के कोल समाज से आती हैं. इनके पिता भाई लाल कोल दो बार विधायक और एक बार सांसद रहे हैं. कोल समाज के बड़े नेताओं में उनकी गिनती होती थी. लालगंज के पचोखर गांव की रहने वाली कीर्ति कोल पिता भाई लाल कोल की मौत के बाद पहली बार पंचायत चुनाव में उतरी थीं. पंचायत चुनाव में वह लालगंज से जिला पंचायत सदस्य के तौर पर चुनी गईं. उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव 2022 में समाजवादी पार्टी ने मिर्जापुर की छानबे सुरक्षित विधान सभा सीट से अपना उम्मीदवार बना कर कीर्ति कोल को मैदान में उतारा, मगर वह अपना दल(S) के राहुल कोल से हार गईं. अब समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर कीर्ति कोल को एमएलसी चुनाव में उतारा है.

गौरतलब है कि इन दोनों ही सीटों पर 11 अगस्त को वोटिंग होनी है. ध्यान देने वाली बात है कि सपा नेता अहमद हसन और ठाकुर जयवीर सिंह के विधायक बनने के बाद विधान परिषद की ये दोनों सीटें खली हैं. इन्हीं सीटों पर चुनाव होना है.

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