यूपी चुनाव 2022: क्या मिर्जापुर में अनुप्रिया-BJP के गठजोड़ को शिकस्त दे पाएगा विपक्ष?

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कालीन, दरियों और गुलाबी पत्थरों के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध मिर्जापुर में बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल (सोनेलाल) ने 2017 के विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर कब्जा किया था. इस चुनाव में मोदी लहर में सभी विपक्षी दलों को हार का सामना करना पड़ा था. जिले की पांच सीटों पर बीजेपी व उसकी सहयोगी दल के प्रत्याशियों को एक लाख से अधिक वोट मिले थे, जबकि विपक्ष 64 हजार वोट तक भी नहीं पहुंच सका था.

2012 के विधानसभा चुनाव में जिले की एक भी सीट बीजेपी के पास नहीं थी, इस चुनाव में समाजवादी पार्टी (एसपी) का तीन सीटों पर और बसपा-कांग्रेस का 1-1 सीट पर कब्जा था. वहीं, 2017 के चुनाव में बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल (सोनेलाल) ने सभी सीटों पर कब्जा किया था.

विधानसभा चुनाव 2012 से 2017 में सभी विधानसभा सीटों पर तस्वीरें कैसी बदली? आइए एक नजर डालते हैं.

मिर्जापुर में कुल 5 विधानसभा सीटें-

  • छानबे विधानसभा

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  • मिर्जापुर नगर विधानसभा

  • मझवां विधानसभा

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  • चुनार विधानसभा

  • मड़िहान विधानसभा

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    छानबे विधानसभा (SC)

    2017: विधानसभा चुनाव 2017 में यह सीट बीजेपी की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के खाते में गई थी. अपना दल (सोनेलाल) के राहुल प्रकाश ने 107007 वोट पाकर बसपा के धनेश्वर को 63 हजार 468 वोटों से हराया था. सपा के भैया लाल 37 हजार 108 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे.

    2012: विधानसभा चुनाव 2012 में इस सीट पर सपा का कब्जा था. सपा के भाई लाल कौल ने बसपा के शषि भूषण को 10 हजार 294 वोटों से हराया था. भाई लाल कौल को 57488 वोट मिले थे. शषि भूषण को 47194 वोट मिले थे. कांग्रेस के भगवती प्रसाद चौधरी 33426 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे.

    मिर्जापुर नगर विधानसभा

    2017: विधानसभा चुनाव 2017 में यह सीट बीजेपी के खाते में गई थी. भाजपा के रत्ननाकर मिश्र ने 57 हजार 412 वोटों से सपा के कैलाश चौरसिया को हराया था. बसपा के मो. परवेज खान 49 हजार 955 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे.

    2012: विधानसभा चुनाव 2012 में इस सीट पर सपा का कब्जा था. सपा के कैलाश चौरसिया ने बसपा के रंग नाथ मिश्रा को 22 हजार 299 वोटों से हराया था. सपा के कैलाश चौरसिया को 69099 वोट मिले थे. बीजेपी के मनोज कुमार जायसवाल 37 हजार 26 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे.

    मझवां विधानसभा

    2017: विधानसभा चुनाव 2017 में यह सीट बीजेपी के खाते में गई थी. भाजपा की सुचिस्मिता मौर्या ने 41 हजार 159 वोटों से बसपा के कद्दावर नेता रमेश चंद बिंद को हराया था. सुचिस्मिता मौर्या को 107839 वोट मिले थे. सपा के रोहित शुक्ला 44212 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे.

    2012: विधानसभा चुनाव 2012 में इस सीट पर बसपा का कब्जा था. बसपा के रमेश चंद्र बिंद ने 83 हजार 870 वोट पाकर सपा के राजेद्र प्रसाद को 9 हजार 729 वोटों से हराया था.

    चुनार विधानसभा

    2017: विधानसभा चुनाव 2017 में यह सीट बीजेपी के खाते में गई थी. बीजेपी के अनुराग सिंह ने 62 हजार 228 वोटों से सपा के जगदंबा सिह पटेल को हराया था. अनुराग सिंह को 1 लाख 5 हजार 608 वोट मिले थे. बसपा के अनमोल सिंह 39 हजार 67 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे.

    2012: विधानसभा चुनाव 2012 में इस सीट पर सपा का कब्जा था. सपा के जगदंबा सिह ने 67 हजार 265 वोट पाकर बसपा के घनश्याम को 20 हजार 708 वोटों से हराया था. बीजेपी के ओम प्रकाश सिंह 35 हजार 573 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे.

    मड़िहान विधानसभा

    2017: विधानसभा चुनाव 2017 में यह सीट बीजेपी के खाते में गई थी. भाजपा के रामा शंकर सिंह ने 1 लाख 65 हजार 17 वोट पाकर कांग्रेस के ललितेश पति त्रिपाठी को 46 हजार 598 वोटों से हराया था. बसपा के अवधेश कुमार सिंह 52 हजार 782 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे.

    2012: विधानसभा चुनाव 2012 में इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा था. कांग्रेस के ललितेश पति त्रिपाठी ने 63 हजार 492 वोट पाकर सपा के सत्येंद्र कुमार पटेल को 8 हजार 523 वोटों से हराया था. बसपा के शिवजोर पाल 52 हजार 128 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे.

    स्थानीय मुद्दे

    मिर्जापुर की भौगोलिक परिस्थितियां अलग-अलग हैं, इसलिए पांच विधानसभा सीट पर अलग-अलग मुद्दे हैं. मिर्जापुर नगर विधानसभा सीट में सबसे ज्यादा सड़क की समस्या का मुद्दा है. शहर को जोड़ने वाले प्रमुख सड़क विंध्याचल-इमामबाड़ा मगर अमृत योजना पाइप लाइन बिछाने की वजह से पूरी तरह से खराब हो चुकी है. शहर के अंदर की सड़कें भी खराब है, जो आने वाले समय मे चुनावी मुद्दा बन सकती है.

    मड़िहान, छानबे विधानसभा समेत सभी सीटों पर पर पानी की समस्या का सबसे बड़ा मुद्दा है. छानबे विधानसभा के लालगंज और हलिया इलाके के कई गांव आज भी पीने की पानी की समस्या को लेकर जूझ रहे हैं.

    मझवां विधानसभा में किसान सब्जी की खेती बहुत बड़ी संख्या में करते हैं. इस साल बाढ़ की वजह से गंगा के किनारे बोई गई सब्जी की फसल बर्बाद हो चुकी है. ऐसे में किसान मुआवजे की मांग कर रहे हैं. इन किसानों की मानें तो आगामी विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा बनेगा.

    (इनुपट्स- सुरेश कुमार / यूपी तक)

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