कमजोर बूथों को साधकर मिशन 2024 का लक्ष्य भेदने की तैयारी में जुटी बीजेपी

यूपी तक

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‘बूथ जीता तो देश जीता’ के नारे के साथ पिछले कई चुनाव लड़ चुकी बीजेपी ने एक बार फिर मिशन 2024 के लिए इसी ‘मंत्र’ से लक्ष्य को साधने की तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए देश के सबसे बड़े प्रदेश यूपी में कमजोर बूथ सशक्तिकरण अभियान को धार देने की कवायद पार्टी ने तेज कर दी है. लखनऊ में बैठक करके सांसदों को इसका पाठ पढ़ाया गया तो सांसदों और विधायकों को कमजोर बूथों को मज़बूत बनाने का ब्लू प्रिंट भी बताया गया.

यूपी में पूर्ण बहुमत हासिल कर दोबारा सत्ता में लौटी बीजेपी के लिए सामने बड़ा लक्ष्य है. 2024 में मोदी के रथ को आगे ले जाने की ज़िम्मेदारी सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले यूपी की है. ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर दिए गए कमजोर बूथ सशक्तिकरण अभियान की सबसे बड़ी परीक्षा भी यूपी में होगी.

हाल ही में सम्पन्न यूपी बीजेपी की कार्यसमिति में खुद यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने आगे बढ़कर 80 में से 75 सीटों का लक्ष्य रख दिया. इसके बाद से यूपी में मिशन 2024 को देखते हुए रणनीति तेज हो गई है.

कमजोर बूथ सशक्तिकरण अभियान के तहत वीक बूथ कमेटी (weak booth committee) की बैठक हुई और सांसदों को पाठ पढ़ाया गया. पहले ही सांसदों को 100 बूथ और विधायकों को 25 बूथों की जिम्मेदारी दी देने का फैसला पार्टी ने किया है.

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इसकी रणनीति की समीक्षा बैठक में की गई. राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और बूथ सशक्तिकरण अभियान के संयोजक जय पंडा इस बैठक में शामिल हुए. सांसदों के साथ प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने मंथन किया.

सांसद -विधायकों को ज़िम्मेदारी

कमजोर बूथों को साधने के लिए अब सांसद और विधायक यूपी में मोर्चा सम्भालेंगे. ये फैसला किया गया है कि 30 जून तक कमजोर बूथों में सम्पर्क करेंगे. सांसद अपने लिए निर्धारित 100 बूथों में जाएंगे, जबकि विधायक 25 बूथों में जाकर बैठक करेंगे. खास बात ये है कि हर लोकसभा क्षेत्र में ‘weak booth committee’ में 80 से 100 लोग शामिल होंगे. जुलाई में फिर से इन्हीं बूथों पर जाना होगा. पार्टी की रणनीति ये है कि इससे माइक्रो मैनेजमेंट के जरिए कमजोर बूथों को साधा जा सकेगा.

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कमजोर बूथों की बनी श्रेणी

यूपी में सभी 80 लोकसभा सीटों पर ऐसे बूथ चिह्नित किए गए हैं, जहां बीजेपी को सफलता नहीं हासिल हुई है. इसके लिए पिछले 4 चुनाव (दो लोकसभा और दो विधानसभा को आधार माना गया है) पार्टी इन कमजोर बूथों पर काम करेगी. इसके लिए A, B, C, D की चार श्रेणी भी बनाई गई है, जिसमें सबसे कमजोर से लेकर काम कमजोर बूथों को रखा गया है.

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खास बात ये है कि 2024 के लिए अभी से इस माइक्रो मैनेजमेंट के सहारे सबसे पहले इन बूथों पर काम करने का लक्ष्य है, जहां पार्टी मज़बूत नहीं है.

पिछले लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने ‘मेरा बूथ सबसे मज़बूत’ कैंपेन चलाया था. बीजेपी बूथ को ही जीत का आधार मानती रही है. ऐसे में शुरू से तैयारी करते हुए पार्टी इस चुनाव में भी सफलता हासिल करना चाहती है.

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