BJP के सिख कार्यकर्ता पहुंचे विरोध करने तो सपा ने याद दिलाया लखीमपुर खीरी कांड
Ramcharitmanas Controversy: रामचरितमानस विवाद को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है. इसी कड़ी में आज यानी…
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Ramcharitmanas Controversy: रामचरितमानस विवाद को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है. इसी कड़ी में आज यानी शुक्रवार को लखनऊ स्थित समाजवादी पार्टी कार्यालय के सामने भाजपा के सिख समुदाय के कार्यकर्ता रामचरितमानस की प्रतियां लेकर पहुंचे. भाजपा कार्यकर्ताओं को देखकर सपा कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया, जिसके चलते मौके पर हंगामा हो गया. इसके बाद पुलिस ने बीच-बचाव करते हुए भाजपा कार्यकर्ताओं को सपा कार्यालय से हटाया. वहीं, अब सपा ने इसी मुद्दे पर भाजपा पर हमला बोलते हुए पिछले साल अक्टूबर के महीने में हुए लखीमपुर खीरी कांड का जिक्र करते हुए तंज कसा है.
सपा ने ट्वीट कर कहा,
“जो सिख भाई सपा के कार्यालय पर आए उनका स्वागत. भाजपा द्वारा भेजे गए इन गिनेचुने सिख भाइयों से अनुरोध है कि वो हाथ में ‘भारतीय दण्ड संहिता’ लेकर भाजपा के कार्यालय भी जाएं और लखीमपुर खीरी में थार जीप से जिनकी हत्या की गई उन अपने लोगों के बारे में क्या न्याय हुआ है, इसकी जांच करें.”
समाजवादी पार्टी
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दरअसल, कानपुर से भारतीय जनता पार्टी के क्षेत्रीय सहसंयोजक सिमरनजीत सिंह लखनऊ पहुंचे. वह अपने साथ रामचरितमानस पुस्तक की प्रति लेकर पहुंचे थे. मिली जानकारी के अनुसार, सिमरनजीत सिंह अखिलेश यादव को रामचरितमानस की प्रति सौंपना चाहते थे.
वहीं, जब पार्टी कार्यालय के बहार भाजपा कार्यकर्ताओं के आने की खबर सपा कार्यकर्ताओं को मिली, तो उन्होंने इसका जमकर विरोध किया. इसके चलते सपा कार्यालय के बाहर हंगामा मच गया. मामले की जानकारी मिलने पर पुलिस ने बीच-बचाव करते हुए भाजपा कार्यकर्ताओं को सपा कार्यालय से हटाया.
स्वामी पसद मौर्य के बयान से शुरू हुआ ये विवाद
गौरतलब है कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछले महीने 22 जनवरी को रामचरितमानस की एक चौपाई का जिक्र करते हुए कहा था कि उनमें पिछड़ों, दलितों और महिलाओं के बारे में आपत्तिजनक बातें लिखी हैं, जिससे करोड़ों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचती है. लिहाजा इस पर पाबंदी लगा दी जानी चाहिए.
मौर्य की इस टिप्पणी को लेकर काफी विवाद उत्पन्न हो गया था. साधु-संतों तथा भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने उनकी कड़ी आलोचना की थी. उनके खिलाफ लखनऊ में मुकदमा भी दर्ज किया गया. उनके समर्थन में आए एक संगठन के कार्यकर्ताओं ने बीते रविवार को रामचरितमानस के कथित आपत्तिजनक अंश की प्रतियां जलाई थीं.
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