देश में नागरिकता संशोधन कानून लागू हुआ तो अखिलेश यादव ने दे दिया तीखा रिएक्शन, ये बोले

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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले चार सालों से विवाद में रहे नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 को लोकसभा चुनावों से ठीक पहले लागू कर दिया है.देश के कई राज्यों में सीएए का जमकर विरोध भी हुआ है. अब अखिलेश यादव ने भी इसे लेकर अपनी पहली प्रतिक्रिया दे दी है. 

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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले चार सालों से विवाद में रहे नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 को लोकसभा चुनावों से ठीक पहले लागू कर दिया है. सोमवार को CAA को अधिसूचित किया गया. इसके बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से दस्तावेज के बिना आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का रास्ता अब साफ हो गया है. देश के कई राज्यों में सीएए का जमकर विरोध भी हुआ है. अब अखिलेश यादव ने भी इसे लेकर अपनी पहली प्रतिक्रिया दे दी है. 

अखिलेश यादव ने कहा है कि, 'जब देश के नागरिक रोज़ी-रोटी के लिए बाहर जाने पर मजबूर हैं तो दूसरों के लिए ‘नागरिकता क़ानून’ लाने से क्या होगा? जनता अब भटकावे की राजनीति का भाजपाई खेल समझ चुकी है. भाजपा सरकार ये बताए कि उनके 10 सालों के राज में लाखों नागरिक देश की नागरिकता छोड़ कर क्यों चले गये. चाहे कुछ हो जाए कल ‘इलेक्टोरल बांड’ का हिसाब तो देना ही पड़ेगा और फिर ‘केयर फ़ंड’ का भी.'

उधर इंडिया गठबंधन की दूसरी सहयोगी नेता और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी इसे लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है. ममता बनर्जी ने कहा है कि अगर CAA-NRC की आड़ में किसी की नागरिकता छीनी गई, तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

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क्या है CAA? 

सीएए यानी नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को दिसंबर, 2019 में संसद में पारित किया गया था. बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी, लेकिन इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये थे. नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 एक कानून है जो अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के शरणार्थियों के लिए नागरिकता का मार्ग प्रदान करता है. इनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई शरणार्थी भी शामिल हैं. 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में शरण लेने आए इन धार्मिक समूहों के शरणार्थी ही इसके लिए इलिजिबल हैं. 

तीन देश

अफ़ग़ानिस्तान
पाकिस्तान
बांग्लादेश

छह अल्पसंख्यक समुदाय

हिंदू
सिख
बौद्ध
जैन
पारसी
ईसाई

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