योगी मंत्रिमंडल विस्तार: सामाजिक संतुलन और सियासी समीकरण दोनों साधने की कोशिश?

शिल्पी सेन

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उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार का 26 सितंबर की शाम को मंत्रिमंडल विस्तार हुआ. इसके तहत, हाल ही में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले जितिन प्रसाद कैबिनेट मंत्री बने, तो पलटू राम, छत्रपाल गंगवार, संगीता बिंद, धर्मवीर प्रजापति, दिनेश खटीक और संजीव कुमार ने राज्यमंत्री पद के तौर पर शपथ ली.

अगर जितिन प्रसाद को छोड़ दें, तो बाकी 6 मंत्री बीजेपी की चुनावी रणनीति का अहम संकेत दे रहे हैं, जिसके तहत पार्टी इस चुनाव में अति पिछड़े और दलित समुदाय को साधने की कोशिश कर रही है. हालांकि, रैली-आयोजनों में भी मुहूर्त देखने वाली बीजेपी ने चुनाव में ज्यादा समय न होने की वजह से पितृपक्ष में ही शपथ समारोह का आयोजन कर मंत्रियों को शपथ दिलवा दी.

योगी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार ऐसे समय में हुआ है जब नए मंत्रियों के लिए कामकाज का कोई समय नहीं बचेगा, पर बीजेपी ने लंबे समय के कयास के बाद 26 सितंबर को आखिरकार मंत्रिमंडल विस्तार कर दिया.

योगी मंत्रिमंडल का आखिरी विस्तार पितृपक्ष में हुआ है. इससे पहले 21 सितंबर, 1997 को पूर्व सीएम कल्याण सिंह ने पितृपक्ष में ही शपथ ली थी, जब बीएसपी नेता मायावती से पावर शेयरिंग के तहत 6 महीने पूरे होने पर कल्याण सिंह बीजेपी की तरफ से सीएम बने थे.

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इसे लेकर वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्रा कहते हैं,

बीजेपी खुद को परम्परा और सनातन संस्कृति का वाहक मानती है, पर चुनाव को देखते हुए पितृपक्ष में ही कई सामाजिक समीकरण को साधते हुए बीजेपी ने योगी मंत्रिमंडल का विस्तार करवा दिया.

योगेश मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार

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साथ ही योगेश ये भी सवाल उठाते हैं, “बीजेपी बहुसंख्यक राजनीति करती रही है. ऐसे में उसे जाति आधारित राजनीति में उतरने की कोई जरूरत नहीं थी. लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस विस्तार से ये बताने की कोशिश की गयी है कि बीजेपी इन पिछड़ी और दलित जातियों को महत्व देती है.”

बीजेपी ने सामाजिक संतुलन साधने का संदेश दिया तो मिशन 2022 से पहले सियासी समीकरण दुरुस्त करने की कोशिश भी की. रविवार, 26 सितंबर को ही राज्यपाल को विधान परिषद के लिए भेजे गए नामों में भी सामाजिक संतुलन और सियासी समीकरण को एक साथ साधने की कवायद दिख रही है. मंत्रिमंडल विस्तार और एमएलसी के नामों के जरिए बीजेपी ने 10 जातियों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है.

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वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ल कहते हैं, “अब चुनाव करीब हैं तो बीजेपी ने उन जातियों को साधने की कोशिश की है, जिन पर बीजेपी की नजर है, ताकि समीकरण को ठीक किया जा सके.”

हालांकि, बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक का कहना है, “बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं को महत्व देती है. इसकी बानगी इस विस्तार में भी मिल रही है. पलटू राम हों या संगीता बिंद या फिर धर्मवीर प्रजापति, छत्रपाल गंगवार सब बीजेपी कार्यकर्ता हैं. दिनेश खटीक जैसे जमीनी कार्यकर्ता भी हैं. वो कार्यकर्ता जो पार्टी के लिए काम करते हैं. बीजेपी उनको जिम्मेदारी और सम्मान देती है.”

विजय बहादुर पाठक कहते हैं, “इन जातियों के लिए बीजेपी आज से नहीं काम कर रही है. हमारा तो नारा ही है, सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास… और हम सबको साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं.”

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