HC के फैसले के बाद निकाय चुनाव में अभी और देरी होगी? अब योगी सरकार क्या करेगी? जानिए

कुमार अभिषेक

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UP Nikay Chunav. उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव (UP Urban body elections) बिना ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण के कराने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर मंगलवार शाम को शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक बैठक ले सकते हैं. इस बैठक में सरकार कोर्ट के फैसले को लेकर आगे की रणनीति पर फैसला कर सकती है. यूपी सरकार हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है.

बता दें कि कोर्ट ने बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने का आदेश दिया है. यानी कोर्ट ने सरकार के द्वारा जारी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया है. अब ओबीसी के लिए आरक्षित सभी सीटें अब जनरल मानी जाएंगी. 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के द्वारा जारी की गई ओबीसी आरक्षण सूची को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि ओबीसी को आरक्षण देने के लिए एक डेडिकेटेड कमीशन बनाया जाए, तभी दिया जा सकेगा ओबीसी आरक्षण.

कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा कि सरकार ट्रिपल टी फॉर्मूला अपनाए, इसमें समय लग सकता है. ऐसे में अगर सरकार और निर्वाचन आयोग चाहे तो बिना ओबीसी आरक्षण के ही तुरंत चुनाव करवाया जा सकता है.

 न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की पीठ ने यह आदेश दिया. इस फैसले से राज्य में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का रास्‍ता साफ हो गया है.

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कोर्ट के इस आदेश के बाद अब प्रदेश में किसी भी तरह का ओबीसी आरक्षण नहीं रह गया है. यानी सरकार द्वारा जारी किया गया ओबीसी आरक्षण नोटिफिकेशन रद्द हो गया है. अगर सरकार या निर्वाचन आयोग अभी चुनाव कराता है तो ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को जनरल मानकर चुनाव होगा. वहीं दूसरी तरफ एससी-एसटी के लिए आरक्षित सीटें यथावत रहेंगी, इसमें कोई बदलाव नहीं होगा.

बता दें कि ओबीसी आरक्षण रद्द कर निकाय चुनाव कराने के हाई कोर्ट के फैसले को लेकर यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दी है.

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उन्होंने कहा कि “नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश का विस्तृत अध्ययन कर विधि विशेषज्ञों से परामर्श के बाद सरकार के स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा,परंतु पिछड़े वर्ग के अधिकारों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा.”

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार ‘ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले’ के बिना सरकार द्वारा तैयार किए गए ओबीसी आरक्षण के मसौदे को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर उच्च न्यायालय का यह फैसला आया.

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