UP चुनाव: BJP में हार वाली सीटों पर समीक्षा शुरू, ‘भीतरघातियों’ पर हो सकती है कार्रवाई
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में जीतकर फिर से सत्ता में वापसी कर रही बीजेपी ने चुनावी नतीजों की समीक्षा भी शुरू कर दी है.…
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उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में जीतकर फिर से सत्ता में वापसी कर रही बीजेपी ने चुनावी नतीजों की समीक्षा भी शुरू कर दी है. क्षेत्रवार समीक्षा में उन सीटों पर खास नजर है जिन पर पार्टी का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा है. काशी और गोरक्ष क्षेत्र के उन जिलों को लेकर खास तौर पर मंथन हो रहा है, जहां वोट प्रतिशत घटा है और जिन जिलों में बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली.
बीजेपी के बारे में कहा जाता है कि पार्टी एक चुनाव के नतीजों के तुरंत बाद दूसरे चुनाव की तैयारी शुरू कर देती है.
बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 मार्च को घोषित हुए थे. इधर सरकार और मंत्रिमंडल को लेकर सियासी हलकों में चर्चा है तो दूसरी तरफ 36 विधान परिषद की सीटों पर प्रत्याशियों के नाम के साथ जीत के लिए भी मंथन चल रहा है.
इस बीच यूपी में पार्टी की संगठन की रणनीति के चाणक्य माने जाने वाले संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने नतीजों की समीक्षा का खाका तैयार कर लिया है. जिलों में संपर्क करके इस बात का फीडबैक लिया जा रहा है कि चुनाव में ‘भीतरघातियों’ की वजह से कितना नुकसान हुआ है, इसके साथ ही 2017 के मुकाबले जहां प्रदर्शन कमजोर रहा है उसकी वजह क्या है.
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दरअसल, पार्टी को दोबारा बहुमत मिला है लेकिन कई क्षेत्रों में प्रदर्शन आशा के अनुरूप नहीं रहा. 2017 में बीजेपी को 312 सीटें मिली थीं पर इस बार 255 सीटें मिली हैं.
नतीजों की समीक्षा और फीडबैक के लिए संगठन महामंत्री ने मोर्चा संभाला
वैसे नतीजों की औपचारिक रूप से बैठक कर समीक्षा करना बीजेपी का रुटीन काम है, पर इससे पहले संगठन महामंत्री ने फीडबैक लेना शुरू कर दिया है. इस बार बड़ी संख्या में दूसरे दलों के नेताओं की जॉइनिंग भी हुई है. पार्टी में उनमें से कुछ को टिकट भी दिया गया.
पार्टी के पदाधिकारियों के अनुसार ऐसा हर चुनाव के बाद होता है और एक चुनाव के बाद आगे के चुनाव की तैयारी शुरू हो जाती है. पर इस बार हारी हुई सीटों पर मंथन और ज्यादा जरूरी इसलिए है क्योंकि मिशन 2024 के लक्ष्य में अब ज्यादा वक्त नहीं है.
ऐसे में संगठन की कमजोरी किस जगह पर है ये जानना जरूरी है. पार्टी के कई दिग्गज नेता और योगी सरकार के 11 मंत्री भी चुनाव हारे हैं. ऐसे में इस बात पर भी पार्टी की नजर है कि इन सीटों पर संगठन के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं का काम कैसा रहा या संगठन की क्या स्थिति इन क्षेत्रों में है.
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इसके अलावा वो 6 जिले भी महत्वपूर्ण हैं जहां पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली है. अभी सरकार गठन के बाद इन क्षेत्रों की समीक्षा होगी. पार्टी सूत्रों के अनुसार ‘भीतरघातियों’ पर कार्रवाई के लिए भी जमीन तैयार की जा रही है.
किस क्षेत्र में कितनी सीटें ?
इस बार पश्चिम क्षेत्र में बीजेपी को 71 सीटों में से 40 सीटें मिली हैं, जबकि 2017 में पार्टी में इस को इस क्षेत्र में 52 सीटें मिली थीं. ब्रज क्षेत्र में सबसे कम नुकसान हुआ है. 65 सीटों में 52 सीटें पार्टी को मिली हैं, जबकि पिछली बार 57 सीटें मिली थीं.
अवध क्षेत्र की 82 सीटों में 61 सीटें पार्टी को मिली हैं जबकि 2017 में 67 सीटें मिली थीं. कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र में 52 सीटों में पिछली बार 47 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि इस बार 40 सीट ही मिल पाई हैं.
काशी क्षेत्र की 71 सीटों में पिछली बार जहां 55 सीटें पार्टी के कब्जे में आई थीं, वहीं इस बार 42 सीटों से ही संतोष करना पड़ा है. गोरक्ष क्षेत्र की 62 सीटों में पार्टी को 37 सीटें बीजेपी को मिली हैं, जबकि पिछली बार पार्टी को इस क्षेत्र में 46 सीटें मिली थीं.
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पार्टी के लिए ये चिंता की बात है कि शामली, कौशांबी, मऊ, गाजीपुर, आजमगढ़ और अंबेडकरनगर में एक भी सीट नहीं मिली. इन जिलों के लिए मंथन कर कार्य योजना बनाई जाएगी. सरकार गठन के साथ ही संगठन में भी कुछ बदलाव होने के संकेत हैं जिससे 2024 के लिए अभी से संगठन को तैयार किया जा सके.
पार्टी के उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक का कहना है, “हर चुनाव में नई चुनौतियां होती हैं, इसलिए हर चुनाव में नया टास्क सामने आता है. इसी तरह से हम सबसे ज्यादा सांसदों वाले दल बने हैं. प्रदेश में दोबारा बहुमत आया है. नतीजों के बाद पीछे देखने का मौका नहीं होता. आगे के चुनाव के लिए तैयारी का मौका होता है.”
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