फिर बदले केशव मौर्य के सुर अब CM योगी को लेकर कह दी ये बात, आखिर यूपी BJP में क्या चल रहा?

हर्ष वर्धन

केशव प्रसाद मौर्य का नया बयान, सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ एकजुटता का संदेश, भाजपा उत्तर प्रदेश में आंतरिक मतभेद की अटकलों पर विराम.

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Yogi Adityanath And Keshav Prasad Maurya
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UP Politics News: लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश के भीतर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खराब प्रदर्शन के बाद से ही सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के रिश्तों को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं. बीते कुछ दिनों पहले केशव प्रसाद मौर्य के कुछ ऐसे बयान सामने आए थे, जिनसे लगा था कि दोनों नेताओं के बीच सब कुछ ठीक नहीं है. मगर बाद में दोनों के बीच सब कुछ ठीक होने की खबरें सामने आईं. मगर अभी हालिया केशव प्रसाद मौर्य ने सीएम योगी के नारे 'बटेंगे तो कटेंगे’ से खुद को अलग कर लिया था. उन्होंने कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी का नारा ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे' ही उनका नारा है. लेकिन फिर एक बार केशव प्रसाद मौर्य ने अपने सुर बदल लिए हैं. 

केशव प्रसाद मौर्य ने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, "प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का स्पष्ट संदेश और उनके भाषणों से उभरे नारे—‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे, बटेंगे तो कटेंगे’—हम सभी कार्यकर्ताओं की एकजुटता और संकल्प का प्रतीक हैं. भाजपा में न मतभेद था, न है, न होगा. यह नारा मुझ जैसे करोड़ों कार्यकर्ताओं के दिल की आवाज है. भाजपा का नारा एक रहेंगे तो सेफ़ रहेंगे ही है. लेकिन सपा, बसपा और कांग्रेस को इस एकजुटता से पेट में दर्द क्यों हो रहा है? अगर दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा है, तो इलाज कराएं और दवा ले लें."

 

 


केशव प्रसाद मौर्य के नए बयान के क्या हैं मायने?

उत्तर प्रदेश की सियासत में भाजपा के भीतर सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के संबंधों को लेकर उठते सवालों का हालिया घटनाक्रम ने एक नया मोड़ दिया है. पहले केशव मौर्य द्वारा ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे से खुद को अलग करने के बाद राजनीतिक गलियारों में दोनों नेताओं के बीच मतभेद की अटकलें तेज हो गई थीं. हालांकि, अब मौर्य ने सार्वजनिक रूप से मुख्यमंत्री योगी और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व पर विश्वास जताते हुए एकजुटता का संदेश दिया है. उनके नए बयान से स्पष्ट होता है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के प्रति उनकी प्रतिबद्धता बरकरार है और पार्टी में कोई दरार नहीं है. मौर्य का यह कदम आगामी उपचुनाव के लिए पार्टी के भीतर एकजुटता का प्रदर्शन करने के रूप में देखा जा रहा है, जिससे भाजपा की चुनावी तैयारियों को बल मिल सकता है. 

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