सपा-BJP ट्वीटर वॉर के बाद मनीष जगन अग्रवाल ने तोड़ी चुप्पी, विवाद पर पहली बार खुलकर बोले
उत्तर प्रदेश की सियासत का पारा पिछले दिनों एक शख्स की वजह से काफी बढ़ गया था. इस शख्स का नाम है मनीष जगन अग्रवाल.…
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उत्तर प्रदेश की सियासत का पारा पिछले दिनों एक शख्स की वजह से काफी बढ़ गया था. इस शख्स का नाम है मनीष जगन अग्रवाल. समाजवादी पार्टी के सोशल मीडिया टीम के पदाधिकारी मनीष अग्रवाल को विवादित ट्वीट मामले में बीते रविवार को लखनऊ पुलिस ने गिरफ्तार किया इसके बाद अखिलेश यादव और सपा काफी आक्रमक दिखे. गिरफ्तारी के 24 घंटे बाद ही मनीष जगन अग्रवाल को जमानत भी मिल गई. वहीं जमानत के बाद सपा नेता ने यूपी तक से खास बात चीत की और हर मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखी.
मनीष अग्रवाल ने कहा कि बीजेपी को एक मोहरा चाहिए फंसाने के लिए झूठे और फर्जी मुकदमे में मुझे फंसा दिया. जबकि मेरा विवादित ट्वीट मामले से कोई लेना देना नहीं है. मैं समाजवादी पार्टी मीडिया सेल नहीं चलाता, इससे मेरा कोई लेना देना नहीं है.
मनीष अग्रवाल ने कहा कि मैं एक आम कार्यकर्ता की तरह सपा का समर्पित कार्यकर्ता हूं. जमीनी स्तर पर क्या ग्राउंड के मुद्दों के संबंध में अपनी पार्टी को बताना यह सब मेरा काम है. इसके अलावा में और कोई काम नहीं करता. ट्वीटर पर मेरे द्वारा कोई भाषा नहीं लिखी गई और अब बात क्यों हो रही है तब क्यों नहीं हुई जब बीजेपी ने लगातार अभद्र भाषा की. उनकी भाषा टोटी चोर, 50 करोड़ की गर्लफ्रेंड से पहले कभी चर्चा ही नहीं. सपा नेता ने आगे कहा कि मैं सवाल करना चाहता हूं कि जब पहले बीजेपी के लोग आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करते हैं, तो पहले आखिर क्यों नहीं गई. मीडिया ट्रायल में मुझे दोषी बनाया गया है.
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वहीं मनीष अग्रवाल के खुद के अकाउंट से हुए आपत्तिजनक ट्वीट्स पर उन्होंने कहा कि पुलिस ट्विटर से जानकारी ले रही है, अगर मैं दोषी पाया गया तो सजा के लिए तैयार हूं. मेरे अकाउंट के फेक स्क्रीनशॉट वायरल किए गए. उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसे काम बीजेपी पहले भी करती आई है और बीजेपी नेता अमित मालवीय कितने फेक ट्वीट चलाते हैं क्या कभी इस पर कार्रवाई हुई.
अगर ट्वीट्स आपत्तिजनक है तो हम उसकी निंदा करते हैं लेकिन यह देखना भी जरूरी है किस ने शुरुआत कहां से हुई. सपा नेता ने आरोप लगाया कि इसकी शुरुआत बीजेपी की तरफ से हुई जो बीजेपी के प्रवक्ता है और पहले की भाषा शैली पर ध्यान दें सुधारें. बीजेपी जब शब्दों में हार जाती है तो पुलिस को आगे करती है. या तो शब्दों में लड़ाई लड़ दो या पुलिसिया लड़ाई लड़ लो. अगर हम ऐसे ही मुकदमे दर्ज करना शुरू करें तो पुलिस का रिकॉर्ड दर्ज भर जाएंगे.
खुद की गिरफ्तारी पर सपा नेता ने कहा कि सुबह-सुबह अचानक से पुलिस घर आई और पता चला हम बाहर पुलिस फोर्स आई हुई है. गिरफ्तार करने आए हैं तो मैंने कहा चलिए क्योंकि मैं कानून पर विश्वास रखता हूं. मैं भागने वाले और डरने वालों में से नहीं है.
अखिलेश यादव के पुलिस मुख्यालय पहुंचने पर सपा नेता ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि एक एक छोटे से कार्यकर्ता के लिए वह खड़े हुए. वह अपनों के साथ खड़ा होना जानते हैं. अखिलेश कभी गलत चीज के साथ खड़े नहीं होते हैं. रिचा राजपूत पर मनीष अग्रवाल ने तंज कसते हुए कहा कि कौवा कान ले गया सब कौवा देखने लग गए और ढूंढेनने से उन्हें मनीष जगन मिल गया. असल मुद्दों पर बात नही हुई. रिचा मेरी बहन है और मैं यह कहूंगा बहन के लिए कृपया अपनी भाषा को सुधारें. वह जिस दल में हैं, वह दल नही दलदल है. जितना जल्दी निकल जाए बेहतर होगा, यह पार्टी केवल इस्तेमाल करती है.
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