राहुल गांधी के सवाल से पता चल गया 2026 के किस महीने में होगी जनगणना, जाति की गिनती पर सरकार ने ये बताया
Census 2027 को लेकर केंद्र सरकार ने लोकसभा में बड़ी जानकारी दी है. सबसे बड़ी खबर यह है कि सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इस जनगणना में जाति की गिनती भी शामिल होगी. सरकार ने यह जानकारी कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के एक प्रश्न के जवाब में दी है.
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भारत की अगली जनगणना (Census 2027) को लेकर केंद्र सरकार ने लोकसभा में महत्वपूर्ण जानकारी दी है. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को सदन को सूचित किया कि देश की अगली जनगणना अप्रैल 2026 से शुरू होकर फरवरी 2027 तक दो चरणों में पूरी की जाएगी. सबसे बड़ी खबर यह है कि सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इस जनगणना में जाति की गिनती भी शामिल होगी. इस मुद्दे पर लंबे समय से राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल रही थी. आपको बता दें कि यह जानकारी मंत्री ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के एक प्रश्न के जवाब में दी.
दो चरणों में होगी जनगणना 2027
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि पूरी जनगणना प्रक्रिया को दो मुख्य चरणों में विभाजित किया गया है. इसका पहला चरण मकान सूचीकरण और आवास जनगणना का होगा. ये अप्रैल 2026 से सितंबर 2026 के बीच आयोजित किया जाएगा. मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UT) की सुविधा को ध्यान में रखते हुए 30 दिनों की अवधि में पूरी की जाएगी.
इसके बाद दूसरा और मुख्य चरण जनसंख्या गणना होगा. इसे फरवरी 2027 में पूरा किया जाएगा. जनसंख्या गणना के लिए संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 की 00:00 बजे निर्धारित की गई है.
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बर्फ से ढके क्षेत्रों के लिए अलग समय
जनगणना के दूसरे चरण के लिए कुछ विशेष भौगोलिक क्षेत्रों के लिए समय-सीमा में बदलाव किया गया है. यह बदलाव मुख्य रूप से उन क्षेत्रों के लिए है जो बर्फबारी के कारण देश के बाकी हिस्सों के साथ समकालिक नहीं हो पाते हैं. इनमें केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख, जम्मू-कश्मीर के बर्फ से ढके गैर-समकालिक क्षेत्र, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बर्फीले इलाके शामिल हैं. इन क्षेत्रों में जनसंख्या गणना सितंबर 2026 में पूरी की जाएगी और इनके लिए संदर्भ तिथि 1 अक्टूबर 2026 की 00:00 बजे होगी.
जाति की गिनती पर आधिकारिक मुहर
जनगणना में जातिगत विवरण शामिल करने की मांग राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील रही है. इस पर जारी अटकलों को विराम देते हुए मंत्री ने एक अलग प्रश्न के जवाब में पुष्टि की. उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समिति ने इसी साल 30 अप्रैल को यह निर्णय लिया था कि जनगणना में जाति की गिनती भी की जाएगी. यह घोषणा इस बात पर आधिकारिक मुहर लगाती है कि देश में पहली बार डिजिटल माध्यम से जातिगत आंकड़े जुटाए जाएंगे.
डिजिटल जनगणना और सेल्फ-एन्यूमरेशन
जनगणना 2027 की एक और बड़ी विशेषता यह है कि यह पूरी तरह से डिजिटल माध्यम से संचालित होगी. डेटा संग्रहण के लिए मोबाइल ऐप्स का उपयोग किया जाएगा. इसके साथ ही नागरिकों को ऑनलाइन सेल्फ-एन्यूमरेशन (स्वयं गणना) की सुविधा भी प्रदान की जाएगी. मंत्री ने यह भी कहा कि जनगणना का 150 वर्षों से अधिक का इतिहास है और पिछली कवायदों से मिले अनुभवों को अगली जनगणना के संचालन में ध्यान में रखा जाता है. यह जनगणना सरकार, विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की योजनाओं और नीतियों को तैयार करने के लिए महत्वपूर्ण आधार तैयार करेगी.
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