राजभर के NDA के साथ आने पर क्या सीएम योगी नाराज हैं? सुभासपा चीफ ने साफ की तस्वीर

हिमांशु मिश्रा

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UP Political News: 2019 के लोकसभा चुनाव से ऐन पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मोर्चा खोलकर भाजपा गठबंधन से नाता तोड़ने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर एक बार फिर भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हो गए हैं. सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा खूब रहती है कि राजभर और सीएम योगी में छत्तीस का आंकड़ा रहता है यानी दोनों में के बीच रिश्ते मधुर नहीं हैं. मगर अब खुद राजभर ने अपने और सीएम योगी के रिश्तों को लेकर बड़ा बयान दे दिया है.

‘सीएम योगी के निर्देश पर यहां आया हूं’

आपके भाजपा के साथ जुड़ने पर सीएम योगी का ट्वीट नहीं आया, क्या कोई नाराजगी है? यूपी तक से खास बातचीत में ओपी राजभर ने इस सवाल के जवाब में कहा, “उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के निर्देश पर हम यहां आए हैं. उन्होंने कहा था कि जाओ जाकर बात फाइनल करो. अब फाइनल कर लिया है…हम बात आगे बढ़ाएंगे.”

सीएम योगी की तारीफ के पुल बांधते हुए राजभर ने कहा, “कांग्रेस, सपा, बसपा यूपी की सत्ता में रह चुकी हैं. अभी भाजपा है. मैं डंके की चोट पर कह रहा हूं कि आजादी के बाद से अब तक इतने मुख्यमंत्री बने लेकिन सबसे ज्यादा मेहनत धरातल पर करने वाला अगर कोई सीएम है तो वह योगी आदित्यनाथ जी हैं.”

2017 में पहली बार भाजपा और सुभापसा साथ आए थे

गौरतलब है कि सुभासपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 भाजपा के साथ गठबंधन में लड़ा था और चार सीटें जीतीं थीं. राजभर को गठबंधन के सहयोगी के तौर पर कैबिनेट मंत्री बनाया गया था लेकिन उन्होंने पिछड़ों और वंचितों के साथ अन्याय का आरोप लगाते हुए सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ही खिलाफ मोर्चा खोल लिया था इसकी वजह से सरकार के सामने कई बार असहज स्थिति अभी पैदा हुई थी. लगातार तल्खी के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राजभर ने भाजपा गठबंधन से नाता तोड़ लिया था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था.

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2022 में सपा के साथ राजभर ने मिलाया था हाथ

राजभर की पार्टी ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) से हाथ मिलाया और छह सीटें जीतीं। उस चुनाव में राजभर ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ‘खेला होबे’ के नारे की तर्ज पर ‘खड़ेदा होबे’ का नारा दिया था। यह राज्य सत्ता से भाजपा को ‘बाहर निकालने’ का आह्वान था।

 

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