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Aaj Ka UP: मायावती ने मुस्लिम दांव खेल दिया है तो चर्चा MD समीकरण की चल पड़ी, अखिलेश पर क्या असर होगा?

कुमार अभिषेक

उत्तर प्रदेश की राजनीति में बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती एक बार फिर मुस्लिम-दलित (MD) समीकरण को मजबूत करने के लिए मैदान में हैं. मायावती ने मुस्लिम समाज से अपील की कि वे भाजपा की “विध्वंसक राजनीति” को हराने के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बजाय सीधे बीएसपी का समर्थन करें.

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Mayawati
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उत्तर प्रदेश की राजनीति में बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती एक बार फिर मुस्लिम-दलित (MD) समीकरण को मजबूत करने के लिए मैदान में हैं. मायावती ने मुस्लिम समाज से अपील की कि वे भाजपा की “विध्वंसक राजनीति” को हराने के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बजाय सीधे बीएसपी का समर्थन करें. उन्होंने कहा कि मुसलमानों के भारी समर्थन के बावजूद सपा भाजपा को परास्त करने में असफल रही है. मायावती ने यह बातें पार्टी के ‘मुस्लिम समाज भाईचारा संगठन’ की विशेष बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही. मायावती ने मुस्लिम नेताओं, कार्यकर्ताओं और अपने सभी कोऑर्डिनेटर्स के साथ ये खास मीटिंग बुलाई थी. इसे बीएसपी की पहली ऐसी फ्रंटलाइन मुस्लिम फोकस मीटिंग के तौर पर देखा जा रहा है, जहां पार्टी ने साफ इशारा दिया कि अब मुसलमान 'बैक बेंचर' नहीं बल्कि फ्रंट रो में रहेंगे. इसमें सभी 18 मंडलों में “भाईचारा कमेटी” बनाने का फार्मूला रखा गया. इसमें एक दलित और एक मुसलमान सब कमेटियों में होंगे. मायावती ने अपने नेताओं को 42 प्वाइंट्स की लिस्ट भी दी. इसमें ये बताया गया है कि जब यूपी में बीएसपी सरकार थी तो मुस्लिमों के लिए क्या-क्या किया गया था. 

मायावती ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव और इससे पहले के कई चुनावों में यह साफ साबित हुआ कि मुसलमानों के भावनात्मक, शारीरिक और आर्थिक समर्थन के बावजूद सपा और कांग्रेस भाजपा को नहीं रोक सके. उन्होंने कहा कि सीमित मुस्लिम समर्थन के बावजूद बीएसपी ने 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी. 

मुस्लिम समाज के मन में "विश्वास" बहाल करने की कोशिश, नीचे दी गई वीडियो रिपोर्ट में समझिए मायावती के इस सियासी दांव को

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धर्मगुरुओं के पीछे भागने की जरूरत नहीं: मायावती

मीटिंग में मुसलमान नेताओं को स्पष्ट संदेश देते हुए मायावती ने अपील की कि बड़े धर्म गुरुओं के पीछे भागने की जरूरत नहीं. अब बीएसपी कार्यकर्ता खुद मस्जिदों के इमाम, लोकल धर्मगुरु और मौलवियों तक पहुंचेंगे. उन्होंने खुलकर कहा कि मुस्लिम समाज की बेहतरी, उनका वोट और मैदान में धमक ही बीएसपी को 2027 में बड़ी चुनौती देने का ताकतवर कॉम्बिनेशन बन सकता है. हालांकि पार्टी के कुछ वरिष्ठों ने माना कि फिलहाल मुस्लिमों के रुख में थोड़ा संदेह हैं, क्योंकि बार-बार मायावती और बीएसपी को “बीजेपी की बी टीम” बताने का नैरेटिव मुस्लिम समाज में भी गहरा है. मायावती इसी “विश्वास बहाली” अभियान में जुटी हैं.​ 

बिहार-यूपी के चुनावी समीकरणों पर नजर

मायावती के 'MD' दांव का असल असर बिहार चुनाव के नतीजों में भी देखा जाएगा. अगर बिहार में महागठबंधन कमजोर पड़ता है या मुस्लिम वोट बैंक महागठबंधन/कांग्रेस की बजाय किसी तीसरे विकल्प की ओर झुकता है, तो मायावती इसे यूपी में दलित-मुस्लिम फ्रंट के लिये बड़ा मौका मानेंगी.

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