लखीमपुर खीरी नहीं पहुंच पाए, शाहजहांपुर जा रहे हैं अखिलेश, जानिए क्या हैं इस दौरे के मायने
लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में 3 अक्टूबर को हुए हिंसक कांड के बाद समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव अबतक वहां नहीं पहुंच पाए हैं. 4…
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लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में 3 अक्टूबर को हुए हिंसक कांड के बाद समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव अबतक वहां नहीं पहुंच पाए हैं. 4 अक्टूबर को पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने लखीमपुर खीरी जाने की कोशिश की, तो यूपी पुलिस ने उन्हें लखनऊ में ही रोक लिया. बाद में अखिलेश वहीं धरने पर बैठ गए, जिसकी वजह से पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. अब खबर आ रही है कि अखिलेश यादव शाहजहांपुर के दौरे पर जा रहे हैं.
शाहजहांपुर जाकर क्या संदेश देना चाहते हैं अखिलेश?
बुधवार, 6 अक्टूबर को अखिलेश की शाहजहांपुर की यात्रा प्रस्तावित है. अखिलेश यादव भले ही लखीमपुर खीरी नहीं पहुंच पाए, लेकिन कहा जा रहा है कि शाहजहांपुर जाकर वह इसे लेकर खास संदेश देने की तैयारी में हैं. कार्यक्रम के मुताबिक अखिलेश बंडा के सुनासिर नाथ मंदिर में पूजा करेंगे और नानकपुरी गुरुद्वारे में अमावस्या पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लेंगे. अखिलेश यादव नानकपुरी में जहां जा रहे हैं, उसकी सीमा पीलीभीत और लखीमपुर जनपद से लगी है. यह तराई बेल्ट है, जहां सिख वोटर काफी अहम हैं.
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अखिलेश भले ही शाहजहांपुर जा रहे हैं, लेकिन संदेश लखीमपुर खीरी के कांड से जोड़कर देखा जा रहा है. इस समय लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में हाई अलर्ट है. शाहजहांपुर जनपद लखीमपुर से सटा हुआ है. घटना को लेकर किसानों में आक्रोश है. अब अखिलेश यादव के बंडा आने को लेकर पुलिस, प्रशासन काफी सतर्कता बरत रहा है.
आपको बता दें कि यूपी सरकार ने विपक्षी नेताओं को लखीमपुर खीरी जाने से रोकने के लिए अपनी ताकत झोंक रखी है. कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी को जहां गिरफ्तार कर लिया गया है, वहीं राहुल गांधी के नेतृत्व में लखीमपुर खीरी आने वाले कांग्रेस शिष्टमंडल को यात्रा की अनुमति ही नहीं दी गई है. इससे पहले यूपी सरकार ने छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के विमान को भी लखनऊ एयरपोर्ट पर लैंड नहीं होने दिया. बाद में भूपेश बघेल जब वाया दिल्ली लखनऊ पहुंचे, तो उन्हें एयरपोर्ट से बाहर नहीं आने दिया गया.
लखीमपुर खीरी कांड, जानें क्या है पूरा मामला
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लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में 3 अक्टूबर को किसान आंदोलनकारियों संग हिंसक झड़प में 8 लोगों की मौत हो गई थी. मृतकों में 4 किसान, 3 बीजेपी से जुड़े लोग और एक पत्रकार शामिल हैं. संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक किसान आंदोलनकारी उस दिन डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के कार्यक्रम का विरोध कर रहे थे. संयुक्त किसान मोर्चा का आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा के काफिले ने किसानों को रौंद दिया.
हालांकि मंत्री और उनके बेटे ने इन आरोपों का खंडन करते हुए दावा किया है कि किसानों की आड़ में अराजक तत्वों ने बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या की है. इस मामले में मंत्री के बेटे के खिलाफ केस भी दर्ज किया गया है. संयुक्त किसान मोर्चा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के इस्तीफे और उनके बेटे की गिरफ्तारी की मांग पर अड़ा हुआ है.
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