केशव प्रसाद मौर्य के समर्थन में उतरे BJP के दिग्गज सुनील भराला, बोले- इस्तीफा तो होना ही चाहिए
तमाम सियासी चर्चाएं यूपी में हैं कि आखिर हार का जिम्मेदार कौन? क्या सिर्फ सीएम योगी और उनकी सरकार ही बीजेपी की हार के लिए जिम्मेदार है. इस बीच बीजेपी के दिग्गज नेता सुनील भराला ने खुलकर केशव प्रसाद मौर्य का समर्थन कर दिया है. जानें पूरा मामला...
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Yogi Adityanath and Keshav Prasad Maurya News in Hindi: उत्तर प्रदेश की सियासत में इस वक्त तीखी घमासान मची है. बीजेपी का केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व हालिया लोकसभा चुनाव में मिली हार पर मंथन कर रहा है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने दिल्ली जाकर अपनी रिपोर्ट सौंपी है. सूत्रों के हवाले से इस रिपोर्ट के अंदर की जानकारी सामने आई है. बताया गया है कि कार्यकर्ताओं में सरकार के प्रति अंसतोष है. उधर केशव प्रसाद मौर्य ने जब से 'संगठन सरकार से बड़ा होता है' बयान दिया है, उसके बाद उनके और सीएम योगी के बीच तनानती की खबरें भी हैं. तमाम सियासी चर्चाएं यूपी में हैं कि आखिर हार का जिम्मेदार कौन? क्या सिर्फ सीएम योगी और उनकी सरकार ही बीजेपी की हार के लिए जिम्मेदार है. इस बीच बीजेपी के एक दिग्गज नेता सुनील भराला ने खुलकर केशव प्रसाद मौर्य का समर्थन कर दिया है.
किसका इस्तीफा चाह रहे हैं सुनील भराला?
यूपी Tak ने सुनील भराला से खास बातचीत की है. सुनील भराला ने कहा कि, 'यूपी में BJP बहुत मजबूत स्थिति में है, वोट प्रतिशत में गिरावट नहीं है. सीटें जरूर कम हुई हैं. हम जनता के बीच में हैं. जो बातें कहीं जा रही हैं वो कार्यकर्ताओं की आवाज है. केशव प्रसाद मौर्य ने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाते हुए बयान दिया है. पार्टी की हार की जिम्मेदारी नैतिकता के आधार पर ली जानी चाहिए. हमारी पार्टी पार्टी विथ डिफरेंस कही जाती है. हमारा यहां तो जिम्मेदारी लेने की परिपाटी रही है. जैसे कलराज मिश्र प्रदेश अध्यक्ष रहे, हार के बाद इस्तीफा दिया. विनय कटियार ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया.'
सुनील भराला ने कहा कि, 'नेतृत्व स्वीकार करे या न करे लेकिन भूपेंद्र चौधरी को इस्तीफा देना चाहिए. भूपेंद्र चौधरी ऐसा करते तो कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ता. कार्यकर्ता चाहते हैं कि सिस्टम का रिव्यू होना चाहिए. उस कार्यकर्ता की आवाज सुनील भराला है.'
क्या योगी सरकार से नाराज हैं बीजेपी के कार्यकर्ता?
इस सवाल पर पूर्व मंत्री सुनील भराला ने कहा कि, 'सत्ता विकार भी लेकर आती है. कार्यकर्ताओं की आशा और मांग ज्यादा होती है और उसके अनुरूप रिजल्ट नहीं मिलता, तो उनमें आक्रोश पनपता है. हमारे नेतृत्व ने जिले-जिले में जाकर जाना है कि पार्टी किस वजह से हारी है. हम 2014 में 73 सीट पर थे अब 33 पर आ गए हैं, तो ये हमारे लिए चिंता का विषय है.'
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शीर्ष नेता क्या मिलते नहीं थे?
सुनील भराला ने इस सवाल पर कहा, 'ये व्यक्तिगत विषय है. हर व्यक्ति की अपनी शैली है. हमलोग लंबे समय से देखते चले आ रहे हैं. जनसंघ काल से लेकर अबतक हमने देखा कि संगठन के लोग कार्यकर्ताओं के लिए 24 घंटे उपलब्ध रहते थे. वो परिपाटी टूट रही है और यह अच्छी बात नहीं है.'
कौन हैं सुनील भराला?
सुनील भराला पूर्व राज्य मंत्री रह चुके हैं. मूल रूप से मेरठ के रहने वाले सुनील भराला ने राष्ट्रीय परशुराम परिषद बनाई है. सुनील भराला बीजेपी के स्लम सेल के नेशनल कंवीनर भी हैं. सुनील भराला ने इससे पहले ट्वीट करके भी सीधे भूपेंद्र चौधरी के इस्तीफे की मांग की थी. जाहिर तौर पर यूपी में बीजेपी संगठन और सरकार के बीच एक जोर-आजमाइश देखने को मिल रही है. इस बीच चर्चा यह भी है सीएम योगी भी हाईकमान से मुलाकात के लिए दिल्ली जा सकते हैं. ऐसी चर्चा डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक को लेकर भी है.
लखनऊ टू दिल्ली, बीजेपी नेताओं की इस सियासी दौड़ ने समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव को भी मजे लेने का मौका दे दिया है. अखिलेश यादव ने एक्स पर की गई एक पोस्ट में लिखा है कि मॉनसून ऑफर: सौ लाओ, सरकार बनाओ! अखिलेश ने यह बात केशव प्रसाद मौर्य को टारगेट करते हुए लिखी है क्योंकि वो ऐसे ऑफर पहले भी दे चुके हैं. 2017 में बीजेपी को मिली प्रचंड जीत के बाद जब योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया, तो केशव प्रसाद मौर्य के खेमे को इससे झटका लगा. बाद में 2022 के चुनाव में बीजेपी की सीटें जरूर घटीं लेकिन बहुमत बरकरार रहा. इसका श्रेय पीएम मोदी और सीएम योगी की जोड़ी को देते हुए उनकी सीएम की कुर्सी बरकरार रखी गई.
अब लोकसभा में बीजेपी को जब यूपी में बड़ी हार का सामना करना पड़ा है, तो तमाम सवाल हैं. सवाल यह कि संगठन के स्तर पर पार्टी में क्या कोई बदलाव होगा? सवाल यह भी कि क्या सरकार के स्तर पर कोई चेंज देखने को मिलेगा? फिलहाल यूपी की इस सियासी तपिश पर हमारी नजर बनी हुई है. यूपी की बड़ी पॉलिटिकल खबरों की लेटेस्ट अपडेट के लिए हमारे साथ बने रहें.
(पीयूष मिश्रा के इनपुट्स के साथ)