जब एक फोन कॉल से बदल गई अखिलेश यादव की जिंदगी... पत्रकार सुनीता एरोन से जानिए Yadav फैमिली की इनसाइड स्टोरी
पत्रकार सुनीता एरोन का UP Tak पर बड़ा खुलासा! सियासत से दूर रहे अखिलेश यादव को मुलायम सिंह यादव का वो फ़ोन कॉल कैसे राजनीति में ले आया? जानिए यादव परिवार की इनसाइड स्टोरी.
ADVERTISEMENT

UP Tak के स्पेशल पॉडकास्ट शो 'यूपी की बात' में पत्रकार और Akhilesh Yadav: Winds of Change किताब की लेखिका सुनीता एरोन ने यादव परिवार के भीतर की कई इनसाइड स्टोरीज बताई हैं. उन्होंने पॉलिटिक्स में एंट्री से लेकर उत्तर प्रदेश में सबसे कम उम्र का सीएम बनने तक के सफर की रोचक और इमोशनल घटनाओं के बारे में बताया है. सुनीता एरोन बताती हैं कि सियासत से दूर रेहने वाले अखिलेश यादव की जिंदगी का टर्निंग पॉइंट एक फोन कॉल से आया था. 1999 में डिंपल यादव से शादी के बाद वे देहरादून में थे, तभी उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने फोन कर कहा, 'आओ, तुम्हें कन्नौज से चुनाव लड़ना है.' अखिलेश बिना किसी सियासी अनुभव के सीधे मैदान में उतरे लेकिन उन्होंने कड़ी मेहनत कर अपना पहला चुनाव आखिरकार जीत ही लिया. यहीं से अखिलेश यादव के पॉलिटिकल सफर की शुरुआत हो गई.
मुलायम सिंह की स्क्रिप्ट और जनेश्वर मिश्र का मार्गदर्शन
सुनीता एरोन ने बताया कि पॉलिटिक्स में घुसने के बाद अखिलेश यादव को पारिवारिक मेंटर और समाजवादी विचारधारा के बड़े नेता जनेश्वर मिश्र का सरंक्षण भी मिला. बड़े बुजुर्गों का पैर छूने वाले अखिलेश यादव को जनेश्वर मिश्र ने उस वक्त सलाह दी थी कि, 'अब आप नेता बन गए हैं, सबके पैर नहीं छूने, अब आपको असली लीडर की तरह व्यवहार करना है.' वैसे सुनीता एरोन बताती हैं कि पैर छूने वाली परंपरा अखिलेश यादव ने घर में अभी भी कायम रखी हुई है.
पॉडकास्ट में सुनीता एरोन ने यादव परिवार के भीतर चुनौतियों पर भी रौशनी डाली. जब अखिलेश का नाम मुख्यमंत्री के लिए प्रपोज किया गया, तो कौन समर्थन में था और कौन विरोध में, ये सबकुछ बताया है. शिवपाल यादव की भूमिका उस वक्त क्या थी. पिता मुलायम सिंह यादव का अखिलेश यादव को कितना सपोर्ट था और वो कौन सी बात थी जिसने अखिलेश यादव की आंखों में आंसू ला दिया. ये सारी बातें सुनीता एरोन ने पॉडकास्ट में बताई हैं.
इस पॉडकास्ट को यहां नीचे देखा जा सकता है