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अखिलेश यादव ने 2024 के लिए PDA फॉर्मूले पर तैयार की नई टीम, चाचा शिवपाल के करीबियों को भी मिली जगह

कुमार अभिषेक

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Uttar Pradesh News: समाजवादी पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी बिसात पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) की रणनीति के सहारे बिछाने का फैसला किया है. अखिलेश यादव ने रविवार को संगठन के अलग-अलग पदों  के साथ, सदस्यों और विशेष आमंत्रित के कुल 182 नामों का ऐलान किया है, जिसमें से 62 विशेष आमंत्रित सदस्य जब की 120 पदाधिकारी बनाये गए हैं. विपक्ष का INDIA गठबंधन बनने के बावजूद अखिलेश यादव लगातार अपने PDA का नारा बुलंद कर रहे हैं.

पीडीए यानी पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक मुसलमान और जब रविवार शाम समाजवादी पार्टी की तरफ से 120 सदस्य राज्य संगठन और कार्यकारिणी का ऐलान किया गया तो उसमें अखिलेश यादव के इस पीडीए फॉर्मूले का असर साफ दिखाई दे रहा है.

अखिलेश ने लगाया बड़ा दांव

2024 को लेकर समाजवादी पार्टी अब पूरी तरीके से ओबीसी दलित और मुस्लिम कलेवर में आ गई है. अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव से इतर नई सपा का आगाज भी कर दिया यानी अब समाजवादी पार्टी अपने पीडीए फार्मूले को आत्मसात कर रही है. सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने जब नई कार्यकारिणी का ऐलान किया तो पीडीए का अक्स साफ दिखाई दे रहा है. नई टीम में अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल के अलावा 4 उपाध्यक्ष, 3 महासचिव, 61 सचिव, 48 सदस्य और 62 विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए गए हैं. आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम को समाजवादी पार्टी ने प्रदेश सचिव बनाया है.

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कार्यकारिणी में दिखा पीडीए का असर

अब अगर हम जातीय समीकरणों को समझें तो इसमें अखिलेश यादव का PDA साफ दिखाई देता है. अखिलेश यादव ने इस बार यादवों से ऊपर गैर यादव ओबीसी को तरजीह दी है. सबसे ज्यादा 45 गैर यादव समुदाय के लोगों को शामिल किया गया है. 24 मुसलमान 17 दलित और 11 यादवों को जगह दी गई है. सवर्ण सिक्ख और और ईसाइयों को जोड़कर कुल 23 लोगों को इसमें शामिल किया गया है, जिसमें सबसे ज्यादा आठ ब्राम्हण और 15 अन्य बिरादरीयों को जगह दी गई है.

यादवों से ज्यादा दलितों को तरजीह

समाजवादी पार्टी के राज्य संगठन में जो पद दिए गए हैं, उसमें लगभग आधे ओबीसी के हैं और उसमें भी गैर यादव ओबीसी एक तिहाई से ज्यादा है और अगर यादवों को भी जोड़ दिया जाए तो यह लगभग पचास फीसदी पहुंच जाता है. यानी 120 में 56 पद ओबीसी को मिले, वहीं 20 फ़ीसदी पद मुसलमान को दिए गए. अखिलेश यादव ने मुसलमानों में भी पसमांदाओं का ख्याल रखा है और दो महासचिव पसमांदा बिरादरी से बनाए गए हैं.

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17 दलित चेहरों को समाजवादी पार्टी में संगठन में जगह दी है और उसमें भी दलितों की वह बिरादरी जिन्हें अति दलित की श्रेणी में रखा गया है, उन्हें भी प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गई. अगड़ों में सबसे ज्यादा ब्राह्मणों को जगह मिली है कुल 8 ब्राह्मणों को सपा के प्रदेश संगठन में जगह मिली है, जबकि 1 सिक्ख और एक ईसाई को भी जगह दी गई. ठाकुर कायस्थ भूमिहार और बनिया बिरादरी से कुल 13 लोगों को जगह दी गई.

चाचा के करीबी भी टीम में शामिल

शिवपाल यादव के करीबियों में 5 लोगों को जगह मिली है, जिसमें सचिव और महासचिव स्तर के लोग हैं. अखिलेश यादव ने जिस पिछड़े दलित और अल्पसंख्यक मुसलमान का जिक्र बार-बार किया है, जिस पीडीए को उन्होंने अपना मूल मंत्र बनाया है. अब पूरे संगठन को इस आधार पर ढालने की कोशिश कर रहे हैं. अखिलेश यादव पर सबसे बड़ा आरोप विपक्ष यादववादी होने का लगता था और बीजेपी ने वहीं बात दोहरा कर गैर यादव ओबीसी को अपने साथ खड़ा किया, लेकिन अब अखिलेश यादव बीजेपी के इसी गैर यादव ओबीसी के वोट बैंक में सेंध लगाने की जुगत में है और इसी आधार पर उन्होंने पीडीए का फार्मूला दिया है. संगठन में तो अखिलेश पीडीए ले आए अब नजर टिकट बंटवारे पर होगी कि क्या सचमुच टिकट के बंटवारे के वक्त भी या फार्मूला रहता है या नहीं.

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