नीतीश ने किया UP में अखिलेश को लीड करने का ऐलान, क्या अब महागठबंधन में BSP की नो एंट्री?

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

UP Political News: एनडीए छोड़कर निकले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों ‘मिशन 2024’ पर हैं, जिसमें वह बीजेपी विरोधी सभी दलों को एकजुट करने में लगे हैं. इसी एकजुटता को बनाने के लिए उन्होंने मंगलवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात की. हालांकि दोनों ने इसे एक शिष्टाचार मुलाकात बताया, जो गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में हुई, जहां सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव भर्ती हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव से नीतीश कुमार की मुलाकात शिष्टाचार कम सियासी ज्यादा थी.

मेदांता अस्पताल के एक अलग कमरे में 1 घंटे की इस मुलाकात के बाद जब दोनों बाहर निकले तो नीतीश कुमार ने ऐलान किया कि अखिलेश यादव देश में बनने वाले महागठबंधन के लिए उत्तर प्रदेश में लीड करेंगे. फिलहाल, नीतीश कुमार के बयान के बाद अखिलेश यादव का इस पर कोई रिएक्शन नहीं आया है. मगर नीतीश के कई मायने निकाले जा रहे हैं.

वैसे भी अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में विपक्ष के सबसे बड़े चेहरे माने जाते हैं. चर्चा है कि नीतीश कुमार ने अपनी तरफ से यह बात कह कर फिलहाल महागठबंधन में बसपा के रास्ते बंद कर दिए हैं.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

नीतीश कुमार के करीबी और दिल्ली में राजनीतिक संपर्क में अग्रणी भूमिका निभा रहे केसी त्यागी कहते हैं कि नीतीश कुमार की राजनीति में पॉलीटिकल अनटचेबिलिटी नहीं है, यानी यहां सबका स्वागत है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के खिलाफ कोई भी दल या व्यक्ति जुड़ सकता है. फिलहाल नीतीश कुमार के इस बयान के बाद बसपा की प्रतिक्रिया आने का भी इंतजार है. वहीं, दूसरी तरफ अभी तक विपक्ष के बनने वाले इस गठबंधन को लेकर मायावती ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं.

बता दें कि उत्तर प्रदेश में विपक्ष के दूसरे बड़े खिलाड़ी रालोद मुखिया जयंत चौधरी हैं. नीतीश कुमार की जयंत चौधरी से फोन पर बात हो चुकी है. उम्मीद है कि दोनों की मुलाकात भी जल्द होगी, लेकिन विपक्ष की इस एकता में दरार दिखने लगी है. दरअसल, ओम प्रकाश चौटाला की इंडियन नेशनल लोक दल ने 25 सितंबर को चौधरी देवीलाल की जयंती पर विपक्षी एकता को प्रदर्शित करने के लिए एक बड़ी रैली रखी है. हरियाणा के फतेहाबाद में यह रैली होनी है, लेकिन इसमें जयंत चौधरी को न्योता नहीं दिया गया है.

जबकि नीतीश कुमार, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, प्रकाश सिंह बादल सरीखे सभी नेताओं को बुलाया गया है. इसकी वजह यह बताई जा रही है कि ओमप्रकाश चौटाला और जयंत चौधरी दोनों जाट नेता हैं और दोनों की अपनी महत्वकांक्षाएं हैं. ऐसे में विपक्षी एकता बनने से पहले ही बिखरती भी दिख रही है, खासकर उत्तर प्रदेश के लिहाज से.

दरअसल, समाजवादी पार्टी 2024 के चुनाव में खुद को प्रधानमंत्री की रेस में खुले तौर पर नहीं मानती है, जबकि अखिलेश यादव के करीबी नेता उदयवीर सिंह कहते हैं कि नीतीश कुमार अगर प्रधानमंत्री के उम्मीदवार बनते हैं तो उन्हें कोई एतराज नहीं होगा. हालांकि विपक्षी खेमें में कई बड़े ऐसे नेता हैं, जो प्रधानमंत्री बनने की काबिलियत रखते हैं.

ADVERTISEMENT

बता दें कि उत्तर प्रदेश में कुर्मी और कोइरी जातियों की तादाद काफी ज्यादा है. चाहे अनुप्रिया पटेल हों या पल्लवी पटेल. दोनों ने कुर्मी वोटों के आधार पर ही उत्तर प्रदेश की सियासत ने जगह बनाई है. ऐसे में नीतीश कुमार को उत्तर प्रदेश में अपने लिए उम्मीद की किरण नजर आती है कि अगर उनके नाम का ऐलान हो जाए तो एक बड़ा मतदाता वर्ग विपक्षी एकता के साथ खड़ा हो सकता है. जो फिलहाल बीजेपी का वोटर है.

फिलहाल, अखिलेश यादव के साथ पल्लवी पटेल और स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे दो चेहरे हैं, जिनके दम पर समाजवादी पार्टी गैर यादव ओबीसी वर्ग में अपनी राजनीति साध रही है. अगर नीतीश कुमार आगे आते हैं, तो उत्तर प्रदेश में पिछड़ों की राजनीति में एक नई सुगबुगाहट की शुरुआत हो सकती है.

अब देखना यह है कि क्या अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश में विपक्षी गठबंधन लीड करने के एलान के एवज में क्या नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी के लिए कोई आश्वासन मांगा है? इसपर भी नजरें बनी रहेंगी.

ADVERTISEMENT

अखिलेश के लिए नीतीश ने कर दी ये ‘भविष्यवाणी’, दिल्ली में मुलाकात के बाद मुस्कुरा कर ये कहा

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT