निकाय चुनाव पर HC के फैसले के बाद अखिलेश, रामगोपाल ने UP सरकार को खूब सुनाया, जमकर कसे तंज

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UP Nikay Chunav Update: इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को राज्य सरकार के नगरीय निकाय चुनाव संबंधी मसौदा अधिसूचना को रद्द करते…

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UP Nikay Chunav Update: इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को राज्य सरकार के नगरीय निकाय चुनाव संबंधी मसौदा अधिसूचना को रद्द करते हुए उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव बिना ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण के कराने का आदेश दिया. इस फैसले से राज्य में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का रास्‍ता साफ हो गया है. फैसला सामने आने के बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दी और साथ ही भाजपा सरकार पर जमकर तीखा प्रहार किया.

उन्होंने कहा,

“आज आरक्षण विरोधी भाजपा निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के विषय पर घड़ियाली सहानुभूति दिखा रही है. आज भाजपा ने पिछड़ों के आरक्षण का हक छीना है, कल भाजपा बाबा साहब द्वारा दिए गये दलितों का आरक्षण भी छीन लेगी. आरक्षण को बचाने की लड़ाई में पिछडों व दलितों से सपा का साथ देने की अपील है.”

अखिलेश यादव

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वहीं, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और अखिलेश यादव के चाचा रामगोपाल यादव ने भी भाजपा पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, “निकाय चुनावों में ओबीसी का आरक्षण खतम करने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण. उत्तरप्रदेश सरकार की साजिश. तथ्य न्यायालय के समक्ष जानबूझकर प्रस्तुत नहीं किए. उत्तर प्रदेश की साठ फीसदी आबादी को आरक्षण से वंचित किया. ओबीसी मंत्रियों के मुंह पर ताले. मौर्य की स्थिति बंधुआ मजदूर जैसी.”

वहीं आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा, “मोदी जी, योगी जी, केशव मौर्य जी कहा छिपे हो सामने आओ. पिछड़ों का हक क्यों मारा? ये साफ बताओ. नौकरी में आरक्षण छीना, चुनाव में आरक्षण छीना, बस चले तो पिछड़ों के जीने का हक भी छीन लेगी भाजपा.”

आपको बता दें कि पीठ ने उत्तर प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा पांच दिसंबर को तैयार मसौदा अधिसूचना को रद्द करते हुए निकाय चुनावों को बिना ओबीसी आरक्षण के कराने के आदेश दिए हैं.

उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार ‘ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले’ के बिना सरकार द्वारा तैयार किए गए ओबीसी आरक्षण के मसौदे को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर उच्च न्यायालय का यह फैसला आया.

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