13 साल की उम्र से ही दूसरों को सिखाने लगे थे कथक, जानें कहानी बिरजू महाराज की

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पद्म विभूषण से सम्मानित कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज का 83 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. उनके चले जाने से कला जगत की दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई है.

आपको बता दें कि लखनऊ घराने से ताल्लुक रखने वाले पंडित बिरजू महाराज ने सात साल की उम्र में कथक करना शुरू कर दिया था.

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लखनऊ के ग्विन रोड पर स्थित घर, जहां बिरजू महाराज ने पिता अच्चन महाराज, चाचा शंभू और लच्छू महाराज से प्रशिक्षण लिया था, अब वह एक कथक संग्रहालय है.

पीटीआई को दिए एक पुराने इंटरव्यू में बिरजू महाराज ने बताया था कि पिता के निधन के बाद वह दिल्ली आ गए थे और 13 साल की उम्र में परिवार की मदद के लिए उन्होंने कथक सिखाना शुरू कर दिया था.

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बता दें कि बिरजू महाराज ने बॉलीवुड में कई गानों को कोरियोग्राफ किया है. इनमें देवदास (2002) के लिए काहे छेड़े मोहे और बाजीराव मस्तानी (2015) में मोहे रंग दो लाल शामिल हैं.

एक मशहूर कलाकार होने के साथ-साथ पंडित बिरजू महाराज ‘मन की शांति’ के लिए पेंटिंग भी किया करते थे.

(पीटीआई के इनपुट्स के साथ)

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